मोहनलाल की फिल्म एम्पुरान पर हंगामा, RSS की नाराजगी के बाद मेकर्स बदलाव को तैयार
- RSS से जुड़ी पत्रिका में प्रकाशित लेख में कहा गया कि मोहनलाल अभिनीत ‘एल2 : एम्पुरन’ महज एक फिल्म नहीं, बल्कि हिंदू विरोधी और भाजपा विरोधी विमर्श फैलाने का जरिया है।

मोहनलाल अभिनित फिल्म 'एल2: एम्पुरान' को लेकर हंगामा मचा हुआ है। इसे लेकर काफी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कांग्रेस ने भाजपा पर फिल्म के प्रति असहिष्णुता दिखाने का आरोप लगाया, जबकि दक्षिणपंथी सोशल मीडिया एकाउंट्स पर इसकी तीखी आलोचना की गई। हालांकि, भाजपा के बड़े नेताओं ने पृथ्वीराज के निर्देशन में बनी फिल्म के खिलाफ खुले तौर पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की। लेकिन, पार्टी और संघ परिवार के कार्यकर्ता इसकी आलोचना करते रहे। इस बीच, फिल्म के निर्माताओं ने इसमें कुछ बदलाव करने का फैसला कर लिया है। तिरुवनंतपुरम के क्षेत्रीय केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ऑफिर के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बोर्ड के अफसर के हवाले से यह अपडेट दिया गया। उन्होंने बताया, 'हमें इसकी जानकारी दी गई है। सेंसर बोर्ड की ओर से पहले से प्रमाणित फिल्म में स्वैच्छिक संशोधन का प्रावधान है। उन्होंने बोर्ड से संपर्क किया है। आमतौर पर हम बोर्ड की ओर से मंजूर फिल्म में स्वैच्छिक संशोधन की इजाजत देते हैं। कौन से बदलाव करने हैं, यह उनके विवेक पर निर्भर करता है। हमारी प्रक्रिया यही है कि स्वैच्छिक संशोधनों की अनुमति दी जाती हैं।'
आरएसएस ने फिल्म को हिंदू विरोधी बताया
गुरुवार को फिल्म रिलीज के पहले दिन ही संघ परिवार ने सोशल मीडिया पर फिल्म की तीखी आलोचना की थी। RSS से जुड़ी पत्रिका में प्रकाशित लेख में कहा गया कि मोहनलाल अभिनीत ‘एल2 : एम्पुरन’ महज एक फिल्म नहीं, बल्कि हिंदू विरोधी और भाजपा विरोधी विमर्श फैलाने का जरिया है। यह पहले से ही खंडित भारत को और विभाजित करने का खतरा पैदा करती है। लेख में आरोप लगाया गया कि फिल्म में गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों जैसे संवेदनशील विषय को स्पष्ट और भयावह पूर्वाग्रह के साथ पेश किया गया है। हालांकि, एल2: एम्पुरन के पटकथा लेखक मुरली गोपी ने विवाद को खारिज करते हुए कहा कि हर किसी को अपनी तरह से फिल्म की व्याख्या करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, 'मैं विवाद पर पूरी तरह से चुप रहूंगा। उन्हें लड़ने दें। हर किसी को अपनी तरह से फिल्म की व्याख्या करने का अधिकार है।'