bjp mp nishikant dubey claims indira gandhi yielded to US pressure during 1971 war अमेरिका के दबाव में इंदिरा गांधी ने रोका था 1971 का युद्ध, बीजेपी सांसद का बड़ा दावा; दिखाए दस्तावेज, India News in Hindi - Hindustan
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अमेरिका के दबाव में इंदिरा गांधी ने रोका था 1971 का युद्ध, बीजेपी सांसद का बड़ा दावा; दिखाए दस्तावेज

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि इंदिरा गांधी पर युद्ध रोकने के लिए अमेरिका का दबाव था। उन्होंने एक रिपोर्ट शेयर करते हुए कहा कि तत्कालीन रक्षामंत्री और आर्मी चीफ के विरोध के बावजूद युद्ध रोक दिया गया था।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानTue, 27 May 2025 02:40 PM
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अमेरिका के दबाव में इंदिरा गांधी ने रोका था 1971 का युद्ध, बीजेपी सांसद का बड़ा दावा; दिखाए दस्तावेज

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 1971 के युद्ध के दौरान की एक कथित इंटेलिजेंस रिपोर्ट सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए दावा किया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यूएन के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए पाकिस्तान के साथ युद्ध को रोक दिया था। बता दें कि विपक्ष बार-बार सवाल उठा रहा है कि क्या डोनाल्ड ट्रंप के दखल की वजह से सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर को रोका था। इसी को लेकर अब निशिकांत दुबे ने पलटवार करते हुए कहा है कि क्या पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने अमेरिकी प्रेशर के चलते युद्ध रोका था। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि उस समय के रक्षा मंत्री जगजीवन राम और आर्मी चीफ मानेकशॉ युद्ध रोकना नहीं चाहते थे।

दुबे ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘आयरन लेडी इंदिरा गांधी जी, अमेरिकी दबाव में 1971 का युद्ध तत्कालीन रक्षामंत्री जगजीवन राम जी व सेनाध्यक्ष सैम मॉनेकशॉ के विरोध के बावजूद भारत ने खुद ही रोक दिया । बाबू जगजीवन राम चाहते थे कि कश्मीर का हमारा हिस्सा जो पाकिस्तान ने ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा कर रखा है उसको लेकर ही युद्ध बंद हो लेकिन आयरन लेडी का डर और चीन का दहशत यह नहीं कर पाया? भारत के लिए फ़ायदा अपना भूमि तथा करतार पुर गुरुद्वारा लेना था या बांग्लादेश बनाना? पूरी रिपोर्ट पढ़िए आयरन लेडी की राजनीतिक दृष्टि समझिए?’

दावा किया गया है कि कथित दस्तावेज 13 दिसंबर 1971 का है। इसमें लिखा है, 10 दिसंबर 1971 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांदी ने……को बताया कि यूएन के सीजफायर वाले प्रस्ताव को मानने से संभव है कि अमेरिका के साथ संबंध सुधर जाएँ। इसके अलावा लद्दाख में चीन का दखल भी रुक सकता है। रक्षा मंत्री जगजीवन राम और कुछ सैन्य अधिकिरायों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि पीओके को भी वापस लेना चाहिए। लेकिन इंदिरा गांधी ने कहा कि भारत इस सीजफायर के प्रस्ताव को खारिज नहीं करेगा। ढाका में आवामी लीग की सरकार बनने के बाद सीजफायर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाएगा।

इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सवाल किया था कि आखिर एस जयशंकर चुप क्यों थे। उन्होंने कहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री ने दावा किया कि अमेरिका के दखल के बाद सीजफायर का ऐलान किया गया है। वहीं भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच यह पूरी तरह से द्विपक्षीय मामला था। पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन करके सीजफायर को लेकर बात की थी। इसके बाद ही यह फैसला लिया गया है। भारत सरकार ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसको लेकर किसी का भी दखल स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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