मेरी बात को गलत समझा गया, पहलगाम पर बोलकर फंसे रॉबर्ट वाड्रा, अब देने लगे सफाई
रॉबर्ट वाड्रा ने पहलगाम हमले पर दिए गए अपने ही बयान की सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि उनके इरादों की गलत व्याख्या की गई थी। वाड्रा ने कहा कि किसी भी कीमत पर हिंसा को जायज नहीं ठहराया जा सकता।

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद अपने ही बयान पर घिरे रॉबर्ट वाड्रा ने अपनी सफाई पेश की है। रॉबर्ट वाड्रा ने कहा था कि जब भी सांप्रदायिक मुद्दे होते हैं और लोग खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं तो देश में विभाजन की स्थिति बन जाती है और पड़ोसी देशों को इसका फायदा मिलता है। उन्होंने कहा था कि राजनीति और धर्म को अलग-अलग रखा चाहिए। वाड्रा ने कह दिया कि हमला यह संदेश देने की कोशिश है कि देश में मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बीजेपी ने जब रॉबर्ट वाड्रा पर हमला किया तो वह सफाई देने लगे।
वाड्रा ने फेसबुक पोस्ट में कहा, मैं ये शब्द पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ लिख रहा हूं। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप इन्हें उसी ईमानदार भावना के साथ ग्रहण करें, जिस भावना से ये लिखे जा रहे हैं। यह स्पष्ट है कि मैंने जो कुछ साझा किया, उसे उसके संपूर्ण संदर्भ में ठीक तरह से नहीं समझा गया। चूंकि मेरे इरादों की गलत व्याख्या की गई, इसलिए मैं समझता हूं कि उन्हें स्पष्ट करना मेरी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, मैं ईमानदारी, पारदर्शिता और सम्मान के साथ खुद को स्पष्ट करने के लिए प्रतिबद्ध हूं। मैंने कुछ दिन मौन रहकर इंतजार करने का फैसला किया, लेकिन इसे खामोशी, उदासीनता या देशभक्ति की कमी न समझा जाए। असल में, अपने देश के प्रति मेरे गहरे प्रेम, सत्य के प्रति मेरे अगाध सम्मान और समर्पण के प्रति मेरी प्रतिबद्धता के कारण ही मैंने बोलने से पहले चिंतन करने का समय लिया। मौन वह पड़ाव है जहां जिम्मेदारी परिपक्व होती है, भावनाएं शांत होती हैं और शब्दों का चयन आवेग के बजाय सावधानी से किया जा सकता है।
वाड्रा ने कहा, मैं इस बारे में स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरे विचार क्या हैं:
पहलगाम में जो आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें निर्दोष लोगों की जान ली गई और उनके परिवार बिखर गए, उसकी मैं कड़ी से कड़ी निंदा करता हूं। मैं भारत के साथ खड़ा हूं और हमेशा खड़ा रहूंगा। राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक - किसी भी रूप में ऐसा कोई तर्क नहीं है जिसके सहारे निर्दोष- निहत्थे लोगों के विरुद्ध हिंसा को माफ किया जा सके। मेरा मानना है कि किसी भी रूप में आतंकवाद न केवल इंसानों पर बल्कि समूची इंसानियत की आत्मा पर हमला है।यह हर इंसान के भयमुक्त जीवन जीने के बुनियादी अधिकार को खत्म कर देता है।
उन्होंने कहा, निर्दोष लोगों के खून बहाने के कृत्य को जायज ठहराने के लिए कोई भी कारण, कोई भी तर्क उचित नहीं हो सकता। जिनका जीवन छिन गया, जिनका भविष्य छिन गया, जिनके दिल अकल्पनीय दुःख से भर गए हैं - उन सबके लिए मैं शोक व्यक्त करता हूं। और मैं सभी से महात्मा गांधी जी की सीख को याद करने का आग्रह करता हूं - उन्होंने कहा था कि अहिंसा सबसे साहसी विकल्प होता है। हमारे देशवासियों का दुख हमारा अपना दुख है। आज इस दुख की घड़ी में एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करता हूं जहां कोई भी बच्चा, कोई भी परिवार, कोई भी समुदाय आतंक के साये में न रहे।