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कितना बड़ा है भारत-अमेरिका का व्यापार, GDP को होगा नुकसान? ट्रंप के 'टैरिफ' से कहां लगेगी चोट

  • ट्रंप ने नए संशोधित टैरिफ दरों की घोषणा की है, जिससे भारत सहित कई देशों पर प्रभाव पड़ सकता है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी चार्ट के अनुसार, भारत पर अब 26% टैरिफ लगाया जाएगा।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 3 April 2025 08:15 AM
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कितना बड़ा है भारत-अमेरिका का व्यापार, GDP को होगा नुकसान? ट्रंप के 'टैरिफ' से कहां लगेगी चोट

हाल के वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभरे हैं। दोनों देशों के बीच का व्यापार न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 'जवाबी टैरिफ' ने इस रिश्ते पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। ट्रंप ने बुधवार को नए संशोधित टैरिफ दरों की घोषणा की है, जिससे भारत सहित कई देशों पर प्रभाव पड़ सकता है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी चार्ट के अनुसार, भारत पर अब 26% टैरिफ लगाया जाएगा। वहीं, कंबोडिया पर सबसे ज्यादा 49% शुल्क लगाया गया है, जबकि चीन 34% और यूरोपीय संघ 20% टैरिफ का सामना करेगा। आइए जानते हैं कि ट्रंप की नीति से भारत को कहां सबसे ज्यादा चोट लग सकती है।

भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध कितने बड़े हैं?

पहले समझते हैं कि आाखिर भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध कितने बड़े हैं? अमेरिका भारत के लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन रहा है। भारत ने वित्तवर्ष 2023-24 में अमेरिका को 77.5 बिलियन डॉलर मूल्य के सामानों का निर्यात किया। यह आंकड़ा भारत के अगले तीन सबसे बड़े निर्यात गंतव्यों से भी अधिक है। 2024-25 में यह रुझान जारी रहने की संभावना है।

इसके विपरीत, अमेरिका से भारत का आयात मात्र 6% के आसपास रहता है। 2023 में भारत ने अमेरिका से 42.2 बिलियन डॉलर के सामान आयात किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17% कम था। यह व्यापार असंतुलन अमेरिका के लिए चिंता का विषय बना हुआ है और इसी के चलते ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाने का फैसला लिया है।

भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले प्रमुख उत्पादों में फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और परिधान, रत्न और आभूषण, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि शामिल हैं। दूसरी ओर, भारत अमेरिका से 23 बिलियन डॉलर मूल्य का आयात करता है, जिसमें कच्चा तेल, मशीनरी, और उच्च तकनीक वाले उत्पाद शामिल हैं। दोनों देशों ने 2030 तक व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है, जिसे 'मिशन 500' नाम दिया गया है।

अमेरिका से भारत के प्रमुख आयात:

पेट्रोलियम कच्चा तेल और उत्पाद (लगभग एक तिहाई आयात)

मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर, और आभूषण

परमाणु रिएक्टर, बॉयलर और विद्युत मशीनरी

विमान और उनके पुर्जे

चिकित्सा उपकरण

रक्षा उपकरण (रूस पर निर्भरता कम करने के लिए भारत अब अमेरिका से खरीद बढ़ा रहा है)

भारत से अमेरिका को प्रमुख निर्यात:

पेट्रोलियम उत्पाद

दवाएं और फार्मास्यूटिकल्स

मोती, कीमती/अर्ध-कीमती पत्थर

दूरसंचार उपकरण

विद्युत मशीनरी

कपड़े और कॉटन फैब्रिक

इलेक्ट्रॉनिक उपकरण

कोविड-19 महामारी के बाद भारत का अमेरिका को निर्यात तेजी से बढ़ा है।

ट्रंप की भारत से मांगें क्या हैं?

ट्रंप प्रशासन चाहता है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर लगने वाले टैरिफ में कटौती करे और अमेरिका से अधिक वस्तुएं खरीदे। हाल ही में ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच फोन वार्ता के बाद व्हाइट हाउस ने कहा था, "राष्ट्रपति ने भारत से आग्रह किया कि वह अमेरिकी सुरक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाए और एक निष्पक्ष द्विपक्षीय व्यापार संतुलन बनाए।" अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने भारत में हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिलों पर लगने वाले हाई टैरिफ का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद भारत ने 2019 में शुल्क 50% तक कम कर दिया था।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने एचटी को बताया कि जब ट्रंप दूसरों से कम टैरिफ की मांग करते हैं तो वे सबसे ऊंची दरों का हवाला देते हैं। जबकि अमेरिका में औसत आयात शुल्क 3.3% है, भारत में यह 17% है, व्हिस्की और वाइन जैसी कुछ वस्तुओं पर 150% और कारों पर 125% शुल्क लगता है। टैरिफ के इन स्तरों के साथ भी, भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं का अनुपालन करता है। उन्होंने कहा कि ट्रंप की टैरिफ कटौती की मांगें WTO के प्रति राष्ट्रों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं के विपरीत होंगी।

भारत टैरिफ में कटौती के लिए तैयार है?

भारत किसी भी देश के लिए एकतरफा शुल्क में कटौती नहीं कर सकता क्योंकि यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) की प्रतिबद्धताओं के खिलाफ होगा। अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर वही टैरिफ लागू होता है जो किसी अन्य गैर-एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) वाले देश से आने वाले सामानों पर होता है। अगर भारत और अमेरिका के बीच कोई द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता (FTA) होता, तो टैरिफ कटौती पर चर्चा संभव थी। हालांकि, IPEF (इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी) के तहत भी टैरिफ कटौती का प्रावधान नहीं है। इसके अलावा, यदि भारत आम बजट में शुल्क कटौती करता है, तो इससे अमेरिका के बजाय चीन और वियतनाम को अधिक लाभ मिल सकता है। इसलिए, भारत फिलहाल अमेरिका की मांगों की आधिकारिक सूची का इंतजार कर सकता है।

क्या भारत अमेरिका से ज्यादा सामान खरीद सकता है?

