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हिंदी-अंग्रेजी में तो पाकिस्तान से हो सकती है बात, लेकिन...; थरूर का पड़ोसी को हार्ड मैसेज

इससे पहले, थरूर ने कहा था कि कोलंबिया ने पहलगाम हमले के जवाब में भारत के सैन्य हमलों के बाद जानमाल के नुकसान पर पाकिस्तान के प्रति संवेदना व्यक्त करने वाला बयान वापस ले लिया है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानWed, 4 June 2025 09:06 AM
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हिंदी-अंग्रेजी में तो पाकिस्तान से हो सकती है बात, लेकिन...; थरूर का पड़ोसी को हार्ड मैसेज

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत करने में समस्या भाषा नहीं है, बल्कि सभ्यता और शांति के लिए एक साझा दृष्टिकोण खोजने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर पाकिस्तान देश में मौजूद हर आतंकवादी बुनियादी ढांचे के खिलाफ उल्लेखनीय कार्रवाई करता है, तो भारत उसके साथ बातचीत कर सकता है। ब्राजील में एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थरूर ने यह भी कहा कि उनकी टीम ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के संदेश को लातिन अमेरिकी देशों तक सफलतापूर्वक पहुंचाया, जिनमें वे देश भी शामिल हैं जिन्हें कुछ गलतफहमियां हो सकती हैं।

थरूर ने पीटीआई की वीडियो सेवा से कहा, ‘‘हम अपने वार्ताकारों से यही कहते हैं कि अगर पाकिस्तान इतना ही निर्दोष है जितना वह दावा करता है, तो वह वांछित आतंकवादियों को पनाह क्यों देता है?... आखिर (आतंकवादी) वे (पाकिस्तान में) सुकून से रहने, प्रशिक्षण शिविर चलाने... और लोगों को कट्टरपंथी बनाने, हथियारों से लैस करने तथा लोगों को अपने हथियारों और कलाश्निकोव (राइफल) का अभ्यास करने के लिए प्रेरित कैसे कर पाते हैं?’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत करने में समस्या भाषा नहीं है, बल्कि सभ्यता और शांति के लिए एक साझा दृष्टिकोण खोजने की जरूरत है।

थरूर ने कहा, ‘‘आप आतंकवाद के बुनियादी ढांचे पर नकेल कसें जो आपके देश में हर जगह दिखाई देता है। फिर निश्चित रूप से हम बातचीत कर सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम उनसे हिंदी में बात कर सकते हैं। हम उनसे पंजाबी में बात कर सकते हैं। हम उनसे अंग्रेजी में बात कर सकते हैं। पाकिस्तान के साथ साझा आधार तलाशने में कोई समस्या नहीं है। समस्या सभ्यता और शांति के लिए साझा दृष्टिकोण तलाशने की है। हम शांति चाहते हैं, विकास करना चाहते हैं। वे हमें अकेला नहीं छोड़ना चाहते। वे हमें परेशान करना चाहते हैं। वे हमें कमजोर करना चाहते हैं।’’

थरूर ने कहा, ‘‘वे भारत को हजारों जख्म देकर खत्म करना चाहते हैं। वे इतनी आसानी से खत्म नहीं कर पाएंगे। बेहतर होगा कि वे इस विचार को भूल जाएं।’’

‘ब्रिक्स’, पांच अग्रणी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का समूह है। ब्राजील 11वें ब्रिक्स संसदीय मंच की मेजबानी कर रहा है।

इस प्रश्न पर कि क्या भारत को उम्मीद है कि ब्राजील भारतीय नागरिकों के खिलाफ आतंकवाद के इस्तेमाल पर एक बयान जारी कर सकता है, थरूर ने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो मुझे लगता है कि ब्रिक्स का एक अलग एजेंडा है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वे एकजुटता व्यक्त नहीं करना चाहते हैं।... मुझे नहीं पता और मुझे यह भी नहीं पता कि यह उस मसौदे में है या नहीं जिस पर वे पहले से काम कर रहे हैं’’।

उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक ​​अन्य मुद्दों का सवाल है, तो आप जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमारा ध्यान नहीं है। ईमानदारी से कहूं तो हमारा ध्यान पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों और पाकिस्तान में आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को नष्ट करने में उसकी पूरी तरह विफलता पर है।’’

इस सवाल पर कि क्या देश आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को मान्यता दे रहे हैं, थरूर ने कहा कि उनका प्रतिनिधिमंडल अब तक चार देशों - गुयाना, पनामा, कोलंबिया और ब्राजील की यात्रा कर चुका है और ‘‘हम जिन देशों में गए हैं, वहां यह बात बहुत स्पष्ट रही है।’’

