भेदभाव कर रहा केंद्र... 2100 करोड़ रोके; हिंदी विवाद के बीच स्टालिन सरकार का नया दावा
- एमके स्टालिन की सरकार ने केंद्र सरकार पर राज्य के साथ वित्तीय अन्याय करने का आरोप लगाया है। राज्य के वित्त मंत्री थंगम थेन्नारासु ने कहा कि मोदी सरकार ने 'समग्र शिक्षा योजना' के तहत तमिलनाडु के 2100 करोड़ रुपये रोक दिए हैं।

तमिलनाडु में भाषा विवाद के बीच अब आर्थिक भेदभाव का नया मुद्दा गरमाने लगा है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की सरकार ने केंद्र सरकार पर राज्य के साथ वित्तीय अन्याय करने का आरोप लगाया है। शुक्रवार को विधानसभा में बजट सत्र के दौरान राज्य के वित्त मंत्री थंगम थेन्नारासु ने कहा कि मोदी सरकार ने 'समग्र शिक्षा योजना' के तहत तमिलनाडु के 2100 करोड़ रुपये रोक दिए हैं।
वित्त मंत्री का दावा है कि राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का विरोध करने की वजह से केंद्र ने यह धनराशि रोकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार भाषा विवाद में तमिलनाडु की नीतियों से असहमत होने के कारण वित्तीय रूप से दबाव बना रही है। इस बयान के बाद विधानसभा में माहौल और गरमा गया।
विधानसभा से बीजेपी-एआईएडीएमके का वॉकआउट
तमिलनाडु विधानसभा का बजट सत्र इस बार पूरी तरह केंद्र बनाम राज्य की लड़ाई का मंच बन गया। बीजेपी और एआईएडीएमके के विधायकों ने इस मुद्दे पर विधानसभा का बहिष्कार कर दिया। हंगामे के बीच वित्त मंत्री थेन्नारासु ने केंद्र पर तीखे हमले किए और कहा कि केंद्र सरकार 'तीन भाषा नीति' के जरिए तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में तीन भाषा प्रणाली का प्रस्ताव दिया गया है, जिसके तहत छात्रों को अंग्रेजी, हिंदी और एक क्षेत्रीय भाषा सीखनी होगी। तमिलनाडु सरकार शुरू से ही इसका विरोध कर रही है। राज्य में अभी तक केवल अंग्रेजी और तमिल भाषा की शिक्षा अनिवार्य है। स्टालिन सरकार का आरोप है कि तीन भाषा नीति असल में हिंदी थोपने की साजिश है।
तमिलनाडु सरकार का अनोखा विरोध
तमिलनाडु सरकार केंद्र की भाषा नीति के खिलाफ लगातार मुखर रही है। इस विरोध का एक नया उदाहरण गुरुवार को देखने को मिला, जब बजट के आधिकारिक लोगो से भारतीय मुद्रा '₹' चिन्ह हटा दिया गया और उसकी जगह तमिल शब्द 'रुबाई' का शुरुआती अक्षर 'ரு' रखा गया।
डीएमके सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार हिंदी भाषा को जबरदस्ती थोपा रही है और इसके खिलाफ वह हर मंच पर आवाज उठाएगी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हाल ही में केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर चेतावनी देते हुए कहा था कि हमें हमारी मातृभाषा से वंचित करने की कोई भी साजिश सफल नहीं होगी।
केंद्र-राज्य टकराव बढ़ने के आसार
तमिलनाडु सरकार के इस आरोप के बाद राजनीति गरमा गई है। केंद्र सरकार की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, बीजेपी नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार बेवजह भाषा विवाद को तूल देकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। इन बयानों के मद्देनजर तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच टकराव और बढ़ सकता है, खासकर भाषा और शिक्षा नीति के मुद्दे पर। गौरतलब है कि स्टालिन सरकार पहले भी हिंदी थोपने के विरोध में कई बार प्रदर्शन कर चुकी है और अब आर्थिक भेदभाव का नया मुद्दा जोड़कर केंद्र पर और दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।