पादरी से मिलने को LoC पार कर पाकिस्तान पहुंच गई सुनीता, ऑनलाइन हुई थी पहचान
सुनीता अपने बेटे को करगिल के सीमावर्ती गांव हंदरमाण में छोड़कर LoC की ओर निकल गई। बेटे को उसने कहा कि वह लौट आएगी, लेकिन जब वह वापस नहीं आई तो स्थानीय ग्रामीणों ने लद्दाख पुलिस को सूचित कर बच्चे को सौंप दिया।

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच नागपुर की 43 साल की महिला सुनीता कश्मीर के करगिल जिले के अंतिम गांव से नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर पाकिस्तान पहुंच गई। इस घटना ने भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को हैरानी में डाल दिया है। सूत्रों के अनुसार, नर्स रह चुकी सुनीता ने यह दुस्साहसी कदम एक पाकिस्तानी पादरी से मिलने के लिए उठाया है। उससे ऑनलाइन उसकी पहचान हुई थी। इससे पहले भी दो बार उसने एलओसी को पार करने की कोशिश की थी। तीसरी कोशिश में वह पाकिस्तान पहुंच गई। इससे पहले दो बार उसे अटारी बॉर्डर पर रोका गया था।
मंगलवार को सुनीता अपने बेटे को करगिल के सीमावर्ती गांव हंदरमाण में छोड़कर LoC की ओर निकल गई। बेटे को उसने कहा कि वह लौट आएगी, लेकिन जब वह वापस नहीं आई तो स्थानीय ग्रामीणों ने लद्दाख पुलिस को सूचित कर बच्चे को सौंप दिया।
पाकिस्तानी गांव में दिखी, हिरासत में ली गई
हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर सीमा पार से उसके पकड़े जाने की पुष्टि नहीं की है। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया ने खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर कहा है कि सुनीता को पाकिस्तानी ग्रामीणों ने देखा, जिसके बाद उसे स्थानीय एजेंसियों ने हिरासत में ले लिया। अब वह पाकिस्तानी जांच एजेंसियों की हिरासत में है, जहां उससे पूछताछ हो रही है।
सुनीता के परिवार ने बताया है कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ थी और नागपुर के क्षेत्रीय मानसिक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। उसके भाई ने कहा, “वह मानसिक रूप से परेशान थी और उसका इलाज चल रहा था। पहले भी दो बार वह सीमा पार करने की कोशिश कर चुकी थी।”
इससे पहले मार्च में अमृतसर पुलिस ने सुनीता और उसके बेटे को अटारी बॉर्डर पर रोक लिया था। वह बिना वैध दस्तावेजों के पाकिस्तान में घुसने की कोशिश कर रही थी। उस समय भी उसका इरादा स्पष्ट नहीं था।
कारगिल पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर इस बात की पुष्टि की कि महिला वास्तव में पाकिस्तान चली गई थी। यह पता चला है कि 2020 में उसका तलाक हो गया था और तब से वह अपने बेटे के साथ अलग रह रही थी।