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बोले पलामू -कब मिलेगा लंबित एरियर, पूछ रहे विवि के शिक्षक

मेदिनीनगर में हिन्दुस्तान के बोले पलामू कार्यक्रम के दौरान अपनी समस्याएं रखते नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय

Newswrap हिन्दुस्तान, पलामूSat, 3 May 2025 08:45 PM
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बोले पलामू -कब मिलेगा लंबित एरियर, पूछ रहे विवि के शिक्षक

पलामू के नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय (एनपीयू) में 30 से 35 साल तक की सेवा देने के बाद भी सहायक प्राध्यापक पद से ही सेवानिवृत होने के लिए शिक्षक बाध्य हैं। शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं दिए जाने के कारण विश्वविद्यालय में एक भी प्राध्यापक कार्यरत नहीं है जबकि एसोसिएट प्राध्यापक भी महज 3 है जिनकी सेवानिवृति भी नजदीक है। एनपीयू के कुल 16 स्नातकोत्तर विभागों में प्राध्यापक के 16, एसोसिएट प्राध्यापक के 32 और सहायक प्राध्यापक के 48 पद स्वीकृत हैं। प्राध्यापकों का एरियर भी काफी समय से लंबित है। हिन्दुस्तान के बोले पलामू कार्यक्रम के दौरान एनपीयू के प्राध्यापकों ने अपनी पीड़ा को साझा किया। मेदिनीनगर। नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय की स्थापना 17 जनवरी 2009 में की गई थी। इसके कार्य क्षेत्र के तीनों जिले पलामू, गढ़वा और लातेहार वर्तमान में भी देश के आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल हैं।

बीते 16 सालों के सफर में एनपीयू के अधीनस्थ अंगीभूत सह राजकीय कालेजों की संख्या तीन से बढ़कर नौ हो गई है जबकि चार अन्य राजकीय कॉलेज का भवन बनकर तैयार है जिनमें अभी पठन-पाठन शुरू कराना प्रस्तावित हैं। विश्वविद्यालय के पीजी डिपार्टमेंट और कॉलेजों में विभिन्न विभागों में नामांकित होने वाले करीब 40 हजार विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए कुल स्वीकृत 428 प्राध्यापकों के पद के विरुद्ध महज 96 शिक्षक कार्यरत हैं। सभी कॉलेज में एक दर्जन से अधिक विभाग शून्य प्राध्यापक के साथ संचालित हैं। नामांकन लेने वाले विद्यार्थियों को मार्गदर्शन करने के लिए भी कोई शिक्षक उपलब्ध नहीं है।

एनपीयू में प्राध्यापक और एसोसिएट प्राध्यापक की संख्या न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाने के कारण शोध कार्य करीब-करीब ठप है। प्रत्येक शिक्षकों को एक से अधिक कार्यभार आवंटित है। इसके कारण शिक्षक काफी दबाव में हैं और शोध कार्य, लेखन कार्य नहीं कर पा रहे हैं। सेमिनार में भाग लेने के लिए भी शिक्षकों को समय नहीं मिल पा रहा है। रोजगार परक शिक्षा, नवाचार आदि की दिशा में पहल नहीं होने का नकारात्मक असर शिक्षकों के करियर पर पड़ रहा है। चर्चा के दौरान शिक्षकों ने बताया कि महाविद्यालय के शिक्षकों को ही विश्वविद्यालय के पीजी डिपार्टमेंट का अतिरिक्त प्रभार दे दिया जा रहा है। यह नियम संगत नहीं है। इसके कारण शिक्षक मूल दायित्व को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। एनपीयू के प्रीमियर संस्थान जीएलए कॉलेज 18, जेएस कॉलेज 12, वाईएसएनएम कॉलेज 14 और एसएसजेएसएन कॉलेज 14 शिक्षकों के भरोसे संचालित है जबकि अन्य पांच नवगठित कॉलेज दो-दो शिक्षकों को प्रतिनियोजित कर संचालित किया जा रहा है।

शिक्षकों ने बताया कि कालेज परिसर में बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है। जीएलएल कॉलेज में एक नेत्र दिव्यांग महिला प्राध्यापक को भी पदस्थापित कर दिया गया है जबकि एनपीयू में ब्रेललिपि से संबंधित अध्यापन की कोई सुविधा नहीं है। महिला प्राध्यापकों के लिए कॉलेज परिसर में वाशरूम आदि की भी ढंग की व्यवस्था नहीं है । एनपीयू के प्रिमियर संस्थान जीएलए कॉलेज की बात करें तो शिक्षकों के लिए विभाग में समुचित संख्या में कुर्सी भी उपलब्ध नहीं है। अबतक सेंट्रल लाइब्रेरी का संचालन भी सही तरीके से नहीं हो पाया है। इसके कारण विद्यार्थी के साथ-साथ शिक्षकों को भी संदर्भ पुस्तक की आवश्यकता होने पर खुद से व्यवस्था करनी पड़ रही है। अन्य कालेजों में भी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति काफी बदतर है। सफाई, सुरक्षा, पेयजल आदि के लिए अबतक अद्यतन व्यवस्था किसी कॉलेज में नहीं है। विश्वविद्यालय में भी अबतक एकेडमिक भवन में पठन-पाठन शुरू नहीं हुआ है। नए भवन की सुविधा भी नहीं मिल पा रहा है। शिक्षकों के लिए सेमिनार के लिए भी विश्वविद्यालय स्तर पर नियमित पहल नहीं की जा रही है। शिक्षकों का प्रोन्नति लंबित होने, नए प्राध्यापकों की सेवा संपुष्टि में भी कई गतिरोध पैदा होने के कारण मनोबल गिर रहा है।

