एक साथ, एक मंच पर फिर दिखे दोनों पवार; NCP के विलय की अटकलों के बीच क्यों मुलाकात?
जुलाई 2023 में अजित पवार ने कुछ सांसदों और विधायकों के साथ मिलकर एनसीपी तोड़ ली थी और महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में शामिल हो गए थे। बाद में पार्टी के वर्चस्व की लड़ाई में भी अजित पवार ने बाजी मार ली थी।

महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पॉलिटिकल फैमिली 'पवार परिवार' से जुड़ी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दोनों धड़ों के विलय की अटकलों के बीच एनसीपी के संस्थापक शरद पवार और दूसरे खेमे के नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार यानी दोनों चाचा-भतीजा एक बार फिर एक मंच पर एक साथ दिखे हैं। इस बार दोनों नेताओं की मुलाकात पुणे में हुई। दोनों ही नेता पुणे के वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट में चीनी उद्योग और कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर एक सेमिनार में एक साथ देखे गए।
उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि मंच साझा करने के अलावा शरद पवार, अजित पवार और एनसीपी (सपा)के नेता जयंत पाटिल ने अलग-अलग बातचीत भी की। हालांकि, दोनों पक्षों ने इस मुलाकात पर कहा है कि इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं था। उस कार्यक्रम में एनसीपी के दिलीप वाल्से पाटिल, एनसीपी (सपा) के राजेश टोपे और कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट भी शामिल हुए थे।
एक मंच पर एक साथ दोनों सीनियर और जूनियर पवार की मौजूदगी ने महाराष्ट्र के सियासी जगत में सरगर्मी बढ़ा दी है और सभी को अनुमान लगाने पर मजबूर कर दिया है कि क्या दोनों गुट एकजुट होने जा रहे हैं? हालांकि, शरद पवार के पोते रोहित पवार ने भी इसी तरह का कुछ इशारा कर सियासी अटकलों को और हवा दे दिया है। बता दें कि पिछले महीने मई में, दोनों पवार को मुंबई में दो अलग-अलग कार्यक्रमों में एक साथ देखा गया था। अप्रैल में भी चाचा-भतीजे ने सतारा में आयोजित रयत शिक्षण संस्थान परिषद की बैठक में मंच साझा किया था। दोनों नेताओं के मंच साझा करने का यह नवीनतम मामला 10 जून को एनसीपी के स्थापना दिवस से कुछ दिन पहले सामने आया है। एनसीपी की स्थापना शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होने के बाद की थी।
दूसरी तरफ, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) नेता अनिल देशमुख ने शरद पवार और उनसे अलग हुए भतीजे अजित पवार के बीच हाल में हुई बैठकों के बाद दोनों की अगुवाई वाले दलों के विलय की अटकलों को तवज्जो नहीं देते हुए सोमवार को कहा कि दोनों गुटों के साथ आने पर कोई चर्चा नहीं हुई। देशमुख ने कहा, ‘‘दोनों राकांपा के फिर से एक होने पर कोई चर्चा नहीं हुई है। दोनों नेता चीनी और शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े मुद्दों पर अलग-अलग मौकों पर मिलते रहते हैं। दोनों गुटों के विलय पर कोई चर्चा नहीं हुई है।’’
राज्य के पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि ऐसी बैठकें होती रहती हैं। राज्य में लंबित निकाय चुनावों के मुद्दे पर देशमुख ने कहा कि चुनाव उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘स्वच्छ पेयजल और सरकार से जुड़े मुद्दे लंबित हैं, चुनावों में और देरी नहीं होनी चाहिए।’’ बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) सहित कई नगर निकायों के चुनाव लंबे समय से लंबित हैं।
पिछले माह उच्चतम न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को चार माह के भीतर निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था। रायगढ़ और नासिक के प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति नहीं किए जाने के मुद्दे पर देशमुख ने कहा, ‘‘यह निराशाजनक है कि प्रमुख प्रशासनिक पद खाली हैं। हमें बेहतर शासन के लिए एक साथ आने और इसे हल करने की आवश्यकता है।’’उन्होंने किसानों की वास्तविक समस्याओं को लेकर कहा, ‘‘उन्होंने (सरकार ने) कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं किया गया। सरकार को केवल बातें नहीं करनी चाहिए, बल्कि काम करना चाहिए।’’