बोले रामगढ़ : खेती का समय है बाबू, खाद-बीज अब नहीं तो कब, पूछ रहे किसान
हजारीबाग के डाड़ी प्रखंड के किसान मानसून के दौरान खेती शुरू करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें समय पर बीज और खाद नहीं मिल रहा है, जिसके कारण उन्हें कालाबाजारी से खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा...
गिद्दी। हजारीबाग के डाड़ी प्रखंड के चौदह पंचायत में से तीन पंचायत छोड़ कर ग्यारह पंचायत के लोग किसान हैं। ग्यारह पंचायत के विभिन्न गांव के लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से खेती पर निर्भर हैं। आठ जून को रोहणी नक्षत्र समाप्त हो गया है और मृगडाह नक्षत्र शुरू हो गया है। मान्यता है रोहणी नक्षत्र में हल्की बारिक होने से खेत में नमी मिल जाती है और किसान खेत जोत कर छोड़ देते हैं। जो किसान के खेती के लिए लाभदायक होता है। हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ की टीम से किसानों ने कहा की हमें समय पर बीज और खाद का उपलब्ध नहीं होता है।
डाड़ी प्रखंड में मानसून की दस्तक देने के साथ ही किसान अपने खेतों में खेती का काम शुरू कर देते हैं। क्योंकि डाड़ी प्रखंड में किसानों की अधिकतर खेती मनसून से जुड़ा हुआ है। अच्छी बारिश हुई तो और समय पर बुवाई, रोपाई का काम हुआ और समय समय पर बारिश होता रहा तो अच्छी खेती होगी अन्यथा अच्छी खेती नहीं होती है। इस सब में भी समय पर बीज और खाद का उपल्बध कराया जाना सबसे जरुरी होता है। सरकारी अनुदानित दर पर समय पर खाद और बीज नहीं मिलने के कारण किसान कालाबाजार से बीज और खाद खरीदने पर मजबूर होते हैं। यही यदि सरकारी अनुदानित दर पर समय पर किसान को बीज और खाद मिल जाए तो किसानों को खेती से लाभ होगा। सरकार के संबंधित कृषि विभाग की लचर व्यवस्था के कारण किसानों को समय पर पर्याप्त खाद और बीज उपलब्ध नहीं कराया जाता है। जिसके कारण प्रखंड क्षेत्र के किसान खेती-किसानी छोड़कर खुला बाजार में बीज और खाद के लिए भटकते हैं। खरीफ सीजन में फसल उफज के लिए जितनी बीज और खाद की आवश्यकता होती है उतना बीज और खाद उपलब्ध नहीं होता है। ऐसे में किसानों को किला बाजार से महंगा बीज, खाद और दवा खरीद कर खेती करने के बाद किसानों चितिंत हो रहे हैं। किसान पहले बीज के लिए भटकते हैं और बीज बोने के फसल बोने के बाद अब किसान पोटॉश, डीएपी, और दानेदार खाद के लिए भटकते हैं। डाड़ी प्रखंड के किसान संगठन के नेता रह चुके राजेंद्र गोप, बहादूर बेदिया, लालदेव महतो, हुसैनी मियां ने कहा कि डाड़ी प्रखंड में अच्छी बारिश होने पर यहां के किसान धान, अरहर, बादाम, भदई में मकई आदि उपजाते हैं। किसान के धान पैदा होने पर उसे पैक्स में सरकारी दर पर खरीदा जाता है। पर इनके उपजाए गए अन्य फसल पैक्स में सरकारी दर पर नहीं खरीदा जाता है। जिसके कारण किसानों उपजाए गए अन्य फसल खुला बाजार में औने पौने कीमत पर बेचना पड़ता है। जिससे किसानों को नुकसान होता है। सरकार को किसानों के उपजाए गए विभिन्न तरह के फसल के खरीदने के लिए प्रखंड स्तर पर व्यवस्था कराना चाहिए। ताकि किसानों को खेती करने से अधिकतम लाभ मिल सके। इससे बेरोजगार रहने वाले युवा खेती करने के लिए प्रेरित हो सकें। यहां के किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था नहीं है, जिससे किसानों को खेती में काफी परेशानी होती है। ऐसे में सरकार और कृषि विभाग को आधितर किसानों को सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध कराना चाहिए। साथ ही कम से कम पानी खर्च करके कैसे बेहतर खेती किया जा सके, इसके लिए प्रखंड के किसानों को समय समय पर ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है। साथ ही प्रखंड के किसानों को खेती के समय अधिक से अधिक बिजली उपलब्ध कराना चाहिए। सिंचाई फसलों की पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृत्रिम रूप से पानी देने की प्रक्रिया की जानकारी भी किसानों को दिए जाने की जरुरत है। सिंचाई के माध्यम से फसलों को पोषक तत्व भी प्रदान किए जा सकते हैं। सिंचाई के लिए पानी के विभिन्न स्रोत हैं जिसमें कुएं, तालाब, झीलें, नहरें, ट्यूबवेल बांध आदि शामिल है। प्रखंड के किसानों को मिले सिंचाई की व्यवस्था पहले की खेती मानसून पर आधारित थी। पर आधुनिक खेती के लिए मानसून के साथ सिंचाई की व्यवस्था जरुरी है। पर डाड़ी प्रखंड में अधिकतर किसान के पास सिचाई की व्यवस्था नहीं है। जिनके पास है भी वे मामूली स्तर की है। जिससे छोटे स्तर पर सब्जी आदि सिर्फ उपजा सकते हैं। खरीफ और भदंई फसल उपजाने के किसानो को मानसून पर ही निर्भर रहना पड़ता है। डाड़ी प्रखंड के किसानों को मिट्टी जांच की भी सुविधा उपलब्ध नहीं मिट्टी जांच की बात सिर्फ तभी होती है जब बाहर से कृषि संबंधित पदाधिकारी आते हैं। तब बाहर से अधिकारी किसानों को आधुनिक खेती की सब्जी बाग दिखाते हैं मिट्टी की जांच करके खेती करने की जानकारी देते हैं। पर संबंधित टीम के जाने के बाद फिर सब ज्यों का त्यों स्थिति हो जाता है। जब कि जब से बीज सरकार देने लगी है तब से मिट्टी जांच कर खेती जरुरी हो गया है। बीज और खाद की कालाबाजारी से अन्नदाता हैं परेशान कृषि विभाग के समय पर अनुदानित बीज और खाद नहीं मिलने पर किसान को मजबूरी में कालाबाजार से बीज और खाद खरीदना पड़ता है। जिससे बीज और खाद खरीदने वाले किसानों की संख्या अधिक हो जाती है। इसलिए बीज और खाद बेचने दुकानदार किसानों को अधिकदाम कीमत पर बीज और खाद बेचने लगते हैं। इस तरह किसानों को बीज और खाद खरीदने में अधिक पैसा भी लग जाता है। समय पर नहीं मिलता है बीज और खाद डाड़ी प्रखंड के किसानों ने बताया समय पर अनुदानित बीज और खाद नहीं मिलता है। जिसके कारण किसान की खेती समय पर नहीं हो पाता है। किसान बताते हैं कृषि विभाग की ओर से समय पर बीज और खाद देने की प्रयास के बाद भी बिचौलिए इतने हावी हो जाते हैं कि बीज और खाद किसान तक पहुंचने में देर होना स्वाभाविक है। किसानों ने कहा प्रखंड में जैसे मनरेगा और विकास के अन्य कार्य के लिए अलग फंड होते हैं वेसे कृषि के लिए भी अलग से फंड मिलता तब संभवत किसान को बीज और खाद मिलने में देर नहीं होता। कृषि के लिए प्रखंड में फंड अलग से नहीं होने से प्रखंड के कृषि पदाधिकारी और किसान मित्र चाहकर