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सुंदरबन के रास्ते घुसपैठ कर रहे बांग्लादेशी, BSF ने मांगी DRDO की मदद; इसरो भी दे रहा साथ

हाल ही में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ केंद्र सरकार की सख्त कार्रवाई और ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ ने सीमा पर सतर्कता को और बढ़ा दिया है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 4 June 2025 08:33 AM
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सुंदरबन के रास्ते घुसपैठ कर रहे बांग्लादेशी, BSF ने मांगी DRDO की मदद; इसरो भी दे रहा साथ

अवैध घुसपैठ और सीमा पार आतंकी नेटवर्क के खिलाफ केंद्र सरकार लगातार सख्त कार्रवाई कर रही है। इस बीच, सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित संवेदनशील 113 किलोमीटर लंबे सुंदरबन क्षेत्र में अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली की तैनाती के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) से मदद मांगी है। खुफिया जानकारी के आधार पर यह कदम उठाया गया है, जिसमें संकेत मिले हैं कि आतंकी संगठन सुंदरबन के नदी और समुद्री मार्गों के जरिए भारत में घुसपैठ की कोशिश कर सकते हैं। यह मांग पिछले महीने गृह मंत्रालय (MHA) के नॉर्थ ब्लॉक स्थित कार्यालय में सीमा प्रबंधन सचिव की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय तटीय सुरक्षा समीक्षा बैठक के दौरान उठाई गई। यह बैठक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तुरंत बाद हुई थी।

'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद सतर्कता बढ़ी

बीते अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें 30 दिनों के भीतर वापस भेजने का अभियान तेज कर दिया गया है। इसके तहत BSF ने निगरानी बढ़ा दी है और अब वह संवेदनशील इलाकों में ड्रोन, रडार, सैटेलाइट इमेजरी और सीसीटीवी जैसी तकनीक का उपयोग बढ़ाना चाहता है, ताकि सीमा में मौजूद खामियों को दूर किया जा सके।

113 किलोमीटर क्षेत्र को टेक्नोलॉजी सर्विलांस के दायरे में लाने की योजना

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “BSF ने लगभग 113 किलोमीटर के सुंदरबन क्षेत्र को तकनीकी निगरानी के दायरे में लाने का प्रस्ताव दिया है। इस संबंध में इसरो और DRDO के साथ मिलकर एक संभाव्यता अध्ययन भी किया जा चुका है। DRDO को स्थल पर जाकर उपयुक्त तकनीकी समाधान की पहचान करने को कहा गया है, लेकिन फिलहाल वह गुजरात के क्रीक क्षेत्र में चल रहे एक अन्य प्रोजेक्ट को पूरा करने के बाद ही सुंदरबन का काम शुरू करेगा।”

दुर्गम इलाका, खास रणनीति की जरूरत

BSF इस समय सुंदरबन सेक्टर में लगभग 123 किलोमीटर सीमा की निगरानी कर रही है, जो अत्यंत दुर्गम इलाका है और जहां चारों ओर नदियां, खाड़ी और घने मैंग्रोव जंगल फैले हुए हैं। यह इलाका लंबे समय से अवैध घुसपैठ के लिए जाना जाता रहा है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, आतंकी संगठन भी अब इस जल और नदीय सीमा का इस्तेमाल भारत में घुसपैठ के लिए करने की कोशिश कर रहे हैं।

फ्लोटिंग पोस्ट और नावों के जरिए हो रही है निगरानी

इस समय BSF के पास आठ फ्लोटिंग बॉर्डर आउटपोस्ट (BOP) और 96 पेट्रोल बोट्स हैं, जिनके माध्यम से निगरानी की जा रही है। इसके अलावा, BSF ने पश्चिम बंगाल सरकार से सात निगरानी टावरों के लिए जमीन की मांग की है और जंगल विभाग के साथ साझा पोस्ट की संख्या बढ़ाने का भी प्रस्ताव रखा है। अभी तीन ऐसे को-लोकेटेड पोस्ट पहले से मौजूद हैं।

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जमीन देने में सुस्ती, वन विभाग की मंजूरी लंबित

हालांकि गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, "पश्चिम बंगाल के वन और राजस्व विभाग के अधिकारियों की ओर से बार-बार किए गए सर्वेक्षणों में भाग नहीं लेने के चलते प्रक्रिया धीमी पड़ गई है।" पिछले महीने की बैठक में BSF महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी और पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में राज्य सरकार ने सात साइटों का सर्वेक्षण करने की जानकारी दी और दो स्थानों पर जमीन देने की सहमति जताई।

सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ी

सुंदरबन में यह हाईटेक निगरानी व्यवस्था ऐसे समय में लाई जा रही है जब सुरक्षा एजेंसियों को पूर्वी सीमा की पोरोसिटी को लेकर गहरी चिंता है। एजेंसियों का मानना है कि अगर इस सीमा को जल्द से जल्द तकनीकी सहायता से सुरक्षित नहीं किया गया, तो अवैध आव्रजन और आतंकवादी घुसपैठ को रोकने के प्रयास प्रभावित हो सकते हैं। केंद्र सरकार पहले ही सीमा क्षेत्रों में अतिरिक्त बल तैनात कर चुकी है, निर्वासन की प्रक्रिया को तेज किया गया है और विभिन्न एजेंसियों के बीच खुफिया समन्वय को मजबूत किया जा रहा है। सुंदरबन पर विशेष फोकस इसी रणनीति का हिस्सा है।