Special Lecture on Tribal Literature Bridging Margins to Mainstream at Gossner College आदिवासी साहित्य आज भी हाशिए पर: डॉ आईवी हांसदा, Ranchi Hindi News - Hindustan
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आदिवासी साहित्य आज भी हाशिए पर: डॉ आईवी हांसदा

रांची में गोस्सनर कॉलेज के अंग्रेजी विभाग ने 'हाशिए से केंद्र की ओर: भारतीय अकादमिक दायरे में आदिवासी साहित्य' विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित किया। मुख्य अथिति डॉ आईवी हांसदा ने आदिवासी साहित्य के...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीMon, 28 April 2025 05:27 PM
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आदिवासी साहित्य आज भी हाशिए पर: डॉ आईवी हांसदा

रांची, विशेष संवाददाता। गोस्सनर कॉलेज के अंग्रेजी विभाग की ओर से सोमवार को- हाशिए से केंद्र की ओर: भारतीय अकादमिक दायरे में आदिवासी साहित्य, विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें बतौर मुख्य अथिति जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आईवी हांसदा उपस्थित थीं। प्रो हांसदा ने हाशिए के लेखन की चर्चा करते हुए कहा कि दलित साहित्य अब मुख्य धारा के साहित्य में शामिल हो चुका है। वहीं, आदिवासी साहित्य आज भी हाशिए पर है। उन्होंने कहा कि इसका प्रमुख कारण है कि प्रभावी वर्ग अपनी भाषा और साहित्य को लेकर शुरू से मुखर रहा है। आदिवासी साहित्य वाचिक परंपरा को लेकर आगे बढ़ा। इसलिए इसका प्रामाणिक दस्तावेज कम उपलब्ध है। दूसरा कारण यह है कि कई क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं की अपनी लिपि नहीं है। आज समय है इसे विकसित कर दस्तावेज में संरक्षित करने की। उन्होंने कहा कि आदिवासियों का उल्लेख पौराणिक धर्म ग्रंथों रामायण (शबरी), महाभारत (एकलव्य), पुराणों आदि में भी मिलता है। आदिवासियों के नेतृत्वकर्ता इतिहास के मध्यकाल विशेषकर मुगल कालखंड में कम मुखर रहे। उनकी आवाज दब-सी गई थी। डॉ हांसदा ने कहा कि वर्तमान में आदिवासी समाज जनजीवन से जुड़े सभी क्षेत्रों- साहित्य, कला, संस्कृति, चिकित्सा में मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। आज पूरे विश्व में आदिवासियों पर बात हो रही है। गैर आदिवासी लेखन पर उन्होंने कहा कि आदिवासी साहित्य को समृद्ध करने में आदिवासी साहित्यकारों के साथ गैर आदिवासी लेखकों की भी लंबी शृंखला है। लेकिन इनके वर्णन में स्वानुभूति की जगह सहानुभूति की झलक मिलती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ शांतिदानी मिंज (प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन, सीएमसी, वेल्लोर) ने कहा कि चिकित्सा पेशे में रहते हुए वंचितों के प्रति समर्पित रहने की कोशिश करती हूं। उन्होंने विद्यार्थियों से अनुवाद कर्म और साहित्य सृजन से जुड़ने का आह्वान किया। संचालन छात्रा प्रियंका टूटी, ने किया।

कार्यक्रम में प्रोफेसर इंचार्ज इलानी पूर्ती, वर्सर प्रो प्रवीण सुरीन, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ ईवा मार्ग्रेट हांसदा, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो आशा रानी केरकेट्टा, प्रो गौतम एक्का, डॉ सुब्रतो सिन्हा, डॉ सुषमा केरकेट्टा, प्रो अदिति लाया टोप्पो, डॉ प्रशांत गौरव, डॉ आमोश टोप्पो, डॉ अब्दुल बासित, डॉ ध्रुपद चौधरी, डॉ विनोद राम सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक व विद्यार्थी मौजूद थे।

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