बोले रांची: मजदूरों को ईएसआई, बीमा न्यूनतम वेतन भी नहीं मिल रहे
9 जुलाई को मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल आयोजित की जा रही है। इसमें 24 मांगें शामिल हैं, जिनमें नए श्रम कोड का विरोध और निजीकरण की नीतियों को रोकने की मांग है। हड़ताल...

खलारी, प्रतिनिधि। विभिन्न इकाइयों में काम करने वाले मजदूरों की परेशानियां अनेक हैं। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि मजदूरों को बुनियादी अधिकार भी नहीं दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई), सामाजिक सुरक्षा योजना, मातृत्व लाभ, जीवन बीमा और न्यूनतम वेतन का लाभ तक नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 9 जुलाई को केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल का आयोजन किया जा रहा है। कोयला उद्योग में हड़ताल को सफल बनाने को लेकर तैयारियां तेज हैं। 9 जुलाई को केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल घोषित की गई है।
इसको लेकर खासतौर पर कोयला उद्योग में हड़ताल को सफल बनाने को लेकर जोरशोर से तैयारियां की जा रहीं हैं। खलारी में सीसीएल के उत्तरी करणपुरा क्षेत्र में 9 जुलाई को घोषित हड़ताल को लेकर श्रमिक संगठनों के द्वारा जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा मनमाने तरीके से 44 श्रम कानून को समाहित कर चार लेबर कोड बनाए जा रहे हैं। इसके विरोध में इस हड़ताल को सफल बनाने की तैयारी की जा रही है। सोमवार को डकरा के ऑफिसर्स क्लब में एनके एरिया के संयुक्त श्रमिक संगठनों के द्वारा हड़ताल को लेकर बैठक की गई। बताया कि बैठक में भारतीय मजदूर संघ छोड़कर सभी यूनियन के पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में सभी यूनियन के पदाधिकारियों ने प्रमुख बिंदुओं पर होने वाली देशव्यापी हड़ताल के विषय में जानकारियां दी। इसमें बताया गया कि यह हड़ताल खासकर मजदूरों के लिए बेहद जरूरी है। क्योंकि, जिस तरह से 44 श्रम कानून में बदलाव कर चार लेबर कोड बनाए गए हैं, उसमें मजदूरों के कई अधिकारों को खत्म कर दिया जाएगा। उद्योगों का मालिकाना हक जिनके पास होगा, वह अपने हिसाब से मजदूरों से काम लेगा। अभी 8 घंटे ही काम करना पड़ रहा है। संभवत: 12 घंटे भी काम करना पड़ सकता है। इस कानून में मजदूरों के संगठन को निष्क्रिय किया जाएगा, जिसके कारण कोयला उद्योग से लेकर देशभर में संचालित विभिन्न उद्योगों में चल रही ट्रेड यूनियन की भूमिका कमजोर हो जाएगी। मजदूरों कीे आवाज को उठाने वाला और लड़ने वाला कोई नहीं रहेगा। चार श्रम कानून में किसी भी सूरत में हड़ताल या आंदोलन नहीं किया जा सकेगा। यह पूरी तरह से औद्योगिक व्यवस्था के खिलाफ साबित होगा। 24 मांगों को लेकर की गई है हड़ताल की घोषणा केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर 9 जुलाई को बुलाई गई एकदिवसीय देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल में 24 प्रमुख मांगें शामिल की गई हैं। यह हड़ताल मुख्यतः श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा, श्रम कानूनों में संशोधन का विरोध और निजीकरण की नीतियों को रोकने की दिशा में एक संगठित प्रयास है। श्रमिक संगठनों की प्रमुख मांगों में चार श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द करना है। कोयला खदानों का निजीकरण बंद करने, कोयला खदानों से व्यावसायिक खनन बंद करने, कोल इंडिया, बीसीसीएल के शेयरों के विनिवेश को रोकना, सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने की किसी भी योजना को रद्द करने, कोल इंडिया और सिंगरेनी कोलियरी कंपनी लिमिटेड में संविदा पर काम करने वाले मजदूरों को हाई पावर कमेटी के निर्णय के अनुसार वेतन का भुगतान करने, कोल वेज 9.4.0 के तहत रोजगार प्रदान करने, 1.1.2017 से सेवानिवृत्त गैर कार्यकारी कर्मचारियों को भी 20 लाख की ग्रेच्युटी प्रदान करने की मांग की गई है। साथ ही असंगठित क्षेत्र, संविदा कर्मियों को 26000 रुपए प्रतिमाह का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन देना सुनिश्चित करने को कहा गया है। मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिले संगठनों ने मांग की है कि निर्माण श्रमिकों की कल्याण निधि में उनके योगदान के आधार पर कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) योजना के अंतर्गत कवरेज दिया जाए। साथ ही ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत सभी असंगठित श्रमिकों को सरकार की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, मातृत्व लाभ, जीवन बीमा और विकलांगता बीमा का लाभ अनिवार्य रूप से दिया जाए। घरेलू श्रमिकों और गृह-आधारित श्रमिकों को अधिकार देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के संबंधित सम्मेलनों की पुष्टि कर उनके लिए उचित और प्रभावी कानून बनाए जाने की मांग की गई है। वहीं