Political Tensions Rise Over Sarna Religious Code in Jharkhand सरना धर्म कोड को लेकर सूबे का सियासी पारा चढ़ा, Ranchi Hindi News - Hindustan
Hindi NewsJharkhand NewsRanchi NewsPolitical Tensions Rise Over Sarna Religious Code in Jharkhand

सरना धर्म कोड को लेकर सूबे का सियासी पारा चढ़ा

कांग्रेस और झामुमो सरना धर्म कोड को मौलिक हक बताते हुए सड़कों पर उतरे, भाजपा ने घड़ियाली आंसू बहाने और राजनीतिक नाटक करने का लगाया आरोप

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीSun, 1 June 2025 08:53 PM
share Share
Follow Us on
सरना धर्म कोड को लेकर सूबे का सियासी पारा चढ़ा

रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो झारखंड में आदिवासी अस्मिता और पहचान से जुड़े सरना धर्म कोड को लेकर सियासी तापमान चढ़ता जा रहा है। सूबे में सत्तासीन कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सरना आदिवासी धर्म कोड को आदिवासियों का मौलिक हक बताते हुए सड़कों पर उतर आए हैं, वहीं भाजपा ने इन दलों पर घड़ियाली आंसू बहाने और राजनीतिक नाटक करने का आरोप लगाया है। जानकारों का कहना है कि सरना धर्म कोड को लेकर राज्य की राजनीति में जिस प्रकार टकराव तेज हुआ है, वह आने वाले समय में झारखंड की सियासी दिशा तय कर सकता है। कांग्रेस ने राज्यभर में धरना-प्रदर्शन के बाद अब दिल्ली कूच की तैयारी कर ली है।

झारखंड प्रभारी के. राजू ने स्पष्ट किया कि सरना धर्म कोड की मांग आदिवासियों की पहचान से जुड़ी है और कांग्रेस इसे जनगणना के सातवें कॉलम में शामिल कराकर रहेगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह कृषि कानून और जातीय जनगणना को लेकर सफलता मिली, उसी तरह यह लड़ाई भी निर्णायक होगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने केंद्र सरकार पर आदिवासियों के धार्मिक अस्तित्व को मिटाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरना कोड विधानसभा से पारित हो चुका है, लेकिन केंद्र ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया। वहीं झामुमो ने पहले सरना, फिर जनगणना का नारा देते हुए राज्यव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया है। महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि जब तक सरना धर्म कोड को शामिल नहीं किया जाएगा, तब तक चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा। झारखंड विधानसभा से पारित सरना आदिवासी धर्म कोड विधेयक पिछले पांच वर्षों से केंद्र सरकार के पास लंबित है। सरना धर्म कोड जल जंगल जमीन की तरह आदिवासियों की अस्मिता और पहचान से जुड़ा है। इसे जनगणना में शामिल कराने का काम झामुमो हर हाल में करेगा। प्रवक्ता मनोज पांडेय ने बताया कि पांच जून को सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग को लेकर रांची में विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस और झामुमो पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि 2014 में यूपीए सरकार के दौरान सरना धर्म कोड को तत्कालीन आदिवासी कल्याण मंत्री वी. किशोर चंद्रदेव ने अव्यवहारिक बताते हुए खारिज कर दिया था। उन्होंने दोनों दलों से आदिवासी समाज से सार्वजनिक माफी की मांग की। कहा कि सरना धर्म कोड के मुद्दे पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा केवल राजनीतिक नाटक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस केंद्र में सत्ता में थी तो इसे खारिज किया था। आज केंद्र में सत्ता से बाहर है तो इस पर आंदोलन करने की बात कर रहे हैं। जनता इनकी सारी चालबाजियों को समझती है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।