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साजिश, सबूत और बाहर का कमरा; कैश मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा की 5 दलीलें

  • जस्टिस यशवंत वर्मा ने दूसरी दलील यह दी है कि वह जब अग्निकांड के बाद घर लौटे तो परिवार के किसी सदस्य या फिर स्टाफ मेंबर ने उन्हें ऐसी किसी रिकवरी की बात नहीं बताई। उन्होंने कहा कि यह बात हैरान करने वाली है कि जो दावा किया जा रहा है, वैसा कुछ भी नहीं है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 24 March 2025 12:31 PM
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साजिश, सबूत और बाहर का कमरा; कैश मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा की 5 दलीलें

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने शनिवार को उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय को पत्र लिखकर कैश कांड पर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने अपने घर में आग लगने के दौरान बड़ी मात्रा में कैश पाए जाने के आरोपों पर जवाब दिया है। जस्टिस वर्मा ने सभी आरोपों को खारिज किया है और उनका कहना है कि छवि को खराब करने के लिए ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर आग लगने की खबर पर पहुंचे दमकलकर्मियों को एक कमरे में बड़े पैमाने पर कैश मिला थआ। यही नहीं कहा जा रहा है कि कैश जलने के वीडियो भी दिल्ली पुलिस कमिश्नर की तरफ से हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दिए गए हैं।

अग्निकांड वाले दिन जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी दिल्ली में नहीं थे बल्कि मध्य प्रदेश की यात्रा पर थे। उनकी बेटी और मां ही घर पर थे। 15 मार्च की शाम को जस्टिस वर्मा घर लौटे थे। इस मामले में चीफ जस्टिस के निर्देशन में जांच चल रही है और दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। इसके अलावा तीन सदस्यीय एक समिति भी जांच के लिए गठित हुई है। वहीं जस्टिस वर्मा ने अपना जवाब दिया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाशित भी किया है। जस्टिस वर्मा ने अपने जवाब में कैश जलने वाले उस वीडियो पर ही हैरानी जताई, है, जिसे पुलिस कमिश्नर ने चीफ जस्टिस को सौंपा। उन्होंने कहा कि जो वीडियो शेयर किया गया था और उसमें जो दिखाया गया है, वैसा कुछ भी मौके पर नहीं था। एक तरह से उन्होंने वीडियो की सत्यता पर ही प्रश्न खड़ा किया है।

उन्होंने दूसरी दलील यह दी है कि वह जब अग्निकांड के बाद घर लौटे तो परिवार के किसी सदस्य या फिर स्टाफ मेंबर ने उन्हें ऐसी किसी रिकवरी की बात नहीं बताई। उन्होंने कहा कि यह बात हैरान करने वाली है कि जो दावा किया जा रहा है, वैसा कुछ भी नहीं है। जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से कोई कैश बरामद नहीं हुआ। इसके अलावा जले हुए नोट भी बरामद नहीं हुए, जबकि कैश जलने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा कि परिवार के किसी भी मेंबर ने उस कमरे में कोई कैश नहीं देखा, जहां 14 और 15 मार्च की रात को आग लगी थी। जस्टिस वर्मा ने यह भी कहा कि पुलिस उस दिन रात को लौट गई, लेकिन यह नहीं बताया कि वहां से कोई कैश बरामद हुआ है।

'हम तो बैंक से ही सारे ट्रांजेक्शन करते हैं, पूरा रिकॉर्ड है'

जस्टिस वर्मा ने साफ कहा कि मैंने या फिर मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने स्टोर रूम में कोई कैश नहीं रखा था। हम जो भी कैश निकालते हैं, उसकी पूरी डिटेल है। हम बैंक से ही ऐसा करते हैं या फिर यूपीआई का इस्तेमाल होता है। कार्ड भी यूज करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं फिर से दोहरा रहा हूं कि मुझे या परिवार के किसी सदस्य को उस कमरे से कोई कैश नहीं मिला, जहां का दावा हो रहा है। उन्होंने अपने बचाव में फायर सर्विस के चीफ का बयान ही दोहराया है कि मौके से कोई कैश नहीं मिला था। उनका तीसरा दावा है कि जिस कमरे में कैश मिलने की बात कही जा रही है, वह उनके घर के मुख्य परिसर का हिस्सा नहीं है बल्कि बाहर स्थित है। उन्होंने कहा कि इस रूम का इस्तेमाल तो स्टोररूम के तौर पर होता था और अकसर खुला ही रहता था।

जज ने बताया- स्टोर रूम में क्या रहता था, साजिश की भी बात

जस्टिस ने लिखा है कि इस कमरे का इस्तेमाल स्टोर रूम के तौर पर होता था। यहां अकसर फर्नीचर, बोतल, कारपेट, स्पीकर, बागबानी का सामान आदि रखा रहता है। यह रूम हमेशा खुला रहता था ताकि स्टाफ कभी भी जरूरी सामान ले सके। इसके अलावा मुख्य परिसर से यह जुड़ा भी नहीं है। उन्होंने सवाल भी उठाया कि आखिर कोई बाहर के कमरे में इतना मोटा कैश क्यों रखेगा, जहां तक कोई भी आसानी से पहुंच जाए और कैश पा सके। उनकी चौथी दलील में एक साजिश का भी इशारा किया गया है। जस्टिस वर्मा ने लिखा कि दिसंबर 2024 में मेरे खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट हुई थीं। शायद उसी साजिश का हिस्सा है, जिसका एक रूप ऐसे सामने आया है।

जस्टिस वर्मा की मांग- जांच कराएं ताकि तस्वीर साफ हो

पांचवीं बात उन्होंने यह रखी है कि उनके केस की जांच करा ली जाए। उन्होंने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा है कि उनके केस की जांच करा ली जाए। इससे पूरी बात साफ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे मेरी गरिमा भी बहाल होगी और न्यायपालिका की छवि के लिए भी ऐसा करना बेहतर होगा। गौरतलब है कि जस्टिस वर्मा को सभी न्यायिक कामों से दिल्ली उच्च न्यायालय ने दूर कर दिया है। फिलहाल उनके इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर को लेकर भी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।