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भारत-पाक ड्रोन युद्ध के बाद एशिया में हथियारों की नई होड़

पाकिस्तान और भारत के बीच हालिया झड़पों ने दक्षिण एशिया में हथियारों की नई होड़ को जन्म दिया है। दोनों देशों ने ड्रोन के साथ-साथ मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया। भारत ने अपने घरेलू यूएवी उद्योग में भारी...

डॉयचे वेले दिल्लीWed, 28 May 2025 01:36 PM
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भारत-पाक ड्रोन युद्ध के बाद एशिया में हथियारों की नई होड़

पाकिस्तान और भारत के बीच झड़पों ने एशिया, खासकर दक्षिण एशिया में हथियारों की नई होड़ को जन्म दिया है.दोनों देशों ने इन झड़पों में मिसाइलों के अलावा उन्नत ड्रोन का भी इस्तेमाल किया है.8 मई की रात करीब 8 बजे, जम्मू के ऊपर आसमान में आग की लाल लकीरें दिखाई दीं, जब भारत की एयर डिफेंस सिस्टम ने पड़ोसी पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन्स को मार गिराया.भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं ने दशकों से चली आ रही झड़पों के दौरान उच्च क्षमता वाले लड़ाकू विमानों, पारंपरिक मिसाइलों और टैंकों का इस्तेमाल किया है, लेकिन मई में चार दिनों के संघर्ष में पहली बार नई दिल्ली और इस्लामाबाद ने एक-दूसरे के खिलाफ बड़े पैमाने पर मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) का इस्तेमाल किया.अमेरिका द्वारा युद्ध विराम की घोषणा के बाद लड़ाई रुक गई, लेकिन दक्षिण एशियाई शक्तियां, जिन्होंने पिछले साल रक्षा पर 96 अरब डॉलर से अधिक खर्च किए थे, अब ड्रोन हथियारों की दौड़ में उलझी हुई हैं, रॉयटर्स द्वारा दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारियों, उद्योग अधिकारियों और विश्लेषकों समेत 15 लोगों के साथ किए गए इंटरव्यू से यह नई जानकारी सामने आई.पाकिस्तान को लेकर मोदी इतने आक्रामक क्यों हैं?घरेलू स्तर पर ड्रोन उत्पादन बढ़ेगाविशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन हमले इंसानों को खतरे में डाले बिना और संघर्ष को नियंत्रण से बाहर जाने के जोखिम के बिना लक्ष्यों को हिट करने का एक प्रभावी तरीका है.550 से अधिक भारतीय कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ड्रोन फेडरेशन इंडिया के स्मित शाह ने रॉयटर्स को बताया कि भारत अपने घरेलू यूएवी उद्योग में भारी निवेश करने की योजना बना रहा है और अगले एक से दो साल में 47 करोड़ डॉलर तक खर्च करने की संभावना है, जो संघर्ष से पहले खर्च की गई राशि का तीन गुना है. भारत ने इसी महीने आपातकालीन सैन्य खरीद के लिए 4.6 अरब डॉलर खर्च किए हैं.मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने बताया कि इसमें कुछ राशी युद्धक और निगरानी ड्रोन पर खर्च की जा सकती है.दूसरी ओर पाकिस्तान के एक सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि वह भी अपने उन्नत और महंगे लड़ाकू विमानों को खतरे में डालने से बचने के लिए अधिक यूएवी हासिल करने की कोशिश कर रहा है.पाकिस्तान और भारत दोनों ने ही हालिया झड़पों के दौरान आधुनिक लड़ाकू विमानों को तैनात किया, लेकिन नकदी की कमी से जूझ रहे इस्लामाबाद के पास केवल 20 उच्च-स्तरीय चीनी निर्मित जे-10 लड़ाकू विमान हैं, जबकि दिल्ली के पास तीन दर्जन राफेल हैं.