Villagers Protest Against Heavy Blasting at Rohini Mine in Dhub Karmastan ग्रामीणों ने पुनर्वास को लेकर दी आंदोलन की चेतावनी, Ranchi Hindi News - Hindustan
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ग्रामीणों ने पुनर्वास को लेकर दी आंदोलन की चेतावनी

ढुब पेटपेट गांव में ग्रामीणों ने खदान में हो रही हेवी ब्लास्टिंग के खिलाफ बैठक की। उन्होंने कहा कि इससे घरों को नुकसान हो रहा है और जान-माल का खतरा है। पंचायत प्रतिनिधियों ने समर्थन जताया और कहा कि...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीMon, 16 June 2025 06:32 PM
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ग्रामीणों ने पुनर्वास को लेकर दी आंदोलन की चेतावनी

खलारी, निज प्रतिनिधि। तुमांग पंचायत के ढुब पेटपेट गांव में रविवार को ग्रामीणों की बैठक ढुब कर्मा स्थल के समीप आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता पूर्व मुखिया मुकद्दर लोहरा ने की, जबकि संचालन अमृत भोगता ने किया। इसमें पंचायत के मुखिया संतोष कुमार महली और पंचायत समिति सदस्य सहदेव महली भी उपस्थित थे। बैठक में ग्रामीणों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि ढुब बस्ती के निकट चल रहे रोहिणी खदान में प्रतिदिन हो रही हेवी ब्लास्टिंग से आसपास के घरों को नुकसान पहुंच रहा है। दीवारों में दरारें आ रही हैं और कभी-कभी उड़ते पत्थर घरों की छतों पर गिर रहे हैं।

इससे जान-माल का खतरा बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि सीसीएल रोहिणी परियोजना प्रबंधन और एनके एरिया प्रबंधन को पूर्व में पुनर्वास को लेकर एक मांग पत्र सौंपा गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। केवल आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई की मांग: ग्रामीणों ने कहा कि खदान अब घरों के बहुत करीब पहुंच चुका है, लेकिन प्रबंधन की ओर से केवल आश्वासन ही मिल रहा है। धरातल पर कोई कार्य नहीं दिख रहा है, जिससे ग्रामीणों में भारी असंतोष है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रबंधन को खदान संचालन जारी रखना है, तो सबसे पहले पुनर्वास की ठोस व्यवस्था करनी होगी। अन्यथा वे खदान को बंद कराने को मजबूर होंगे। पंचायत प्रतिनिधियों ने जताया समर्थन: मुखिया संतोष कुमार महली और समिति सदस्य सहदेव महली ने भी ग्रामीणों की समस्याओं को जायज बताया और कहा कि अगर प्रबंधन ने पुनर्वास को लेकर कोई पहल नहीं की, तो ग्रामीणों द्वारा चलाए जाने वाले आंदोलन में पंचायत प्रतिनिधि भी साथ खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि रैयतों की समस्याओं को अनदेखा कर खदान संचालन करना अन्यायपूर्ण है। वहीं ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि जब तक पुनर्वास पर कार्य शुरू नहीं होता, तब तक खदान के अगल-बगल कोई भी कार्य नहीं होने दिया जाएगा। कहा गया कि अब प्रबंधन को जगाने के लिए आंदोलन ही एकमात्र रास्ता बचा है। बैठक में रमेशर भोगता, उमेश लोहरा, सूरज लोहरा, शिवनाथ भोगता, राजेंदर भोगता, संतोष गंझू, मंजू देवी, बसंती देवी, झबरी देवी, पूजा देवी समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।

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