बोले रांची असर : 50 हजार गिग श्रमिकों ने कहा- थैंक यू हिन्दुस्तान
झारखंड सरकार ने गिग श्रमिकों के लिए कल्याण बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया है। इस बोर्ड के तहत जोमैटो, स्विगी, ओला और उबर जैसे प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले करीब 50,000 गिग वर्कर्स का निबंधन किया...

रांची, संवाददाता। झारखंड में प्लेटफॉर्म आधारित कार्य कर रहे गिग वर्कर्स के लिए गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा। इसके तहत जोमैटो, स्विगी, ओला, उबर समेत अन्य प्लेटफॉर्म श्रमिकों का निबंधन किया जाएगा। राज्य सरकार ने बुधवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड वर्कर्स (निबंधन व कल्याण) विधेयक, 2025 के अधिनियमन की स्वीकृति दे दी है। इस कदम से राज्य के करीब 50 हजार गिग वर्कर्स, जो जोमैटो, स्विगी, ओला, उबर जैसे अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे हैं, उन्हें सामाजिक सुरक्षा और अन्य लाभों का संरक्षण मिलेगा। इस पर सभी ने कहा- थैंक यू हिन्दुस्तान।
बता दें कि आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने बोले रांची अभियान के तहत राज्य में काम कर रहे गिग वर्कर्स की आवाज प्रमुखता से उठाई, जिसे सरकार ने इस वर्ग की परेशानियों को गंभीरता से लेकर अच्छी पहल की। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने बोले रांची अभियान के तहत जब कैब चालकों से उनकी समस्याओं पर बात की थी। उन्होंने बताया था कि कैसे ऐप आधारित कार राइड सेवा से जुड़े चालकों के लिए यह पेशा अब चुनौतियों से भरा हो गया है। भले ही यह आम जनता के लिए सहूलियत बनी हों, लेकिन इन सेवाओं से जुड़े चालकों के लिए यह पेशा अब चुनौतियों से भरा होता जा रहा है। कैब चालकों का कहना था कि बीते कुछ सालों में ईंधन के दाम 65 से 100 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गए हैं। पर, कंपनियों की अपनी प्रतिस्पर्द्धा में राइडर को मिलने वाली राशि घटती जा रही है। उन्होंने बताया था कि पहले जहां उन्हें एक राइड के लिए प्रति किलोमीटर 20-25 रुपये मिलता था। अब यह घटाकर आठ-दस रुपये कर दिया गया है। दूसरी तरफ कई कंपनियों ने राईड लेने के लिए अनिवार्य रिचार्ज की व्यवस्था भी शुरू कर दी है। इससे उनकी कमाई घटती जा रही है। पर, खर्च बढ़ते जा रहे हैं। उनका कहना है कि कैब चलाकर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। गौरतलब है कि गिग इकॉनमी का अर्थ, ऐसा आर्थिक ढांचा है, जिसमें लोग फुल-टाइम नौकरी के बजाय छोटे-छोटे कार्य (गिग्स) करके कमाते हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे जोमैटो, स्विगी, ओला, उबर, अमेज़न, फ्लिपकार्ट आदि पर काम करने वाले डिलीवरी एग्जीक्यूटिव्स, कैब ड्राइवर्स, बाइक राइडर्स, फ्रीलांसर, और अन्य सेवाएं देने वाले गिग वर्कर्स की श्रेणी में आते हैं। झारखंड में हाल के वर्षों में डिजिटल सेवाओं के बढ़ते उपयोग के साथ इस तरह के कामगारों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में इनकी संख्या करीब 50,000 हजार है। इनमें अधिकांश युवा हैं जो रोजगार के सीमित विकल्पों के चलते इन सेवाओं से जुड़े हैं। हालांकि, गिग इकॉनमी ने जहां युवाओं को रोजगार के नए अवसर दिए हैं। लेकिन, दूसरी तरफ इससे जुड़े श्रमिकों को पारंपरिक नौकरियों की तरह कोई सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा, पीएफ, ईएसआई जैसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। साथ ही अनियमित आय, लंबे कार्य घंटे, बीमा, दुर्घटना सुरक्षा और चिकित्सा सुविधाओं का अभाव और रोज़गार की अस्थिरता की परेशानी भी बनी रहती है। प्लेटफॉर्म कंपनियों पर लगे टैक्स : गिग वर्कर द्वारा किए गए प्रत्येक कार्य, जैसे डिलीवरी, राइड या