रक्षा खुफिया कंपनी जेन्स के ओइशी मजूमदार ने कहा कि पाकिस्तान घरेलू ड्रोन अनुसंधान और उत्पादन क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए चीन और तुर्की के साथ सहयोग को तेज करने के लिए मौजूदा संबंधों को आगे बढ़ा सकता है.किंग्स कॉलेज लंदन के राजनीतिक वैज्ञानिक वॉल्टर लाडविग का कहना है कि भारत और पाकिस्तान ड्रोन हमलों को बड़े पैमाने पर तनाव बढ़ाए बिना सैन्य दबाव डालने के तरीके के रूप में देखते हैं. उन्होंने कहा, "यूएवी का इस्तेमाल नेताओं के लिए अपने संकल्प को प्रदर्शित करना, ठोस प्रभाव हासिल करना और आंतरिक अपेक्षाओं को पूरा करना संभव बनाता है.ऐसा महंगे विमान या पायलटों को जोखिम में डाले बिना किया जा सकता है"ड्रोन से युद्ध सस्ता विकल्पमई में हुई लड़ाई, जो इस सदी में दोनों पड़ोसियों के बीच सबसे भीषण थी, 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद हुई थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, हमले में मारे गए ज्यादातर लोग पर्यटक थे.दिल्ली ने इस हमले के लिए इस्लामाबाद द्वारा समर्थित "आतंकवादियों" को दोषी ठहराया, जिसने आरोप से इनकार किया.भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बदला लेने की कसम खाई और दिल्ली ने 7 मई को पाकिस्तान में "आतंकवादी ठिकानों" को निशाना बनाया.अगली रात, पाकिस्तान ने भारतीय वायु रक्षा का परीक्षण करने के लिए भारत में 300 से 400 ड्रोन भेजे.ये ड्रोन तुर्की में बने ड्रोन के साथ-साथ पाकिस्तान के अपने शाहपर-2 ड्रोन भी थे.इन ड्रोन्स का मुकाबला भारत के शीत युद्ध काल के एंटी-एयरक्राफ्ट गन से किया गया, जिन्हें नए रडार सिस्टम के साथ अपग्रेड किया गया है और ड्रोन के खिलाफ बहुत प्रभावी साबित हुई हैं. हालांकि एक पाकिस्तानी सूत्र ने यह स्वीकार नहीं किया कि बड़ी संख्या में ड्रोन को निशाना बनाया गया था, लेकिन भारत के अंदर हताहतों की संख्या बहुत कम थी.ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन के हथियारों पर क्यों रही है चर्चादिल्ली के संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र में यूएवी विशेषज्ञ रिटार्यड ब्रिगेडियर अंशुमान नारंग कहते हैं कि भारत द्वारा एंटी-एयरक्राफ्ट गन का उपयोग, जिसे ड्रोन-विरोधी युद्ध के लिए डिजाइन नहीं किया गया था, आश्चर्यजनक रूप से प्रभावी साबित हुआ.भारत ने पाकिस्तान के भीतर लक्ष्यों को सटीक रूप से हिट करने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ इस्राएली हार्पून, पोलिश वार्मेट और स्वदेशी रूप से विकसित यूएवी का इस्तेमाल किया है.दक्षिण एशिया विश्लेषक माइकल कूगलमन कहते हैं, "हम अपेक्षाकृत सस्ती तकनीक के बारे में बात कर रहे हैं.हालांकि यूएवी का मिसाइलों और लड़ाकू विमानों की तरह डर पैदा करने और भय पैदा करने का समान प्रभाव नहीं है, फिर भी वे उन्हें लॉन्च करने वालों को शक्ति और उद्देश्य की भावना दे सकते हैं"भारत-पाकिस्तान विवाद से धार्मिक मतभेद बढ़ने की आशंकाएक भारतीय सुरक्षा सूत्र और भारतीय यूएवी निर्माता न्यूस्पेस के समीर जोशी के मुताबिक, भारतीय रक्षा योजनाकार यूएवी के स्वदेशी उत्पादन का विस्तार करने की संभावना रखते हैं.जोशी की कंपनी भारतीय सेना को रक्षा उपकरण सप्लाई करती है.उन्होंने रॉयटर्स को बताया, "उनकी संचालन करने, पता लगाने से बचने और सटीकता से हमला करने की क्षमता कम लागत वाले युद्ध की ओर बदलाव का संकेत देती है, जिसमें ड्रोन उत्पादन बढ़ाया जाएगा".

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