यह सब पाखंड; लेक्स फ्रिडमैन के साथ प्रधानमंत्री मोदी के पॉडकास्ट पर कांग्रेस का तंज
- PM Modi podcast with Lex Fridman: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पॉडकास्ट पर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि प्रधानमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के सवालों का जवाब देने में सहज नहीं होते लेकिन अमेरिकी पॉडकॉस्टर को तीन घंटे का इंटरव्यू देने के लिए तैयार हो गए।

अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ प्रधानमंत्री मोदी के पॉडकास्ट पर कांग्रेस ने निशाना साधा है। प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कांग्रेस ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की लेकिन एक अमेरिकी पॉडकास्टर के साथ बैठने और तीन घंटों तक बातचीत करने में वह सहज महसूस करते हैं। पाखंड की कोई सीमा नहीं होती।
इससे पहले फ्रिडमैन के साथ तीन घंटे से ज्यादा समय तक चले पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने विदेश मामलों, निजी जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की। पीएम ने देशभक्ति जगाने के लिए आरएसएस की प्रशंसा की और साथ ही महात्मा गांधी की विरासत की भी सराहना की।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस पॉडकास्ट को लेकर पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने पीएम मोदी के आलोचना को लोकतंत्र की आत्मा कहने पर भी सवाल उठाया और पीएम मोदी पर आलोचना करने वाले संस्थानों को ध्वस्त करने का आरोप लगाया।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी बात रखते हुए कांग्रेस नेता ने लिखा, " जो व्यक्ति प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया का सामना करने से डरता हो वह आज एक पॉडकॉस्टर के सामने खुद को सहज महसूस कर रहा है.. इतना ही नहीं वह यह भी बड़े आराम से कह रहे हैं कि आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है, जबकि इन्होंने अपनी सरकार को जवाबदेह ठहराने वाली हर संस्था को व्यवस्थित ढंग से खत्म कर दिया। इतना ही नहीं अपने आलोचकों पर ऐसे हमला किया जैसा हाल के इतिहास में किसी ने नहीं किया।"
इससे पहले अमेरिकी कंप्यूटर साइंस इंजीनियर और पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ इंटरव्यू में पीएम मोदी अपने जीवन के बारे में बातें की। उन्होंने इसमें अपने आप को शांति का दूत बताते हुए कहा कि मैं शुरूआत से ही शांति के पक्ष में हूं। मैं राष्ट्रपति पुतिन से भी कह चुका हूं कि यह युद्ध का युग नहीं है और यही बात में जेलेंस्की से भी मित्रवत भाव से कह चुका हूं कि चाहे दुनिया कितनी भी आपके साथ खड़ी क्यों न हो जाए... युद्ध के मैदान में कोई भी फैसला नहीं हो सकता। कोई नतीजा निकालने के लिए रूस और यूक्रेन दोनों को ही बातचीत की टेबल पर आना पड़ेगा।