Transport Hub in Ranchi Business Challenges and Unmet Promises बोले रांची: ट्रांसपोर्ट नगर तो बना, पर नहीं मिल रहा कारोबारियों को लाभ, Ranchi Hindi News - Hindustan
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बोले रांची: ट्रांसपोर्ट नगर तो बना, पर नहीं मिल रहा कारोबारियों को लाभ

रांची में ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण एक साल पहले हुआ था, लेकिन परिवहन व्यवसायियों को इसकी सुविधाएँ नहीं मिल रही हैं। शहर की ट्रैफिक समस्या और सौंदर्यीकरण का सपना आज भी अधूरा है। व्यवसायियों का कहना है...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीFri, 16 May 2025 04:53 PM
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बोले रांची: ट्रांसपोर्ट नगर तो बना, पर नहीं मिल रहा कारोबारियों को लाभ

रांची, वरीय संवाददाता। राजधानी में बने ट्रांसपोर्ट नगर के अब साल बीतने को हैं, लेकिन शहर के परिवहन व्यवसायी इसकी सुविधाओं से आज भी वंचित हैं। वहीं, शहर की ट्रैफिक को जाममुक्त करने और शहर के सौंदर्यीकरण करने का सपना भी आज तक पूरा नहीं हो पाया। झारखंड गठन से पहले परिवहन व्यवसायी जिस हाल में कारोबार कर रहे थे, आज भी उनके कारोबार के तरीके में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। शहर के बीचों बीच अपर बाजार से लेकर रातू रोड, गाड़ी खाना, हरमू रोड आदि स्थानों पर नो इंट्री के बावजूद बेधड़क बड़े वाहनों की आवाजाही जारी है।

शहर के परिवहन व्यवसायी राजधानी के सुकुरहुटू में बने ट्रांसपोर्ट नगर को मालवाहक वाहनों का पड़ाव स्थल बताते हैं। उनके अनुसार, राज्य सरकार को ट्रांसपोर्ट नगर के निर्माण को लेकर उनकी सलाह सुननी चाहिए थी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। इसका निर्माण हो गया, लेकिन जो संसाधन अभी ट्रांसपोर्ट नगर में हैं, उससे परिवहन व्यवसायियों का कारोबार हो ही नहीं सकता। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में व्यापारियों ने कहा कि शहर में कारोबार कर रहे परिवहन व्यवसायी के अपने कार्यालय, गोदाम और कर्मचारियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध हैं। अपनी सुविधाएं छोड़कर ट्रांसपोर्ट व्यवसायी ऐसी स्थिति में वहां जाकर अपने व्यवसाय को खराब नहीं कर सकते। ट्रांसपोर्ट नगर के अनुरूप यहां पर परिवहन व्यवसायी, वाहन मालिक और कमीशन एजेंट के लिए यहां कुछ भी उपलब्ध नहीं हैं। व्यवसायियों के अनुसार, ट्रांसपोर्ट नगर का जो वर्तमान स्वरूप है, वह एक स्टेडियम के तौर पर नजर आता है। उनके मुताबिक, वाहन पड़ाव और गोदाम समेत कुछ कार्यालय दे देने मात्र से ट्रांसपोर्ट नगर नहीं हो जाता। इस नगर को बनाने के लिए अच्छी खासी बड़े भूमि क्षेत्र की जरूरत होती है। जैसे एक शहर में हर तरह की सुविधाएं होती हैं, उसी तरह ट्रांसपोर्ट नगर के अनुरूप उसमें सभी सुविधाएं होनी चाहिए। यहां पर परिवहन व्यवसायियों, ट्रक ऑनरों और कमीशन एजेंटों के लिए कार्यालय नदारद है। ऐसी स्थिति में इस व्यवसाय से जुड़े व्यवसायियों के लिए यहां पर कारोबार करना मुश्किल है। शहर में जितने भी ट्रासंपोर्टर हैं, उनके अपने कार्यालय, गोदाम हैं। जबकि, ट्रांसपोर्ट नगर में केवल दो वेयर हाउस बनाकर दिए गए हैं। इससे शहर के छह सौ व्यवसायियों का काम नहीं चल सकता। यहां केवल मालवाहक वाहनों की पार्किंग और दो गोदामों से ही परिवहन व्यवसाय नहीं हो सकता। इसके लिए शहर के छोटे खुदरा व्यवसायियों के दुकान व प्रतिष्ठानों में माल ढोने के लिए सैकड़ों मालवाहक छोटे वाहनों का अलग पड़ाव का होना भी जरूरी है। सभी ट्रांसपोर्टरों और उनके प्रतिष्ठानों में कार्यरत