ईरान के लिए अगले 48 घंटे अहम, अमेरिका भी जंग में सैनिक भेजने को तैयार; वाइट हाउस में मीटिंग
अमेरिकी टेलीविजन नेटवर्क एबीसी ने बुधवार को रिपोर्ट में यह जानकारी दी। अमेरिका के अधिकारियों ने कहा है कि वह अगले 24 से 48 घंटे यह निर्धारित करेंगे कि ईरान और इज़रायल के बीच संघर्ष का कूटनीतिक समाधान संभव है या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सैन्य कार्रवाई का सहारा लेना पड़ेगा।
अमेरिकी अधिकारियों ने वाइट हाउस सिचुएशन रूम में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मीटिंग की। इस मीटिंग के बाद कहा जा रहा है कि अगले 24 से 48 घंटे निर्णायक सिद्ध होंगे, जो यह निर्धारित करेंगे कि ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष का कूटनीतिक समाधान संभव है या फिर राष्ट्रपति सैन्य कार्रवाई का सहारा लेंगे। अमेरिकी टेलीविजन नेटवर्क एबीसी ने बुधवार को रिपोर्ट में यह जानकारी दी। अमेरिका के अधिकारियों ने कहा है कि वह अगले 24 से 48 घंटे यह निर्धारित करेंगे कि ईरान और इज़रायल के बीच संघर्ष का कूटनीतिक समाधान संभव है या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सैन्य कार्रवाई का सहारा लेना पड़ेगा।
एबीसी न्यूज चैनल की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने वाइट हाउस सिचुएशन रूम में ट्रंप के साथ बैठक के दौरान कहा कि अगले 24 से 48 घंटे यह निर्धारित करेंगे कि ईरान और इज़रायल के बीच संघर्ष का कूटनीतिक समाधान संभव है या राष्ट्रपति को सैन्य कार्रवाई का सहारा लेना पड़ेगा। ट्रंप ने मंगलवार को ईरान से ‘बिना शर्त आत्मसमर्पण’ की मांग करते हुए कहा कि अमेरिका का धैर्य खत्म हो रहा है। उन्होंने कहा, 'अमेरिका ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के स्थान को जानता है, लेकिन उसे बाहर निकालने की कोई योजना नहीं है।'
इसी दौरान स्थानीय मीडिया ने अमेरिकी अधिकारियों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर ईरान यूरेनियम संवर्धन को छोड़ देता है, तो ईरानी अधिकारियों और अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और संभावित रूप से उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के बीच इस सप्ताह एक बैठक हो सकती है। गौरतलब है कि इज़राइल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने 13 जून तड़के राइजिंग लायन नामक अभियान के तहत ईरान के सैन्य ठिकानों और परमाणु केंद्रों पर हमला किया था।
इज़रायली वायु सेना ने तेहरान सहित ईरान में कई ठिकानों पर हमले किए थे, जिसमें ईरानी सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ़ के प्रमुख और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) कमांडरों के साथ-साथ कई परमाणु वैज्ञानिकों सहित कई वरिष्ठ ईरानी सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी। नतांज और फोर्डो सहित कई परमाणु स्थलों को भी निशाना बनाया गया। ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने इस हमले को अपराध बताया और इज़रायल को ‘कड़ा और भयानक परिणाम भुगतने’ की धमकी दी।
वहीं, आईआरजीसी ने भी 13 जून की शाम को ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 शुरू करके जवाबी कार्रवाई की, जिसमें इज़रायल के सैन्य ठिकानों पर हमला किया गया। इज़रायल ने कहा कि ईरानी हमलों में 20 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और 600 से ज़्यादा घायल हुए हैं। ईरान ने कहा कि इजरायली हमलों के कारण 220 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और 1,800 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे।
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