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नकदी विवाद के बाद कोर्ट नहीं पहुंचे जस्टिस यशवंत वर्मा, फायर डिपार्टमेंट भी मौन

  • दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी नकदी मिलने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। वहीं शुक्रवार को उन्होंने कोर्ट से दूरी बनाए रखी।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानSat, 22 March 2025 07:48 AM
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नकदी विवाद के बाद कोर्ट नहीं पहुंचे जस्टिस यशवंत वर्मा, फायर डिपार्टमेंट भी मौन

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबरों से हड़कंप मचा हुआ है। वकील भी इस मामले को लेकर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अभी जस्टिस वर्मा का तबादला नहीं किया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से प्रस्ताव इस मामले को लेकर नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा कि कोर्ट इस मामले को लेकर गंभीर है। मुख्य न्यायाधीश की बेंच के सामने सीनियर वकील अरुण भारद्वाज ने कहा कि इस घटना से वे बेहद सकते में हैं और निराश अनुभव कर रहे हैं।

उन्होंने चीफ जस्टिस से अपील की कि इस घटना को लेकर ऐसी कार्रवाई की जाए की आगे इस तरह के मामले ना हों और न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर आंच ना आए। वहीं चीफ जस्टिस ने भारद्वाज से कहा, सभी को चिंता है और हम इस मामले को लेकर गंभीर हैं। भारद्वाज ने कहा कि यह हमारे बहुत सारे वकील भाइयों के विचार हैं। वहीं जस्टिस वर्मा शुक्रवार को कोर्ट नहीं पहुंचे। दिल्ली फायर सर्विस ने भी नकदी के मामले में कोई जानकारी देने से इनकार किया है। फायर डिपार्टमेंट का कहना है कि आग स्टेशनरी और घरेलू सामान में लगी थी।

दिल्ली फायर सर्विस के चीफ अतुल गर्ग ने कहा कि कुछ ही मिनटों में आग पर काबू पा लिया गया था। कैश को लेकर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। सूत्रों का कहना है कि जज के आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने रात में करीब साढ़े 11 बजे फायर डिपार्टमेंट और स्थानीय पुलिस को आग लगने की सूचना दी थी। जानकारी मिलने के बाद टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई। डीएफएस की रिपोर्ट की बात करें तो उन्हें रात में 11 बजकर 35 मिनट पर कॉल मिली थी।

दिल्ली पुलिस की डेली डायरी के मुताबिक भी उनके आवास पर कुछ भी असामान्यन हीं था। बता दें कि 11 अक्टूबर 2021 को जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह इलाहाबाद हाई कोर्ट में थे। जस्टिस वर्मा कम से कम 11 कमेटियों का हिस्सा हैं। मध्य प्रदेश से कानून की डिग्री लेने के बाद 1992 में वह वकील बने थे। वह इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे। इलाहाबाद हाई कोर्ट में सात साल जज रहने के बाद उन्होंने कई अहम फैसले सुनाए। 2014 में वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के अडिशनल जज बन गए। 2018 में जस्टिस वर्मा ने ही यूपी के अस्पताल में 63 बच्चों की मौत केस में लापरवाही के आरोपी डॉ. कफील खान को जमानत दी थी।