सैकड़ों कर्मचारियों के निजी वाहनों की पार्किंग के लिए भी अलग पार्किंग की आवश्यकता होगी। पंडरा की तरह सभी व्यवसायियों के लिए यहां पर कार्यालय, गोदाम के साथ विभिन्न प्रकार के हल्के मालवाहक और व्यवसायिक वाहनों के लिए अलग से पार्किंग स्थल निर्धारित हो, जिससे वहां परिवहन व्यवसाय सुचारू रूप से चल सके। रिक्शा चालकों का जमावड़ा, आय पर असर: जिला प्रशासन द्वारा शहर के कई इलाकों में छोटे मालवाहकों (छोटे कॉमर्शियल वाहनों) पर नो-इंट्री का जो नियम लागू किया गया है, उसने छोटे व्यापारियों की परेशानी बढ़ा दी है। मालवाहक वाहनों की नो-इंट्री के कारण अब दुकानदारों को सामान लाने और ले जाने में रिक्शों का अधिक सहारा लेना पड़ रहा है। इसके कारण बाजारों के आसपास बड़ी संख्या में रिक्शा चालकों का जमावड़ा लगने लगा है। एक ओर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनती है, तो दूसरी ओर सभी को पर्याप्त सवारी या काम नहीं मिल पाता, जिससे आमदनी पर असर पड़ता है। छोटे व्यापारियों और वाहन चालकों की मांग है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर नो-इंट्री के नियम को समाप्त करे। मजदूरों की उपलब्धता का इंतजाम भी नहीं ट्रांसपोर्ट नगर में सैकड़ों श्रमिकों की आवासीय व्यवस्था भी उपलब्ध होने चाहिए। यहां पर मजदूर उपलब्ध होने चाहिए। यहां विभिन्न व्यवसायियों के गोदाम, सरकारी गोदाम और छोटे-बड़े मालवाहक वाहनों से सतत लोडिंग और अनलोडिंग करने की जरूरत पड़ेगी। यह व्यवस्था नहीं होने या दूर से मजदूरों के आने-जाने से ट्रांसपोर्ट नगर का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। व्यवसायियों ने कहा कि मजदूरों के लिए सामूहिक आवास के साथ उनके रहने, विश्राम करने और स्वयं खाना बनाने या अन्य इंतजाम करना भी जरूरी है। इसके अलावा कर्मचारियों, ग्राहकों और अन्य के लिए यहां से शहरी क्षेत्र में जाने के लिए यातायात संसाधन का भी होना जरूरी है। ऑटो और ठेला लगाने का पड़ाव नहीं, सुरक्षा की व्यवस्था करें ट्रांसपोर्ट नगर में थोक कारोबारियों से माल खरीदने के लिए शहर के छोटे व्यवसायी यहां आएंगे। उनके लिए पांच सौ मालवाहक ऑटो और इतना ही ठेला के लिए निर्धारित पड़ाव की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा सुदूर में होने के कारण यहां पुलिस की ओर से सुरक्षा की सुविधा नहीं है। अरबों रुपए के कारोबार होने के कारण यहां सुरक्षा के लिए थाना और अन्य व्यवस्था नहीं है। ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में चौबीस घंटे लोडिंग और अनलोडिंग के काम ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में हर दिन श्रमिकों को 24 घंटे मुस्तैद रहना पड़ता है। इसलिए, ये मजदूर स्वयं शिफ्ट निर्धारित कर मालवाहक वाहनों को लोड और अनलोड करते हैं। यह काम रात को भी उतना ही जरूरी है, जितना दिन में। शहरों में छोटे व्यवसायियों का ऑर्डर और उनकी माल आपूर्ति में देरी नहीं की जाती है। पहले की तुलना में अब ई-पेमेंट का दौर आने के बाद माल आपूर्ति तुरंत करना आवश्यक है। ट्रांसपोर्ट नगर से नगर बस सेवा और ऑटो को जोड़ा जाए ट्रांसपोर्ट नगर के पास सुकूरहुटू से लेकर राजधानी तक यातायात के आम साधन का होना भी जरूरी है। यहां पर कार्यरत सैकड़ों कर्मचारियों, ग्राहकों और अन्य छोटे-मोटे उद्यमियों के लिए ऑटो और नगर बसों की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए ट्रांसपोर्ट नगर के समीप ही एक ऑटो स्टैंड और नगर बस सेवा का स्टैंड होगा। लेकिन, वर्तमान में ये सुविधाएं नहीं होने से परेशानी बढ़ गई है। समस्याए 1. शहर की घनी आबादी में हो रहा परिवहन व्यवसाय, लेकिन सुविधाएं नदारद 2. घनी आबादी में यातायात होने से लगता है जाम, जिससे व्यवसाय हाेता है प्रभावित 3. छोटे मालवाहकों का शहर में नो इंट्री के कारण रिक्शे वालों का लगता है जमावड़ा 4. ट्रासपोर्ट नगर में व्यवसायियों की सुविधा के लिए कार्यालय तक नहीं उपलब्ध 5. ठेला, मालवाहक ऑटो, कर्मचारियों के लिए वाहन पड़ाव और अन्य सुविधाएं नहीं। सुझाव 1. 