अन्य कोई काम नहीं कर पा रहे हैं विवि के शिक्षक

एनपीयू के प्राध्यापकों के स्वीकृत बल के विरुद्ध कार्यरत शिक्षकों की संख्या में तेजी से गिरावट और विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी से कार्यभार लगातार बढ़ रहा है। शिक्षक अतिरिक्त प्रभार के कारण अध्ययन और शोध कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनका प्रोन्नति आदि भी प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों ने कहा कि अध्यापन के अलावा परीक्षा संचालन, प्रश्न निर्धारण आदि भी प्रत्येक शिक्षक को करना पड़ रहा है। नई शिक्षा नीति के कारण कार्य की विविधता भी अधिक हो गई है। प्रत्येक विद्यार्थी का डेटा को सुरक्षित करने आदि की अतिरिक्त जवाबदेही बढ़ गई है।

बुनियादी सुविधाओं से रोज जूझते हैं शिक्षक

एनपीयू के एकेडमिक भवन में अध्यापन कार्य अबतक शुरू नहीं हो पाया है। इसे कारण विश्वविद्यालय का स्नातकोत्तर डिपार्टमेंट अंगीभूत कॉलेज परिसर में संचालित हैं। इसके कारण शिक्षकों को पुरानी बुनियादी सुविधाओं के बीच ही काम करना पड़ रहा है। नियमित कॉलेज आने वाले विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए प्रयोगशाला और पुस्तकालय की समुचित व्यवस्था नहीं है। प्रयोगशाला में सहायक भी नहीं है। इसके कारण प्राध्यापकों को ही विद्यार्थियों के साथ प्रयोगशाला में उपस्थित होकर प्रयोग के बारे में जानकारी देना पड़ता है। प्रयोगशाला में उपकरण और आवश्यक केमिकल आदि का भी घोर अभाव है।

शिक्षकों के लिए क्वार्टर तक नहीं

एनपीयू और उसके अधीनस्थ संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों के लिए कालोनी या क्वार्टर का विकास अबतक नहीं किया जा सका है। शिक्षक अपनी-अपनी निजी व्यवस्था के तहत शहर के अलग-अलग हिस्से में रहकर विश्वविद्यालय व कालेज आते जाते हैं। इससे समय, इंधन की अतिरिक्त खर्च होती है। साथ ही कई अन्य परेशानियों का सामना भी शिक्षकों को करना पड़ता है। चर्चा के क्रम में शिक्षकों ने कहा कि अत्यधिक दबाव के कारण शिक्षक बेहतरीन आउटपुट नहीं दे पा रहे हैं।

प्रीमियर कॉलेज में भी सुविधा नहीं

विश्वविद्यालय के प्रीमियर कॉलेज गणेश लाल अग्रवाल की स्थिति बहुत खराब हो गई है। कॉलेज में शिक्षकों के कुल 74 पद सृजित है लेकिन केवल 18 कार्यरत है। 20 शिक्षकों को दूसरे महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यों में प्रतिनियुक्त कर दिया गया है। कॉलेज में 18 विभाग संचालित है जिसके लिए केवल नौ क्लास रूम है। इनमें ही स्नातक और स्नातकोतर के सभी सेमेस्टर के विद्यार्थियों का अध्यापन किया जाता है। कॉलेज के गणित, अर्थशास्त्र, वनस्पति विज्ञान और कुड़ुख विषय में एक भी शिक्षक नहीं है।

समस्याएं

1. एनपीयू और अधीनस्थ अंगीभूत व राजकीय कालेज में शिक्षकों का पद बड़ी संख्या में रिक्त है। इससे अत्यधिक दबाव है।

2. शिक्षकों की प्रोन्नति और एरियर भुगतान काफी समय से लंबित हैं। नवनियुक्त शिक्षकों की सेवा संपुष्टि में भी काफी परेशानी है।

3. शिक्षकों को अतिरिक्त प्रभार दिए जाने से परेशानी बढ़ रही है। कई को मुख्यालय से बाहर प्रतिनियोजित किया गया है।

