बकरीद का पर्व कल, तैयारी जोरो पर
सिमडेगा में बकरीद का पर्व 7 जून को मनाया जाएगा। मुस्लिम समुदाय ने पर्व की तैयारी शुरू कर दी है। ईद-उल-अजहा में कुर्बानी का महत्व है, जो हजरत इब्राहिम की याद में मनाई जाती है। स्थानीय बाजारों में बकरों...

सिमडेगा, जिला प्रतिनिधि। बकरीद का पर्व सात जून को जिला मुख्यालय सहित विभिन्न ग्रामीण इलाकों में मनाया जाएगा। इस निमित मुस्लिम धर्मावलंबियों ने तैयारी शुरू कर दी है। इस्लामी त्योहार में दो पर्व को ईद के नाम से जाना जाता है। एक ईद-उल-फितर, जो रमजान का पूरा रोजा रखने के बाद शुकराने के तौर पर मनाई जाती है। और दूसरा ईद-उल-अजहा, जो पहली ईद के करीब दो माह बाद मनाई जाती है। ईद-उल अहजा में शुक्रिया नमाज के बाद हजरत इब्राहिम के तरीकों पर कुर्बानी की यादगार के तौर पर खुदा के नाम पर बकरे की कुर्बानी करनी होती है। बताया जाता है कि करीब पांच हजार वर्ष से करोड़ों मुसलमान इस घटना चक्र को यादगार के रूप मे मनाते चले आ रहे है।
अल्लाह ने हजरत इब्राहिम को हुक्म दिया कि तुम अपनी सबसे प्यारी चीज को मेरी राह में कुर्बान करो, तो इस हुक्म के बाद हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माईल को अल्लाह की राह में कुर्बान करना चाहा। मगर छुरी इस्माईल के गर्दन को न काट सकी। इसी घटना को विश्व भर के मुसलमान कुर्बानी के तौर पर याद करते है। पैगम्बर मुहम्मद ने फरमाया कि कुर्बानी करने से अल्लाह की नजदीकी हासिल होती है। इसके बाद हजरत इब्राहिम की खिदमत में दुबां पेश किया गया और उन्होंने कुर्बानी पेश की। यही वह कुर्बानी है जो यादगार के तौर पर की जाती है। इसी याद को ताजा करने के लिए मुस्लिम मतावलंबी कीमती से कीमती बकरे खरीद कर कुर्बानी करते है। इधर पर्व के मद्देनजर सेवईयां सहित ईत्र टोपी की दुकानें सज चुकी है। वहीं गुरुवार को सिमडेगा साप्ताहिक हाट में भी जमकर बकरे की खरीदारी हुई। बकरे की खरीदारी को लेकर लोगों की काफी भीड़ उमड़ी
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