Book Fair Bridges Ethnic Divide in Manipur Amidst Ongoing Violence किलो के भाव किताबें बेच कर सद्भाव बढ़ाते मणिपुर के युवा, India News in Hindi - Hindustan
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किलो के भाव किताबें बेच कर सद्भाव बढ़ाते मणिपुर के युवा

मणिपुर में जातीय हिंसा से प्रभावित पांच युवकों ने 'बुक कल्चर नार्थईस्ट' के तहत एक ट्रैवलिंग बुक फेयर का आयोजन किया है। यह मेला मैतेई और कुकी समुदाय के बीच की खाई को पाटने में मदद कर रहा है। मेले में...

डॉयचे वेले दिल्लीWed, 28 May 2025 06:36 PM
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किलो के भाव किताबें बेच कर सद्भाव बढ़ाते मणिपुर के युवा

दो साल से भी ज्यादा समय से जातीय हिंसा की खाई में झुलस रहे पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में पांच युवकों ने ट्रैवलिंग बुक फेयर के जरिए मैतेई और कुकी समुदाय के बीच की खाई को पाटने और उनको घावों पर मरहम लगाने की कोशिश की है.मणिपुर में मई, 2023 से जारी हिंसा के बाद राज्य के दो प्रमुख समुदायों, मैतेई और कुकी के बीच जातीय विद्वेष की खाई काफी गहरी हो चुकी है.हालात यह है कि इन दोनों तबके के लोग एक-दूसरे के इलाके में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते.लेकिन इसी परिस्थिति में राज्य के पांच युवकों ने मिल कर एक ट्रैवलिंग बुक फेयर आयोजित करने की योजना बनाई.इस मेले को खासकर उन इलाकों में लगाया जाना था जो हिंसा की सबसे ज्यादा चपेट में रहे हैं.बीते साल अक्तूबर में शुरू हुआ यह मेला हिंसा और विस्थापन के कारण अवसाद में डूबे लोगों में उम्मीद की नई किरण जगा रहा है.खासकर बच्चों और युवा तबके में यह काफी लोकप्रिय हो रहा है.मणिपुर की कामयाबी के बाद यह मेला अब राज्य की सीमा पार कर पड़ोसी नागालैंड और असम में भी लगाया जा चुका है.पांच युवकों ने शुरू की मुहिम"बुक कल्चर नार्थईस्ट" के बैनर तले लगने वाले इस मेले के आयोजन की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है.संगठन के बुक फेयर क्यूरेटर कुलजीत मैसनम डीडब्ल्यू को बताते हैं, "हम पांच युवकों ने इस संगठन की स्थापना की है.हम लोग इंटरनेट के जरिए संपर्क में आए थे. कई दिनों तक चले विचार-विमर्श के बाद हमने हिंसा से जूझ रहे राज्य के विभिन्न इलाकों में शांति की बहाली की दशा में बुक फेयर के आयोजन का फैसला किया" उनके अलावा बाकी सदस्यों में दामोदर आरामबम, क्लिंटन सलाम, चिंगखेई सलाम और निकोल सेखम शामिल हैं.मैसनम बताते हैं कि इसके लिए देश के विभिन्न इलाकों से शुभचिंतकों और समर्थकों के जरिए किताबें जुटाने की मुहिम शुरू हुई.इस पहल को कई लोगों का समर्थन भी मिला.उसके बाद मणिपुर के विभिन्न जिलों में मेला लगाना शुरू हुआ.पहली बार यह मेला बीते साल अक्तूबर में लगा था.आम लोगों और खासकर युवा तबके में इसके प्रति बढ़ती दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए अब तक इसे राजधानी इंफाल के अलावा कुकी बहुल उखरुल और सेनापति जिले के विभिन्न इलाकों में भी लगाया जा चुका है.आयोजकों का कहना है कि ऐसे मेले के आयोजन की योजना वर्ष 2023 में ही बनी थी.लेकिन उस समय की परिस्थिति के कारण इसे अमली जामा पहनाने में एक साल से ज्यादा का समय लग गया.हालात में कुछ सुधार होने के बाद इसे शुरू किया गया.हर इलाके में लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं. यह छात्रों और युवाओं के साथ ही समाज के हर तबके के लोगों को मानसिक राहत पहुंचाने में सफल रहा है.मैसनम बताते हैं, "लंबे अरसे से जारी हिंसा की वजह से युवा तबके के पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं था.हिंसा की वजह से लंबे समय तक इंटरनेट भी बंद रहा था.ऐसे में हमने उनको किताबें मुहैया कराई.मौजूदा परिस्थिति में किताबों ने उनके घावों पर मरहम लगाने का काम किया है.यह मेला राज्य में जारी उथल-पुथल के बीच युवा समुदाय को मानसिक तनाव से मुक्ति पाने में मदद करने के साथ ही उम्मीद की राह दिखा रहा है"उनके मुताबिक, यह मेला छात्रों और युवाओं के बीच एक शांतिपूर्ण विकल्प बन कर उभरा है.इस मेले में देश के विभिन्न महानगरों के अलावा यूरोपीय देशों की पुस्तकें भी उपलब्ध हैं.किलो के भाव बिकती हैं किताबेंमैसनम बताते हैं कि पारंपरिक दुकानों में पुस्तकों की कीमत आम पाठकों की पहुंच के बाहर होती है.लेकिन हमारी कोशिश उनके सस्ते संस्करणों को मंगा कर यहां उपलब्ध कराने की है.दिलचस्प बात यह है कि मेले में उपलब्ध ज्यादातर किताबें किलो के भाव से बिकती हैं. हाल में सेनापति जिले में ऐसे ही एक मेले में पहुंची नौवीं की छात्रा एच.लानचेन्बी डीडब्ल्यू को बताती हैं, "मैंने जीवन में पहली बार पुस्तक मेला देखा है.कभी जिन किताबों को पढ़ने का सपना देखती थी वो सब यहां सस्ते में मिल गई हैं.उसने मेले में स्कूली किताबों के अलावा कई प्रेरक किताबें भी खरीदी हैं"पूरे परिवार के साथ मेले में पहुंचे एक अभिभावक एच.सरोज शर्मा डीडब्ल्यू से कहते हैं, "ऐसे मेले सहजता से जरूरी किताबें उपलब्ध कराने के साथ ही मानसिक मनोरंजन का एक मंच भी उपलब्ध कराते हैं.इससे खासकर मौजूदा हालात में युवाओं को एकाग्र रहने और पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा मिलती है"साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने भी इस आयोजन की सराहना की है.उनका कहना है कि साहित्य और कहानी कहने की ताकत मणिपुर में विभाजित समुदायों के घावों पर मरहम लगाने के साथ ही आपसी समझ और तालमेल को बढ़ावा दे सकती है.मणिपुर साहित्य परिषद, थाउबल की उपाध्यक्ष वाई.इंदिरा जेवी डीडब्ल्यू से कहती हैं, "यह महज एक सामान्य पुस्तक मेला नहीं बल्कि विभिन्न समुदायों के लिए ज्ञान, सांस्कृतिक विविधता और एकजुटता का उत्सव भी है.यह राज्य के विभिन्न समुदायों के बीच एक मजबूत कड़ी का काम कर सकता है".

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