उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरों पर अध्याय जोड़े जाएंगे
रांची में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के हानिकारक प्रभावों को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्देश दिया है। यह कदम छात्रों को नशीली दवाओं के...

रांची, विशेष संवाददाता। नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक व्यक्तिगत समस्या से कहीं अधिक है। यह व्यक्तियों, परिवारों और पूरे समुदाय के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके व्यापक और विनाशकारी परिणाम को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के हानिकारक प्रभावों और परिणामों पर सामग्री को उचित और प्रासंगिक तरीके से अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कहा है। इसके लिए उच्च शिक्षण संस्थान यूजीसी की ओर से स्वयं पोर्टल के लिए विकसित ड्रग्स ऑफ एब्यूज, पेपर का भी संदर्भ ले सकते हैं, जिसे- https://ugcmoocs.inflibnet.ac.in/index.php/courses/view_pg/696 लिंक पर देखा जा सकता है।
यह मॉड्यूल नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरों को दूर करने के लिए पाठ्यक्रम को डिजाइन करने में एक आधारभूत संदर्भ के रूप में काम कर सकता है। उच्च शिक्षा संस्थानों को यह सलाह भी दी गई कि वे राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य संबंधित हितधारकों के साथ समन्वय में अपने संस्थानों में जागरुकता अभियान और गतिविधियां आयोजित करें। इन गतिविधियों में संवादात्मक कार्यशालाएं, विशेषज्ञों और पुनर्वासित व्यक्तियों के व्याख्यान और प्रभावी दृश्य-श्रव्य प्रस्तुतियां, शामिल हो सकती हैं। यह विषय न सिर्फ छात्रों को इसके स्वास्थ्य, मानसिक और सामाजिक प्रभावों के बारे में जागरूक करेगा, बल्कि उन्हें निवारक उपायों, आत्म-नियंत्रण और जीवन में बुद्धिमानी से निर्णय लेने के महत्व को भी समझाएगा। इस तरह के शैक्षणिक हस्तक्षेप छात्रों को सूचित और जिम्मेदार विकल्प बनाने के लिए ज्ञान से लैस करने में महत्वपूर्ण हैं। नशीली दवाओं का दुरुपयोग के खतरों पर उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर से की गई पहल पर आधारित- https://forms.gle/7MtXY55KLLVx4x4h8 पर उपलब्ध गूगल फार्म के माध्यम से उपलब्ध कराने को कहा गया है। नशीली दवाओं के परिणाम व्यापक और विनाशकारी नशीली दवाओं के सेवन के परिणाम व्यापक और अक्सर विनाशकारी होते हैं। शारीरिक रूप से, यह मस्तिष्क और अन्य अंगों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। मानसिक रूप से, यह चिंता, अवसाद और यहां तक कि मनोविकृति जैसी स्थितियों में उत्पन्न कर सकता है। यह शैक्षणिक प्रगति और करियर की महत्वाकांक्षाओं को बाधित करता है, निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसके अलावा कानूनी परेशानियां, वित्तीय कठिनाई और भावनात्मक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। सबसे खतरनाक बात यह है कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से ओवरडोज मौत हो सकती है। इन खतरों को पहचानना, जिम्मेदार निर्णय लेने और सुरक्षित भविष्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरों पर अध्यायों को उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में एकीकृत करना विद्यार्थिों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, जो अक्सर साथियों के दबाव, तनाव और शैक्षणिक चुनौतियों के कारण जोखिम में रहते हैं। यह आयु वर्ग विशेष रूप से नशीले पदार्थों के साथ प्रयोग करने के लिए अतिसंवेदनशील होता है, जिससे जोखिमों पर शिक्षा महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसी सामग्री छात्रों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के हानिकारक शारीरिक, मानसिक और सामाजिक प्रभावों के बारे में ज्ञान से लैस करेगी। इस विषय को शामिल करके उच्च शिक्षण संस्थान एक स्वस्थ और सुरक्षित परिसर का निर्माण कर सकते हैं।
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