घरेलू काम, पर ऐप संचालक कंपनियों से टैक्स वसूला जाए। इस टैक्स से गीग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याण कोष का गठन किया जाए। यह कोष श्रमिकों के लिए बीमा, पेंशन और अन्य योजनाओं को वित्तपोषित करेगा। इससे गीग वर्कर्स की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी। कंपनियों की जवाबदेही बढ़ेगी, जो श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। शिकायत निवारण तंत्र हो स्थापित : गिग वर्कर्स के लिए एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया जाए। इस सिस्टम के माध्यम से श्रमिक अपनी समस्याएं सरकार के समक्ष रख सकें और त्वरित समाधान प्राप्त कर सकें। यह तंत्र पारदर्शी और सुलभ होगा, ताकि गीग वर्कर्स अपनी शिकायतें आसानी से दर्ज करा सकें। बोर्ड इस प्रक्रिया की निगरानी करेगा। श्रमिक कल्याण बोर्ड कानून लागू हुआ तो झारखंड होगा पहला राज्य झारखंड सरकार यदि गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड का गठन करती है और इसे लागू करती है, तो वह ऐसा करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। इससे पहले राजस्थान ने गीग श्रमिक कल्याण बोर्ड बनाया। इसके बाद कर्नाटक ने, झारखंड तीसरा राज्य है, जिसने इस दिशा में कदम उठाया। यदि यह कानून लागू होता है, तो झारखंड गिग श्रमिकों के कल्याण के लिए कानूनी ढांचा लागू करने वाला पहला राज्य होगा। सभी वर्गों को श्रमिक कल्याण बोर्ड में दी जाए जगह गीग वर्कर्स ने मांग की है कि झारखंड गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड में एक श्रम विभाग का प्रतिनिधि, एक यूनियन सदस्य, एक कंपनी का अधिकारी और एक समाजसेवी को शामिल किया जाए। ये बोर्ड समाजसेवी गीग वर्कर्स के लिए कल्याणकारी योजनाएं तैयार करेगा। बोर्ड का उद्देश्य गीग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा, बेहतर कार्य परिस्थितियां और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना रहे। सामाजिक सुरक्षा के लिए बनें योजनाएं, अधिकार सुरक्षित रहें गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं बनाई जाएं, जैसे स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा, पेंशन, और बेरोजगारी भत्ता। मुआवजे की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। ये योजनाएं गीग श्रमिकों को आर्थिक और सामाजिक स्थिरता प्रदान करेंगी। बोर्ड इन योजनाओं को लागू करने के लिए प्रभावी नीतियां बनाएगा, ताकि गीग वर्कर्स की कार्य परिस्थितियां बेहतर हों। उनके अधिकार सुरक्षित रहें। हितों की रक्षा, कल्याण के लिए नीतियां बनेंगी झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो गिग वर्कर्स के हितों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए नीतियां बनाएगा। यह बोर्ड गिग वर्कर्स की समस्याओं को सुनने और उनके समाधान के लिए एक संस्थागत ढांचा प्रदान करेगा। जोमैटो, स्विगी, ओला, उबर जैसे प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले सभी गिग वर्कर्स का पंजीकरण अनिवार्य होगा। इससे उनकी पहचान, कार्य परिस्थितियों और जरूरतों का एक डेटाबेस तैयार होगा, जो नीति निर्माण में सहायक होगा। गिग वर्कर्स के लिए एक विशेष कल्याण फंड बनाया जाएगा। इस फंड का उपयोग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाएगा। ठोस नीतियां बनेंगी गिग इकॉनमी ने जहां रोजगार के नए रास्ते खोले हैं, वहीं इससे जुड़े श्रमिक कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्हें न तो सामाजिक सुरक्षा, बीमा, पीएफ जैसी सुविधाएं मिलती हैं और न ही स्थायी आय का भरोसा। अनियमित आय, लंबे कार्य घंटे, अत्यधिक लक्ष्य और चिकित्सा सुविधाओं की कमी उनकी बड़ी चुनौतियां हैं। राज्य सरकार की इस पहल से गिर वर्कर्स के लिए ठोस नीतियां