प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए नीति बनाई जाए। चार लेबर कोड में महिला मजदूरों के अधिकारों में की गई कटौती यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि चार लेबर कोड लागू करने की प्रक्रिया में महिला मजदूरों के साथ भी अन्याय किया गया है। विशेष रूप से कोयला उद्योग और अन्य क्षेत्रों में कार्यरत महिला मजदूरों के अधिकारों में कटौती की गई है। मातृत्व लाभ, कार्यस्थल की सुरक्षा, समान वेतन और कार्य संतुलन जैसे अधिकारों को कमजोर किया गया है। इससे महिला श्रमिकों का भविष्य असुरक्षित हो गया है। मजदूरों के भविष्य और अधिकारों की रक्षा के लिए हड़ताल जरूरी केंद्रीय श्रमिक संगठनों का मानना है कि मजदूरों के भविष्य और अधिकारों की रक्षा के लिए यह हड़ताल अत्यंत आवश्यक है। नए श्रम कोड लागू होने के बाद मजदूरों को मिलने वाले कई लाभों को समाप्त कर दिया जाएगा और वे बिना किसी सुरक्षा के मालिकों के निर्देश पर काम करने को मजबूर होंगे। उनका कहना है कि इससे मजदूर वर्ग की सामाजिक और आर्थिक स्थिति और अधिक खराब हो जाएगी। समस्याएं 1. केंद्र सरकार की मनमानी के कारण देशभर के मजदूर हड़ताल पर जाने को विवश। 2. मजदूरों की जानकारी के बिना उनके हक अधिकार में कटौती की जा रही है। 3. केंद्रीय श्रमिक संगठन मजदूर हित में लड़ाई लड़ने को विवश हैं। 4. विरोध करने के बाद भी केंद्र सरकार मजदूर की बातों को अनसुना कर रही है। 5. केंद्रीय श्रमिक संगठन अपनी शाख बचाने के लिए हर लड़ाई लड़ने को विवश हैं सुझाव 1. संगठनों का कहना केंद्र सरकार को मजदूर के हितों का ख्याल रखना चाहिए। 2. कोयला उघोग के मजदूरों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। 3. मजदूर हित की आवाज उठानेवाले केंद्रीय श्रमिक संगठन की बात को केंद्र सरकार सुने 4. केंद्रीय मजदूर संगठन के साथ वार्ता करके समस्या का समाधान निकालना चाहिए। 5. देश का कार्य भार देश में कार्यरत मजदूरों पर निर्भर है जिसके हित का ख्याल रखा जाना चाहिए। :: बोले लोग :: मजदूर हित में यह हड़ताल काफी जरूरी है। लगातार सरकार के द्वारा मजदूर और उद्योगों का शोषण किया जा रहा है। श्रम संहिता में बदलाव कर मजदूरों के अधिकारों को छीना जा रहा है। इसके लिए घोषित देशव्यापी हड़ताल पूरी तरह से सफल रहेगी। हमारे क्षेत्र में भी मजदूरों के बीच इसको लेकर जन जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। -शैलेश कुमार एनके एरिया के संयुक्त श्रमिक संगठन की बैठक में हड़ताल पर चर्चा हुई है। सभी यूनिट में मजदूरों के बीच गेट मीटिंग की जाएगी। जिसमें मजदूरों को हड़ताल के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी। इस बार की हड़ताल से प्रबंधन को मजदूरों की ताकत का एहसास दिलाया जाएगा। सरकार मजदूरों के हक और अधिकार पर कई तरह के हमले करते जा रहे हैं। -टुपा महतो 44 श्रम कानून को समाहित कर लेबर कोड में लागू करना मजदूरों के खिलाफ साजिश है। मजदूर चारों तरफ से घिर जाएंगे। -सुधीर राय केंद्रीय श्रमिक संगठन के नेतृत्व में हड़ताल पूरी तरह से ऐतिहासिक होगी। हड़ताल को लेकर मजदूर भी अब एकजुट होने लगे। -देवपल मुंडा यह हड़ताल मजदूरों के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है। श्रम कानून में बदलाव चार लेबर कोड के तहत अधिकारों को छीन जाएगा। -ललन प्रसाद सिंह देशव्यापी हड़ताल को लेकर सभी जगह पर तैयारी की जा रही है। देश के कोने-कोने में हड़ताल का असर अभी से दिखने लगा है। -बलवंत सिंह हड़ताल में क्षेत्रीय समस्याओं को भी रखा जाएगा। मजदूरों की हालत बेहद खराब है। सुविधा के नाम पर उन्हें स्वच्छ पानी भी नहीं मिल रहा है। -दीपक मंडल मजदूरों के काम के घंटे को बढ़ा दिया जाएगा। कंपनियों में मजदूरों की बात करने के लिए जो प्रतिनिधि तय होते हैं, वह अधिकार भी छीन जाएंगे। -प्रेम कुमार हड़ताल में संगठित व असंगठित मजदूर शामिल रहेंगे। असंगठित मजदूर को भी हाई पावर कमेटी का वेतन नहीं मिल पा रहा है। -अजीत पांडे कोयला उद्योग में मेडिकल अनफिट के तहत मिलने वाली आश्रितों की नौकरी 2017 से बंद है। यह मुद्दा भी हड़ताल में शामिल रहेगी। -अजय सिंह लगातार खदानों का निजीकरण किया जा रहा है। स्थाई मजदूर की संख्या कम होती जा रही है। मजदूरों काे सुविधा भी नहीं मिल रही। -गोल्डन प्रसाद यादव आने वाले दिनों में मजदूरों के सामने कई चुनौतियां होंगी। सरकार धीरे-धीरे कोयला खदानों को निजीकरण की ओर ले जा रही है। -अरविंद कुमार केंद्रीय श्रमिक संगठन के नेतृत्व में हड़ताल के लिए पूरी तरह से तैयार है। क्षेत्रीय नेतृत्व के द्वारा मिलने वाले सभी तरह के निर्देशों का पालन किया जाएगा। -नवीन महतो हड़ताल पूरी तरह से सफल होगी। कोयला डिस्पैच रोका जाएगा, मजदूर काम पर नहीं जाएंगे। मजदूर जानते हैं कि यह हड़ताल उनके लिए है। -शैलेंद्र कुमार
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