उन्होंने कोलंबिया का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘और मैं कहूंगा कि सभी चार देशों में हमें बहुत स्पष्ट सफलता मिली है, अगर यही शब्द है, तो मैं सफलता का बखान करना पसंद नहीं करता। इसका फैसला दूसरों को करना है। लेकिन हमने अपना संदेश बहुत स्पष्ट रूप से पहुंचा दिया है, यहां तक ​​कि उन तक भी जिन्हें कुछ गलतफहमी हो सकती है।’’

इससे पहले, थरूर ने कहा था कि कोलंबिया ने पहलगाम हमले के जवाब में भारत के सैन्य हमलों के बाद जानमाल के नुकसान पर पाकिस्तान के प्रति संवेदना व्यक्त करने वाला बयान वापस ले लिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘और अपना संदेश पहुंचाने के परिणामस्वरूप, मेरे विचार से, हम यह महसूस करते हुए वापस आ पाए हैं कि ये देश हमारी स्थिति को बेहतर ढंग से समझते हैं तथा आतंकवाद के खिलाफ हमारे संघर्ष के साथ पूर्ण एकजुटता व्यक्त करते हैं, जो हमारी यात्रा का मुख्य उद्देश्य है।’’

प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यात्रा का समापन ब्राजील के उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन के साथ बैठक के साथ किया।

ब्राजील में भारतीय दूतावास ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा ब्राजील के उपराष्ट्रपति राल्डो अल्कमिन के साथ बैठक के साथ संपन्न हुई। प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद के खिलाफ ब्राजील के दृढ़ रुख के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और व्यापार, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने पर उनके जोर देने का स्वागत किया।’’

थरूर के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल ब्राजील से अमेरिका जाएगा।

वाशिंगटन डीसी की यात्रा से प्रतिनिधिमंडल की अपेक्षाओं के बारे में पूछे गए एक प्रश्न पर थरूर ने कहा, ‘‘मेरी अपेक्षाएं हैं कि यह एक चुनौतीपूर्ण यात्रा होगी। हमारे समक्ष विभिन्न प्रकार के दर्शक होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चारों ओर फैली कुछ सूचनाओं को देखते हुए, हमें कुछ दिलचस्प और संभवतः चुनौतीपूर्ण प्रश्न मिले हैं, जिनका उत्तर देने में हमें बहुत खुशी होगी।’’

थरूर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने ब्राजील में गहन बैठकें कीं, जिससे ‘‘हमें प्रसन्नता के लिए बहुत कुछ मिला - सरकार के उच्चतम स्तरों और विधायिका दोनों से, सभी स्तरों पर भारत के लिए एकजुटता और सद्भावना की पुष्टि हुई।’’

प्रतिनिधिमंडल ने भारत-ब्राजील मैत्री मोर्चे के अध्यक्ष और सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर नेल्सिन्हो ट्रैड के साथ एक शानदार और अत्यधिक सार्थक बैठक की।

थरूर ने कहा, ‘‘हाल की घटनाओं पर भारत के दृष्टिकोण की उनकी गहन समझ और मजबूत समर्थन के लिए मैं उनकी सराहना करता हूं। इस तरह की एकजुटता हमारे लोकतंत्रों, ब्राजील और भारत के बीच संबंधों को मजबूत करती है।’’

प्रतिनिधिमंडल ने ब्राजील में भारत के नए राजदूत दिनेश भाटिया से भी मुलाकात की।

थरूर ने कहा, ‘‘राजदूत द्वारा दिए गए भोज के दौरान मुझे दो प्रतिष्ठित अकादमिक दंपतियों से मिलकर बहुत खुशी हुई, जिन्होंने आधी सदी से भी अधिक समय से ब्राजील की राजधानी में भारत का झंडा बुलंद रखा है: प्रोफेसर विजयेंद्र कुमार और उनकी पत्नी देवी, जिन्होंने स्वयं ब्राजील के लोगों को हिंदी पढ़ाई है; और प्रोफेसर हरिदास तथा उनकी पत्नी पद्मजा, जो पलक्कड़ जिले से हैं और कोलेनगोड़े की यात्रा के दौरान मेरे पैतृक घर को देख चुके हैं!’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रोफेसर कुमार ने बताया कि राजनयिकों के अलावा, ब्रासीलिया की 40 लाख की आबादी में केवल पांच भारतीय परिवार हैं, जिस पर मुझे विश्वास करना असंभव लगता है!’’

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