बनेंगी। झारखंड तीसरा राज्य बनेगा हिन्द़ुस्तान अखबार ने गिग वर्कर के लिए खबर प्रकाशित किया, इसके लिए धन्याव। सरकार अगर गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड कानून लागू करती है तो ऐसा करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। इससे पहले राजस्थान में कल्याण बोर्ड बना, दूसरा कर्नाटका है, तीसरा झारखंड है। बोर्ड के गठन से गिग वर्कर को काफी लाभ होगा, जिसकी हम सभी की मांग थी। -सुरेंद्र सिंह हम पहली बार महसूस कर रहे हैं कि हमें भी श्रमिक माना जा रहा है। अब सरकार हमारी सुरक्षा के लिए कदम उठा रही है, यह अच्छी बात है। सरकार के इस कदम से समानता आएगी। दिन भर लगे रहने के बाद भी कमाई काफी कम होती है। यह कदम उनकी आय बढ़ाने और कार्यक्षमता सुधारने में सहायक होगा। सरकार को इस दिशा में त्वरित कदम उठाने चाहिए। -राजेश महतो बोर्ड से लाभ 1. सरकार के इस कदम से गीग अर्थव्यवस्था में कार्यरत श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाएगी। 2. ये बोर्ड समाजसेवी गीग वर्कर्स के लिए कल्याणकारी योजनाएं तैयार करेगा। 3. यह कदम गिग अर्थव्यवस्था में कार्यरत श्रमिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाएगा। 4. बोर्ड का उद्देश्य गीग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा, बेहतर कार्य परिस्थितियां तैयार करना है। 5. यह संरचना हितधारकों के सहयोग से श्रमिकों की मदद की जाएगी। सुझाव 1. एक बुकिंग एक ही ड्राइवर को दी जाए, उसके द्वारा स्वीकार नहीं किए जाने पर ही दूसरे ड्राइवर को यह भेजा जाय। 2. शहर में सीएनजी स्टेशन की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए। 3. शहर में अनावश्यक तरीके से पार्किंग चार्ज की वसूली पर रोक लगनी चाहिए, विभाग इसके लिए ठोस कदम उठाएं। 4. निजी वाहनों के वाणिज्यिक इस्तेमाल की जांच हो। 5. बाइक-कार राइड सर्विस देने वाली कंपनियों के कार्यालय खोलने के लिए नियम बनाए जाएं। पारदर्शी शिकायत निवारण तंत्र बनाया जाए हम सालों से बिना किसी सुविधा के काम कर रहे थे। अब अगर बोर्ड बनता है और हमें बीमा, मेडिकल व सुरक्षा मिलेगी, तो हमारी जिंदगी बदल सकती है। -बिरंची कुमार फील्ड में हमें प्रोटेक्शन मिले। सुरक्षा के दिशा में प्रयास होना चाहिए था। शहर में बड़ी संख्या में राइडर काम कर रहे हैं। इनकी तादाद बढ़ रही है। -नीतीश कुमार हिन्दुस्तान का आभार। राइडर्स जो काम कर रहे हैं, उनके लिए सुविधाएं होनी चाहिए। उनके सुरक्षा के लिए कानून बनने चाहिए। -अमित कुमार शहरों में सीएनजी स्टेशन की संख्या बढ़ाई जाए। इससे गिग वर्कर्स को ईंधन भराने में समय बचेगा और वे अधिक काम कर सकेंगे। -रणजीत कुमार सिंह ओला, ऊबर कार्यालय न होने से हम ड्राइवर भाइयों का कोई समस्या सुनने वाला नहीं है। सरकार इस दिशा में भी प्रयास करे। -देवनंदन कुमार यादव आभार हिंदुस्तान अखबार, यह गिग वर्कर्स के लिए उचित प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करेगा। नियमों का पालन करवाकर हितों की रक्षा करे। -अंकित कुमार सिंह प्रत्येक गिग कार्य पर ऐप कंपनियों से टैक्स लेकर कल्याण कोष बनाया जाए। यह कोष बीमा, पेंशन और अन्य योजनाओं को वित्तपोषित करेगा। -अजय भगत झारखंड सरकार गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड बनाकर इसे लागू करे। यह पहला राज्य होगा जो गिग वर्कर्स के लिए कानूनी ढांचा लागू करेगा। -मनीष कुमार गिग वर्कर्स के लिए स्वास्थ्य, दुर्घटना बीमा, पेंशन और बेरोजगारी भत्ता जैसी योजनाएं बनें। ये योजनाएं आर्थिक स्थिरता प्रदान करेंगी। -बबलू मुंडा पारदर्शी नीतियां लागू कर श्रमिकों के हितों की रक्षा हो। झारखंड सरकार इसे प्राथमिकता देने के लिए कानून बना रही है। -पुरुषोत्तम कुमार
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