114 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित ट्रांसपोर्ट नगर व्यवसायियों को आवंटित करें 2. ट्रांसपोर्ट नगर क्रियाशील करने के लिए व्यवसायी सरकार को सहयोग करने को तैयार 3. शहर में बड़े मालवाहकों की एंट्री पर रोक लगाई जाए, जिससे जाम नहीं लगे 4. राज्य सरकार छोटे मालवाहकों की नो-इंट्री के नियम को समाप्त करें। 5. ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण पूरी तरह से परिवहन व्यवसाय के अनुरूप हो :: बोले लोग :: राज्य सरकार चुनाव के बाद ट्रांसपोर्ट नगर परिवहन व्यवसायियों को सौंपने वाली थी। शहर को जाममुक्त बनाने के साथ ट्रांसपोर्ट नगर को परिवहन व्यवसाय के लिए तैयार करना उद्देश्य था। लेकिन, अब तक इसके लिए कोई भी पहल नहीं की गई है। राज्य सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे व्यापार सुगम हो सके। -सुनील सिंह चौहान 114 करोड़ की लागत से बने ट्रांसपोर्ट नगर को कई महीने हो चुके हैं। लेकिन, अभी तक किसी को भी आवंटित नहीं किया गया है। शहर में बड़े मालवाहकों के आने-जाने के कारण सभी जगहों पर जाम की समस्या बनी रहती है। प्रशासन शहर के अंदर आने वाले बड़े मालवाहकों पर नो-इंट्री लगाए। साथ ही छोटे मालवाहक वाहनों की नो-इंट्री को समाप्त करे। -प्रभाकर सिंह देखने से लगता है कि ट्रांसपोर्ट नगर को वाहन पड़ाव बना दिया गया है। यहां किसी भी प्रकार की कोई भी सुविधा नहीं है। -रंजीत तिवारी जिस प्रकार पंडरा में व्यापारियों को सुविधा दी गई है, उसी प्रकार परिवहन व्यवसायियों को शुल्क निर्धारित कर ट्रांसपोर्ट नगर सौंप दिया जाए। -संदीप सिंह सरकार को टैक्स परिवहन व्यवसायियों से ही मिलता है। वह भी एडवांस के रूप में। लेकिन, व्यवसायियों को कोई सुविधा नहीं मिलती। -रविंद्रनाथ दुबे परिवहन व्यवसायियों के मालवाहकों से अक्सर पुलिस वाले नियमों का हवाला देकर भारी जुर्माना लगाते हैं। -शिव कुमार गुप्ता सरकार को ट्रांसपोर्ट नगर के संदर्भ में परिवहन व्यवसायियों से चर्चा करनी होगी। जाम से आवाजाही में देरी होती है। -संजय जैन अपर बाजार और जालान रोड में व्यापारियों का आवागमन सबसे अधिक होता है। छोटे मालवाहकों के कारण जाम लगता है। -एसबी सिंह अधिक वजन वाले मालवाहकों से नियम के अनुसार जुर्माना नहीं लिया जाता है। अन्य राज्यों जैसे छत्तीसगढ़ में जुर्माना शुल्क निर्धारित होता है। -संजीव अग्रवाल बाहर से आने वाले मालवाहकों को अक्सर रांची के ट्रैफिक व्यवस्था के बारे में नहीं पता होता है। शहर में कहीं नहीं कोई साइन बोर्ड नहीं लगाए गए। -दीपक सिंह राज्य सरकार को छोटे वाहनों पर लगाई गई नो-इंट्री को समाप्त कर देना चाहिए। नो-इंट्री लगने के कारण रिक्शा से माल ढोना पड़ता है। -रतन सिंह ट्रांसपोर्ट नगर में केवल पांच सौ ट्रकों का पड़ाव किया जा सकता है। केवल इस व्यवस्था से परिवहन व्यवसाय नहीं चल सकता। -पवन शर्मा ट्रांसपोर्ट नगर में वेयर हाउस, सिक्योरिटी और श्रमिकों के लिए भी विश्राम गृह का भी निर्माण होना चाहिए। साथ ही गोदाम का निर्माण भी कराएं। -एके प्रसाद नगर निगम को बकरी बाजार के पीछे अपर बाजार में आने वाले सभी छोटे मालवाहकों और खरीदारों के लिए पेड पार्किंग का निर्माण किया जाए। -बिनोद कुमार

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