भी किसानो को लाभ नहीं पहुंचा पाते हैं। फसल का उचित दाम नहीं मिलता डाड़ी प्रखंड के किसानों के फसल के उपज होने के बाद उसका उचित दाम नहीं मिल पाता है। जब तक सरकार धान आदि फसल खरीदने की दर निर्धारित करती है और निर्देश देती है तब तक किसान मजबूरी में खुले बाजार में अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं पैक्स के सरकारी दर पर फसल के खरीदने पर किसानों को बेचे गए फसल का समय पर पैसा भी नहीं मिलता है। किसानों को समय पर बीज और खाद मिले, इसलिए जिला कृषि पदाधिकारी को सूचित किए हैं। जैसे ही प्रखंड में मुफ्त-अनुदानित बीज-खाद आएगा। किसानों को सूचना दी जाएगी ताकि वे ले जाएं। डाड़ी प्रखंड के पैक्स वाले अनुदानित बीज और खाद के लिए आधा पैसा नहीं लगाते है जिससे अनुदानित खाद और बीज देर से मिलता है। - देवेंद्र कुमार,प्रखंड कृषि पदाधिकारी डाड़ी प्रखंड के किसानों को विभाग से समय पर बीज, खाद और दवा उपलब्ध नहीं कराया जाता है। किसानों को समय पर बीज, खाद और दवा मिल सके, इसके लिए सरकार ध्यान दे। हेमंत सोरेन की पहली सरकार में किसानों को समय पर बीज और खाद उपलब्ध कराया जाता था। पर दूसरे कार्यकाल में इसमें ढिलाई बरती जाने लगी है। -सर्वेश कुमार सिंह,जिप सदस्य कृषि विभाग तकनिक से खेती कराने का दावा करती है। किसानों को जागरूक करने के लिए कोई कदम नहीं उठाती है। -सेवालाल महतो किसानों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। इस मामले में किसान मित्र भी किसानों को सहयोग नहीं करते हैं। -कैलाश महतो किसानों को मिट्टी जांच करके खेती करने की बात तो कही जाती है। पर सरकार के तरफ से इसकी व्यवस्था नहीं कराई जाती है। -अमृत राणा किसान मेहनत से खेती करते हैं और धान आदि फसल उगाते हैं पर पैक्स में बेचे गए धान का पैसा किसान को समय पर नहीं मिलता है। -बालदेव महतो आवंटित बीज और खाद समय खत्म होने पर मिलता है। पैसा वाले किसान तो बीज-खाद खरीद लेते हैं पर गरीब किसान पिछड़ जाते हैं। -सुंदरलाल बेदिया कृषि विभाग मानसून की जानकारी समय पर किसानों को नहीं देती है। जिसके कारण किसान बेमौसम खेती करते हैं और उन्हें नुकसान होता है। -श्रीनाथ महतो प्रखंड के किसानों को सरकार के तरफ से अनुदानित दर पर बीज, खाद और दवा मिलता है। पर यह सुविधा देर से मिलती है। -राजकुमार लाल किसानों को खेत के आधार पर बीज उपलब्ध नहीं कराया जाता है जिसके कारण सही पैदवार नहीं होता है। किसान पिछड़ जाते हैं। -राजेश महतो जानकारी के अभाव में किसान किसी भी खेत में कोई फसल लगा देते हैं जिससे अच्छी फसल नहीं होती है और उन्हें हानि होती है। -रामफल महतो किसानों के खेत के उपजाउ बनाने के लिए कोई योजना नहीं पहुंचती है। जिसके कारण किसानों को कोई जानकारी नहीं मिल पाता है। -अमृत महतो किसानों को समय पर बीज और खाद नहीं मिलता है। जिससे किसानों को कालाबाजार से बीज और खाद खरीदना पड़ता है। -जगदीश महतो कृषि विभाग को समय पर सभी किसानों को बीज और खाद उपलब्ध कराना चाहिए। ताकि किसान समय पर फसल की बुआई कर सकें। -सुखराम मांझी
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