वक्फ बिल पर सदन में तकरार तय, INDIA गठबंधन ने मीटिंग कर बनाई रणनीति; विरोध का ऐलान
- विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसदों का कहना है कि वे पूरी तकत से इसका विरोध करेंगे और बिल को पास नहीं होने देंगे। विपक्ष का कहना है कि वह हर स्टेज पर इसका विरोध करता आया है और आगे भी करेगा।

विपक्षी दलों इंडिया गठबंधन ने मंगलवार को संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया। इस मुद्दे पर गठबंधन के नेताओं ने अहम बैठक की और तय किया कि इस बिल का हर स्तर पर कड़ा विरोध किया जाएगा। विपक्ष ने साफ कर दिया है कि वे इस बिल को असंवैधानिक मानते हैं और इसे किसी भी हाल में पारित नहीं होने देंगे।
पूरी ताकत से विरोध करेगा विपक्ष
विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसदों का कहना है कि वे पूरी तकत से इस विरोध करेंगे और बिल को पास नहीं होने देंगे। विपक्ष का कहना है कि वह हर स्टेज पर इसका विरोध करता आया है और आगे भी करेगा। गौरतलब है कि सरकार यह बिल बुधवार को लोकसभा में पेश करने जा रही है, जहां इस पर करीब आठ घंटे की बहस तय की गई है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसकी पुष्टि की है।
कांग्रेस ने जारी किया व्हिप
बिल के विरोध को लेकर संसद भवन में इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक हुई, जिसमें कई दिग्गज नेता मौजूद थे। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल, राम गोपाल यादव, सुप्रिया सुले, कल्याण बनर्जी और संजय सिंह जैसे बड़े चेहरे इस चर्चा में शामिल हुए। इसके अलावा, द्रमुक के टी आर बालू, कनिमोई, राजद के मनोज झा, माकपा के जॉन ब्रिटास, भाकपा के संदोष कुमार पी, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और वाइको भी इस रणनीति बैठक में मौजूद थे।
कांग्रेस ने अपने सभी लोकसभा सांसदों के लिए अगले तीन दिनों तक सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। इससे साफ हो गया है कि विपक्ष पूरे दमखम के साथ सरकार के इस बिल के खिलाफ उतरने वाला है।
वक्फ बिल पर क्यों है विवाद?
यह विधेयक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन को सुधारने के मकसद से लाया गया है। सरकार ने इसे पिछले साल संसद में पेश किया था और इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा था। समिति की रिपोर्ट आने के बाद कैबिनेट ने कुछ संशोधनों को मंजूरी दी थी, लेकिन विपक्ष इसे असंवैधानिक मानते हुए खारिज कर रहा है। अब जब यह बिल लोकसभा में पेश होने वाला है, तो यह साफ हो गया है कि सदन में बड़ा हंगामा होना तय है। विपक्ष जहां इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताकर विरोध कर रहा है, वहीं सरकार इसे सुधारवादी कदम बता रही है।