We are not even in favour of Bakrid, what did Baba Bageshwar say on the sacrifice practice of Sanatan tradition 'हम बकरीद के भी पक्ष में नहीं'- सनातन परंपरा की बलि प्रथा पर क्या बोले बाबा बागेश्वर, Madhya-pradesh Hindi News - Hindustan
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'हम बकरीद के भी पक्ष में नहीं'- सनातन परंपरा की बलि प्रथा पर क्या बोले बाबा बागेश्वर

बकरीद से पहले बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि हम बकरीद के भी पक्ष में नहीं हैं। शास्त्री ने सनातन परंपरा में मौजूद बलि प्रथा पर भी अपनी बात रखी।

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, छतरपुरSun, 1 June 2025 05:12 PM
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'हम बकरीद के भी पक्ष में नहीं'- सनातन परंपरा की बलि प्रथा पर क्या बोले बाबा बागेश्वर

बकरीद से पहले बागेश्वर धाम के शास्त्री धीरेंद्र कृष्ण का बयान सामने आया है। उन्होंने सनातन परंपरा में मौजूद बलि प्रथा पर भी अपनी बात रखी। इसके साथ ही बाबा बागेश्वर ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि हम बकरीद के भी पक्ष में नहीं हैं। बाबा बागेश्वर ने बकरीद और बलि प्रथा को जीव हिंसा और अहिंसा परमो धर्म से जोड़ा और बकरीद का विरोध किया।

बाबा बागेश्वर ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि जीव हिंसा किसी भी संप्रदाय, कल्चर, मजहब, समाज या संस्कृति में है तो वो निंदनीय है। धीरेंद्र कृष्ण ने कहा कि हम बलि प्रथा के पक्ष में नही हैं। इसी प्रकार से बकरीद के भी पक्ष में नही हैं। हम किसी को अगर जीवित नहीं कर सकते हैं तो उसे मारने का अधिकार भी नही है।

शास्त्री ने कहा कि उस वक्त कोई ऐसी व्यवस्था रही होगी जब बकरे की कुर्बानी दी गई होगी या हमारे सनातन परंपरा में ही कई जगह बलि प्रथा है- हम दोनों पक्ष का एक्सेप्ट कर रहे हैं। अब लेकिन उपाय है। उपचार है। हम सब सभ्य हैं, शिक्षित हैं। इसलिए मुझे लगता है कि जीव हिंसा को रोकना चाहिए। अहिंसा परमोधर्म के पर्याय पर चलना चाहिए। इससे मजहब को भी तंदरुस्ती मिलेगी और सबको जीने का अधिकार है।

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इस्लाम धर्म से जुड़े लोग बकरीद के दिन बकरे की कु्र्बानी देते हैं। बकरीद को बलिदान के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, पैगंबर हजरत इब्राहिम मोहम्मद की इबादत से खुदा काफी खुश हुए और एक दिन परीक्षा ले ली। अल्लाह ने इब्राहिम से उनकी सबसे कीमती चीज की कुर्बानी मांगी, तो इब्राहिम अपने बेटे की कु्र्बानी देने को तैयार हो गया, लेकिन खुदा ने बेटे की जगह एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी थी।

सनातन परंपरा में बलि प्रथा का अस्तित्व है, लेकिन यह मुख्य रूप से शाक्त और तांत्रिक संप्रदायों तक सीमित है। वेदों में और अन्य धर्म ग्रंथों में, बलि को अक्सर निषेध या निषिद्ध बताया गया है, खासकर कलियुग में। भागवत पुराण और ब्रह्म वैवर्त पुराण में पशुबलि को कलि-वर्ज्य या निषिद्ध बताया गया है।

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