4. प्रयोगशाला, पुस्तकालय में उपकरण, पुस्तक आदि का घोर अभाव है। इससे अध्ययन, शोध आदि कार्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

सुझाव

1. एनपीयू प्रशासन शिक्षकों का एरियर भुगतान तत्काल सुनिश्चित करें। प्रोन्नति के मामले का निष्पादन किया जाए।

2. एनपीयू परिसर और अंगीभूत तथा राजकीय महाविद्यालय में आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का तत्काल विकास किया जाए।

3. पुस्तकालय और प्रयोगशाला में आवश्यक उपकरण, रसायन व अद्यतन पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए।

4. शिक्षकों के रिक्त पद के विरुद्ध शीघ्र बहाली की जाए। साथ ही विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या के अनुरूप स्वीकृत पद में भी बढ़ोतरी की जाए।

इनकी भी सुनिए

शिक्षकों का लंबित एरियर भुगतान से संबंधित कार्य विश्वविद्यालय स्तर पर पूरा कर लिया गया है। ट्रेजरी से भुगतान की प्रक्रिया शीघ्र पूरी होने की उम्मीद है। प्रोन्नति का काम भी विश्वविद्यालय स्तर से पूरा है। मामला जेपीएससी स्तर पर विचाराधीन है।

प्रो. दिनेश कुमार सिंह, कुलपति, एनपीयू

एनपीयू के शिक्षक काफी दबाव में काम कर रहे हैं। इसका निदान निकाले बगैर बेहतर शैक्षणिक माहौल संभव नहीं है। शिक्षक प्रोन्नति, एरियर का भुगतान आदि के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। इसका उनके मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

डॉ आरके झा, अध्यक्ष, शिक्षक संघ

महाविद्यालय के विज्ञान संकाय में प्रयोगशाला की स्थिति बहुत खराब है। लैब उपकरण रखे रखे खराब हो रहे हैं। कॉलेजों में लैब असिस्टेंट नहीं है। बिजली भी ठीक नहीं है।

डॉ जसबीर बग्गा

विश्वविद्यालय में शोध की स्थिति बहुत खराब है। शोध इंचार्ज नहीं हैं। उन्हे मनिका कॉलेज में प्रतिनियोजित कर दिया गया है। इससे शोध कार्य प्रभावित है।

डॉ ऋचा सिंह

विश्वविद्यालय के शिक्षकों का छठे वेतनमान का 66 फीसदी एरियर की राशि 2010 से लंबित है। वहीं पिछले दो महीने से वेतन का भुगतान भी नहीं किया गया है।

डॉ लीना कुमारी

महिला शिक्षिकाओं और छात्राओं के लिए कॉलेजों में अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था नहीं है। पेयजल की भी सुविधा नहीं है। कॉलेज में सफाई नहीं होती है।

डॉ एना हांसदा

कॉलेज में विद्यार्थियों की उपस्थिति को बढ़ाने और छात्रों को कॉलेजों से जोड़ने के लिए दुरस्त छात्रों के लिए विश्विद्यालय स्तर से बस की सुविधा करनी चाहिए।

डॉ आयना एम एस

विवि में पदाधिकारी एवं कर्मचारियों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर निदान किया जाना चाहिए। नव नियुक्त सेवा संपुष्टि की त्रुटियां दूरकी जाएं।

डॉ वीरेंद्र कुमार

शिक्षकों का वेतन और एरियर का भुगतान समय पर किया जाना चाहिए। कई शिक्षक लोन लिए हुए हैं। इसे भरने में परेशानी होती है। दो माह से वेतन नहीं मिला। डॉ पुरन कुमार साव

एनपीयू के अंदर रोजगार परक कोर्स को बढ़ावा देना चाहिए। विश्वविद्याल के कॉलेज में आधारभूत सुविधाओं को ठीक करने की जरूरत है।

डॉ सुरेश पाल

एनपीयू व कॉलेज में छात्रावास की भी व्यवस्था होनीचाहिए ताकि गरीब छात्र रहकर पढ़ाई कर सकें। इस दिशा में अबतक समुचित पहल नहीं हो सकी है।

डॉ अरूणा खाखा

महाविद्यालयों से बड़ी संख्या में छात्रों का चयन केंद्रीय और राज्य सरकार के बड़े पदों होता है। लेकिन उनका कोई डेटा संग्रहित नहीं होने से शिक्षकों और छात्रों का मनोबल नीचा है। डॉ विभेष कुमार चौबे

कॉलेजों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय तत्काल एवं समुचित वित्तीय व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराया जाता है। बुनियादी सुविधा नहीं हैं।

डॉ भीम राम

पिछले एक साल से विभागाध्यक्ष के पद को अतिरिक्त प्रभार के रूप में सौंपा जा रहा है। इससे शोध एवं अन्य शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है।

डॉ राजेन्द्र सिंह

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