हिंदुस्तान की न्यायपालिका का आज सबसे काला दिन; कैशकांड में जज के ट्रांसफर पर भड़के वकील
- अनिल तिवारी ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन उनके शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करने का निर्णय कर चुकी है। हमारी हड़ताल का स्वरूप बदल सकता है, लेकिन लड़ाई जारी रहेगी।

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद किए जाने की अधिसूचना जारी होने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी ने कहा कि हिंदुस्तान की न्यायपालिका का आज सबसे काला दिन है। पिछले दिन जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनका स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट करने की सिफारिश के खिलाफ हाई कोर्ट बार एसोसिएशन मंगलवार से आंदोलन कर रहा है।
अनिल तिवारी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन उनके शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करने का निर्णय कर चुकी है। हमारी हड़ताल का स्वरूप बदल सकता है, लेकिन लड़ाई जारी रहेगी।'' उन्होंने कहा, ''सरकार ने किस मजबूरी में यह (स्थानांतरण की अधिसूचना) किया है, मुझे नहीं मालूम, लेकिन सरकार पर हमें अब भी भरोसा है कि वह हस्तक्षेप करेगी। हमने रात में आपात बैठक बुलाई है जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल होंगे और उसमें आगे की रणनीति पर निर्णय किया जाएगा।''
तिवारी ने कहा, ''हम आम लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह अन्याय है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय को कचरा घर बना दिया गया है।'' इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मंगलवार से हड़ताल पर हैं और आज उनकी हड़ताल का चौथा दिन है। सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने की अधिसूचना जारी कर दी। न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास से कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने को लेकर उत्पन्न विवाद के बीच विधि मंत्रालय ने यह अधिसूचना जारी की है।
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने सोमवार को न्यायमूर्ति वर्मा के स्थानांतरण की सिफारिश करते हुए कहा था कि यह कदम 14 मार्च को होली की रात आग लगने की घटना के बाद उनके आवास से कथित तौर पर नकदी मिलने के संबंध में शीर्ष अदालत द्वारा दिये गये आंतरिक जांच के आदेश से अलग है। प्रधान न्यायाधीश ने घटना के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय को न्यायमूर्ति वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लेने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को कहा था कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू की है और न्यायाधीश को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव इससे अलग है।