व्यापार आमतौर पर निजी कंपनियों के बीच होता है और यह व्यावसायिक शर्तों पर निर्भर करता है। अमेरिका चाहता है कि भारत उससे अधिक हथियार खरीदे, जो संभव भी हो सकता है क्योंकि भारत रूस पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है। अमेरिका से भारत का सबसे बड़ा आयात पेट्रोलियम उत्पाद हैं। भारत इनकी खरीद तभी बढ़ा सकता है जब अमेरिकी तेल कंपनियां संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और रूस की तुलना में बेहतर सौदे की पेशकश करें। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका को व्यापार घाटे के बजाय समग्र आर्थिक संबंधों पर ध्यान देना चाहिए। भारतीय बाजार न केवल पारंपरिक अमेरिकी कंपनियों बल्कि टेक दिग्गजों जैसे माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, अल्फाबेट, अमेजॉन और वॉलमार्ट के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।

ट्रंप का डिस्काउंट के साथ लगाया गया 'जवाबी टैरिफ' क्या है?

ट्रंप ने अपने 'अमेरिका फर्स्ट' दृष्टिकोण के तहत जवाबी टैरिफ नीति को फिर से जोर दिया है। इसका मतलब है कि अमेरिका उन देशों पर उतना ही टैरिफ लगाएगा, जितना वे अमेरिकी उत्पादों पर लगाते हैं। 2 अप्रैल, 2025 को ट्रंप प्रशासन ने भारत के 52% औसत टैरिफ के जवाब में 26% टैरिफ लागू करने की घोषणा की। ट्रंप का तर्क है कि भारत जैसे देश उच्च शुल्क लगाकर अमेरिकी उत्पादों को अपने बाजार में महंगा करते हैं, जिससे अमेरिकी उद्योगों को नुकसान होता है। उनकी यह नीति रसायन, धातु, फार्मा, ऑटोमोबाइल, और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों को टारगेट करती है।

कहां लगेगी सबसे ज्यादा चोट?

ट्रंप के टैरिफ से भारत के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं।

फार्मास्यूटिकल्स: भारत अमेरिका को 8 बिलियन डॉलर की दवाएं निर्यात करता है, जो इसका सबसे बड़ा औद्योगिक निर्यात है। टैरिफ बढ़ने से दवाएं महंगी होंगी, जिससे भारतीय फार्मा कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत का बाजार हिस्सा घट सकता है।

टेक्सटाइल और परिधान: 9.6 बिलियन डॉलर के निर्यात के साथ यह सेक्टर पहले से ही कम मार्जिन पर काम करता है। 26% टैरिफ से कीमतें बढ़ेंगी, जिससे अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग घट सकती है।

ऑटोमोबाइल पार्ट्स: 2023 में 2.6 बिलियन डॉलर के ऑटो पार्ट्स निर्यात पर टैरिफ का असर पड़ेगा। अमेरिका में पहले से ही आयातित वाहनों पर 25% शुल्क है, और नया टैरिफ इसे और महंगा करेगा।

रत्न और आभूषण: अमेरिका भारत के 30% जेम्स निर्यात का गंतव्य है। टैरिफ से यह सेक्टर भी प्रभावित होगा, क्योंकि कीमतों में वृद्धि मांग को कम कर सकती है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और IT: भारत में उत्पादित 50% iPhone अमेरिका जाते हैं। टैरिफ से उत्पादन लागत बढ़ेगी, और IT सेक्टर में 5% शेयर गिरावट की आशंका जताई जा रही है।

आर्थिक प्रभाव: अनुमान है कि टैरिफ से भारत के अमेरिकी निर्यात में 2-7 बिलियन डॉलर की कमी आ सकती है, और GDP में 5-10 बेसिस पॉइंट की गिरावट हो सकती है।

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भारत की जीडीपी को कितना नुकसान हो सकता है?

SBI रिसर्च के अनुसार, भारत के कुल निर्यात पर प्रभाव 3-3.5% तक सीमित रह सकता है। भारतीय अर्थशास्त्रियों और रेटिंग एजेंसियों (जैसे ICRA और CARE Ratings) के अनुसार, टैरिफ से भारत की जीडीपी में 5-10 बेसिस पॉइंट (0.05-0.10%) की गिरावट हो सकती है। इसका मतलब है कि अगर भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 6.5% रहने का अनुमान है, तो यह 6.4-6.45% तक सीमित हो सकती है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अगर टैरिफ का दायरा बढ़ता है और भारत जवाबी टैरिफ लगाता है, तो यह प्रभाव 20 बेसिस पॉइंट (0.2%) तक जा सकता है।

भारत की रणनीति और संभावनाएं

हालांकि टैरिफ से नुकसान की आशंका है, लेकिन भारत के पास कुछ अवसर भी हैं। भारत ने हाल ही में कुछ अमेरिकी उत्पादों (जैसे बोरबॉन, मोटरसाइकिल, और अल्फाल्फा घास) पर टैरिफ कम किए हैं, जिसे ट्रंप ने सकारात्मक कदम माना है। इसके जवाब में अमेरिका ने भारतीय आमों और अनारों के लिए बाजार पहुंच बढ़ाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत ट्रंप के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत तेज करता है, तो नुकसान को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, यदि ट्रंप चीन से दूरी बढ़ाते हैं, तो भारत अमेरिकी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित कर सकता है। भारत की विविध अर्थव्यवस्था और घरेलू मांग इसे टैरिफ युद्ध के झटके से उबरने में मदद कर सकती है।