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जस्टिस यशवंत वर्मा का नहीं रुका तबादला, CJI बोले- जूडिशियल काम से रखिएगा अलग-थलग

अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह के बाद जस्टिस वर्मा के तबादले का फैसला किया है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 28 March 2025 06:52 PM
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जस्टिस यशवंत वर्मा का नहीं रुका तबादला, CJI बोले- जूडिशियल काम से रखिएगा अलग-थलग

अपने सरकारी आवास से भारी मात्रा में कथित अधजले नकदी बरामद होने के बाद विवादों में फंसे दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का आखिरकार इलाहाबद हाई कोर्ट में तबादला हो गया। एक सरकारी अधिसूचना में जानकारी दी गई है कि शुक्रवार को उनका स्थानांतरण इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कर दिया गया है। विधि मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर उनके स्थानांतरण की घोषणा की। इसाहाबाद हाई कोर्ट समेत छह हाई कोर्ट के बार के वकीलों ने एक दिन पहले ही सीजेआई खन्ना और कॉलेजियम से मिलकर जस्टिस वर्मा का तबादला रद्द करने की मांग की थी।

अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह के बाद जस्टिस वर्मा के तबादले का फैसला किया है। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने 24 मार्च 2025 को न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी।

जस्टिस वर्मा को काम से अलग रखें

दूसरी तरफ, देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से जस्टिस यशवंत वर्मा को न्यायिक कार्यों से अलग रखने को कहा है। इससे पहले सीजेआई ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के लिए भी इसी तरह का आदेश जारी किया था।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम ने इस सप्ताह की शुरुआत में जस्टिस वर्मा का स्थानांतरण करने की सिफारिश करते हुए कहा था कि यह कदम होली की रात उक्त जज के आधिकारिक आवास में आग और कथित तौर पर नकदी मिलने के मामले में आंतरिक जांच के आदेश से अलग है।

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सुप्रीम कोर्ट ने FIR वाली अर्जी की खारिज

जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने और पुलिस को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जो आज (28 मार्च) खारिज कर दी गई। शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए ये याचिका खारिज कर दी कि इस विवाद की जांच न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति कर रही है। मुख्य न्यायाधीश ने समिति के गठन का 22 मार्च को आदेश दिया, जिसमें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। (एजेंसी इनपुट्स के साथ)