प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की जांच का आदेश
राज्य के सभी उपायुक्तों से हाईकोर्ट ने निस्तारण की जानकारी मांगी थी, सभी उपायुकतों ने नियमों के अनुसार निस्तारण की बात कही

रांची। विशेष संवाददाता राज्य के अस्पतालों और नर्सिंग होम से निकलने वाले कचरों का नियमों के अनुसार निस्तारण किए जाने की उपायुक्तों की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जांच का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने सोमवार को बोर्ड को उपायुक्तों के दावे की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी। पूर्व में हाईकोर्ट ने झारखंड ह्यूमन राइट कंफडरेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों से मेडिकल वेस्ट के निस्तारण पर जवाब मांगा था।
सभी उपायुक्त ने नियमों के अनुसार निस्तारण करने की बात कही है। फरवरी 2025 को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य के सभी जिलों के डीसी से पूछा था कि उनके जिले में स्थित नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटल से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की क्या व्यवस्था है। इस पर उपायुक्तों ने जवाब दाखिल किया। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि झारखंड में अभी पांच जगहों लोहरदगा, रामगढ़, पाकुड़, धनबाद एवं आदित्यपुर में बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट चल रहे हैं, जबकि देवघर में अभी बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बन रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को चालू रखने के लिए अनुमति देना था, जिसे उसने दे दिया है। प्रार्थी ने याचिका में झारखंड में एनवायरमेंटल प्रोटक्शन एक्ट के अंतर्गत बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल मैनेजमेंट रूल को लागू कराने का आग्रह किया है। कहा गया है कि राज्य में अस्पतालों, क्लीनिक, नर्सिंग होम आदि जगहों से बायोमेडिकल वेस्ट के निष्पादन के लिए एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत बायो वेस्ट मैनेजमेंट हैंडलिंग रूल का प्रावधान झारखंड में लागू होना चाहिए।
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