जोहार परियोजना : झारखंड में ग्रामीण विकास की मिसाल बनी, विश्व बैंक से मिला सम्मान
17 जिलों के 68 प्रखंड की 2.25 लाख ग्रामीण महिला उत्पादक परिवार कवर, विश्व बैंक की 70% ऋण सहायता और राज्य सरकार का 30 प्रतिशत अंशदान

रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। झारखंड अवसर योजना जोहार ने राज्य के ग्रामीण विकास के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मई 2017 से जून 2024 तक इस महत्वाकांक्षी परियोजना को झारखंड सरकार द्वारा विश्व बैंक की 70 प्रतिशत ऋण सहायता और राज्य सरकार के 30 प्रतिशत अंशदान के साथ चलाया गया। इसे ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की ओर से लागू किया गया। परियोजना का मुख्य उद्देश्य झारखंड के 17 जिलों (गढ़वा, चतरा, कोडरमा, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा और साहेबगंज को छोड़कर) के 68 प्रखंडों में लगभग 2.25 लाख ग्रामीण महिला उत्पादक परिवारों की आय को बढ़ाना और विविध बनाना था।
योजना के अंत तक कुल ₹833.34 करोड़ के बजट में से लगभग 98 प्रतिशत राशि खर्च हो चुकी थी। परियोजना में दो लाख से अधिक किसानों तक कृषि संसाधनों और सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित की गई। विभाग का मानना है कि जोहार परियोजना झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका, उद्यमिता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सशक्त कदम रही। यह परियोजना न केवल राज्य, बल्कि पूरे देश के लिए एक मॉडल के रूप में उभरी है। जोहार की प्रमुख उपलब्धियां ग्रामीण परिवारों की औसत वार्षिक आय में 30 प्रतिशत की अपेक्षा के मुकाबले 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कुल 17 लक्ष्यों में से 14 में लक्ष्य से अधिक प्रदर्शन किया गया। कुल 3922 उत्पादक समूह गठित किया गया। इनमें 2,24,286 परिवार शामिल हैं। 21 किसान उत्पादक संगठन स्थापित किये गये। 35 ग्रामीण बिजनेस हब, 28 पशु सेवा केंद्र बने। ₹205 करोड़ का व्यापार और ₹14 करोड़ का अंश पूंजी संग्रहण हुआ। कृषि और सिंचाई कृषि और सिंचाई में 155,902 परिवार उच्च मूल्य वाली खेती से जुड़े। 554 पॉली हाउस नर्सरी से 2.5 करोड़ मिट्टी रहित पौधे वितरित किये गये। 1131 सौर लिफ्ट सिंचाई योजनाएं, 1309 चलित सौर पंप, 6648 हेक्टेयर भूमि सिंचित की गई। मछली पालन में 17 जलाशयों में पेन कल्चर, 8729 जलाशयों में मछली पालन, 18153 परिवारों को मछली पालन से जोड़ा गया। पशुपालन और अंडा उत्पादन पशुपालन और अंडा उत्पादन में 300 परिवार बसिया (गुमला) में और 158 परिवार चास (बोकारो) में लेयर फार्मिंग से जुड़े। एक लाख अंडों का प्रतिदिन उत्पादन हुआ। 2.5 लाख मुर्गियों की ब्रॉयलर उत्पादन क्षमता रही। अन्य उपलब्धियां 554 पॉली हाउस नर्सरियां स्थापित, जिनसे 2.5 करोड़ मृदारहित पौध वितरित किये गये। 16,775 सामुदायिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया। 39 ब्लॉकों में कस्टम हायरिंग सेंटर्स की ओर से 14,000 ऑर्डर पूरे कर ₹1.4 करोड़ का व्यवसाय किया।
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