इन 5 पहाड़ों पर आज भी बसते हैं भगवान, भक्तों को होता है उनकी मौजूदगी का अहसास 5 mountains that are believed to be homes of the gods sacred peaks, Travel news in Hindi - Hindustan
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इन 5 पहाड़ों पर आज भी बसते हैं भगवान, भक्तों को होता है उनकी मौजूदगी का अहसास

पवित्र स्थलों में से आते हैं कुछ खास, जिन्हें साक्षात देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। ऐसी कई पर्वत हैं, जिन पर दैवीय शक्ति का एहसास होता है। मान्यता के अनुसार स्वयं देवी-देवताओं ने स्वयं इन पवित्र पहाड़ों को अपना घर बनाया है।

Anmol Chauhan लाइव हिन्दुस्तानMon, 9 June 2025 11:25 AM
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इन 5 पहाड़ों पर आज भी बसते हैं भगवान, भक्तों को होता है उनकी मौजूदगी का अहसास

दुनियाभर में हिंदू धर्म से जुड़े सैकड़ों तीर्थ स्थल बसे हुए हैं। हर जगह की अपनी मान्यता है और लोगों की लंबी भीड़ यहां दर्शन करती आपको मिलेगी। हर तीर्थस्थल किसी ना किसी देवी-देवता से जुड़ा हुआ होता है, जिनमें से ज्यादातर स्थानों पर उनकी लीला या कोई चमत्कार देखा जाता है। लेकिन इन्हीं पवित्र स्थलों में से आते हैं कुछ खास, जिन्हें साक्षात देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। खासतौर से पहाड़ों को तो भगवान का घर कहा जाता है। ऐसी कई पवित्र पहाड़ हैं, जिनपर दैवीय शक्ति का एहसास होता है। मान्यता के अनुसार स्वयं देवी-देवताओं ने स्वयं इन पवित्र पहाड़ों को अपना घर बनाया है। आइए जानते हैं इन पवित्र पहाड़ों के बारे में।

त्रिकूट पर्वत पर बसती हैं देवी मां

जम्मू के कटरा में स्थित है त्रिकूट पर्वत, जिसपर साक्षात वैष्णों माता का वास माना जाता है। यहां माता रानी तीन स्वरूपों में विराजमान हैं, महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली। 12 किलोमीटर की लंबी और कठिन चढ़ाई पूरी करने के बाद, भक्त देवी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां एक संकरी गुफा में माता तीन पिंडियों के रूप में विराजमान हैं। कहते हैं त्रिकूट पर्वत पर एक दैवीय शक्ति का एहसास होता है, जो भक्तों को माता रानी की मौजूदगी का अनुभव कराता है।

कैलाश पर बसते हैं महादेव

महादेव के निवास स्थान कैलाश पर्वत के बारे में कौन नहीं जानता। कैलाश पर्वत तिब्बत में मौजूद है और दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगहों में से एक है। कहते हैं ये एकमात्र पर्वत है, जिसकी आजतक कोई चढ़ाई नहीं कर पाया। भारत से भी श्रद्धालुओं का जत्था यहां दर्शन के लिए जाता है। यहां पर्वत की चढ़ाई नहीं की जाती बल्कि परिक्रमा लगाई जाती है। कहते हैं यहां जा कर ऐसा महसूस होता है कि आप किसी अलग ही दुनिया में हैं। यहां भगवान शिव की मौजूदगी को अनुभव करना बहुत आसान हो जाता है।

नंदा देवी पर्वत पर बसती हैं मां पार्वती

उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में बसता है नंदा देवी पर्वत, जिसे मां पार्वती के रूप नंदा देवी का निवास स्थान माना जाता है। भारत की ये दूसरी सबसे ऊंची छोटी है, जिसकी ऊंचाई लगभग 78,17 मीटर है। उत्तराखंड के लोग नंदा देवी को अपनी अधिष्ठात्री देवी मानते हैं और इन्हें हिमालय की पुत्री के रूप में जानते हैं। हर 12 साल में नंदा देवी राजजात यात्रा निकली जाती है, जब भक्त लंबी और दुर्गम चढ़ाई कर के देवी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

नीलकंठ पर्वत

बद्रीनाथ के पास स्थिति नीलकंठ पर्वत को भगवान शिव से नीलकंठ स्वरूप से जोड़ा जाता है। इस पर्वत को स्वयं भगवान भोलेनाथ का रूप माना जाता है। कहते हैं जब भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था, तब इसी पर्वत पर रह कर उन्होंने तपस्या की थी। इसलिए इस पर्वत को भगवान शिव के गले का प्रतीक माना जाता है। देखने वालों का तो ये भी कहना है कि इस पर्वत के चारों और एक दिव्य नीला प्रकाश मौजूद रहता है, जो स्वयं महादेव के होने का अनुभव कराता है।

गोवर्धन पर्वत

वृंदावन धाम के पास स्थित गोवर्धन पर्वत को भगवान श्री कृष्ण से जोड़ा जाता है। आज भी लोग दूर-दूर से इस पर्वत की परिक्रमा लगाने और दर्शन करने आते हैं। गोवर्धन महाराज को स्वयं भगवान का दर्जा दिया जाता है और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना भी की जाती है। मान्यता के अनुसार इंद्र के प्रकोप से वृंदावन वासियों को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने इसी पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। आज भी यहां भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण के होने का अहसास होता है।

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