एटूजेड के मामले में हाईकोर्ट ने कॉमर्शियल कोर्ट के फैसले को पलटा
झारखंड हाईकोर्ट ने रांची नगर निगम और एटूजेड वेस्ट मैनेजमेंट के बीच विवाद पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कॉमर्शियल कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के अवार्ड को रद्द...

रांची, विशेष संवाददाता। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने रांची नगर निगम और एटूजेड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड के बीच चल रहे विवाद पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कॉमर्शियल कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के अवार्ड को रद्द कर दिया गया था। कोर्ट ने कॉमर्शियल कोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि कोर्ट ने आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के फैसले में अनुचित हस्तक्षेप किया था। कॉमर्शियल कोर्ट ने एटूजेड के वाहनों की आपूर्ति से संबंधित दावे में धोखाधड़ी के आधार पर अन्य दावों, जैसे टिपिंग फीस और लागतों से संबंधित अवार्ड को भी रद्द कर दिया, जो गलत था।
हाईकोर्ट ने एटूजेड की अपील को स्वीकार करते हुए आर्बिट्रल अवार्ड को बहाल कर दिया। तीन जून 2011 को हुआ था एक कंसेशन समझौता इस संबंध एटूजेड की ओर से कॉमर्शियल कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि वर्ष 2011 में आरएमसी और एटूजेड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के बीच रांची में म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एक समझौता हुआ था। बाद में एटूजेड ने एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) बनाया, जिसके साथ तीन जून 2011 को एक कंसेशन समझौता हुआ। अनुबंध के क्रियान्वयन के दौरान दोनों पक्षों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया और एटूजेड का 27 दिसंबर 2013 को अनुबंध समाप्त कर दिया। इसके बाद एटूजेड ने आर्बिट्रेशन का हवाला देते हुए सात अप्रैल 2014 को मध्यस्थता का दावा किया। 11 मई 2018 को आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने एटूजेड के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आरएमसी को 6.41 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। ट्रिब्यूनल ने एटूजेड के कुछ दावों को स्वीकार किया, जबकि कुछ को खारिज कर दिया। आरएमसी ने इस फैसले को कॉमर्शियल कोर्ट में चुनौती दी। कॉमर्शियल कोर्ट ने आर्बिट्रल अवार्ड को पूरी तरह से रद्द कर दिया। आरएमसी की अपील खारिज रांची नगर निगम ने भी कॉमर्शियल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी। लेकिन, 320 दिनों की देरी के कारण हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरएमसी ने देरी के लिए कोई वाजिब कारण नहीं बताया और इसलिए उसकी अपील स्वीकार नहीं की जा सकती है।
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