14.5 करोड़ मुसलमान हमारे मुल्क में हैं, पाक का झूठ मत मानो; ओवैसी ने सऊदी को चेताया
सऊदी अरब पहुंचे एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के झूठ और आतंक के खेल का पर्दाफाश किया है।

मुस्लिम भाईचारे का चोला पहनकर दुनिया को छलने वाला पाकिस्तान जब-तब मुस्लिम देशों की हमदर्दी बटोरने की कोशिश करता है, लेकिन इस बार उसकी पोल सऊदी अरब में एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने खोल दी है। रियाद में पाकिस्तान की चालों को न सिर्फ बेनकाब किया, बल्कि सऊदी अधिकारियों को सख्त लहजे में चेताया भी।
सऊदी अरब की राजधानी रियाद में भारत के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक के दौरान ओवैसी ने खुलकर कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को खुला समर्थन देता है और उसका हर दाव सिर्फ झूठ पर टिका होता है। यह प्रतिनिधिमंडल बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व में वहां गया था, जिसमें ओवैसी भी बतौर सदस्य शामिल थे।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए ओवैसी ने बताया कि सऊदी अरब में करीब 27 लाख भारतीय रहते और काम करते हैं, और भारतीय समुदाय वहां एक अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा, “हमने हर मीटिंग में पाकिस्तान की ओर से फैलाए जा रहे आतंक और झूठे प्रचार की बात की। पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जाए, यह हमारी मांग रही। 2018 में सऊदी अरब ने हमारी मदद की थी, हम उम्मीद करते हैं कि अब भी करेगा।”
ओवैसी ने सऊदी अरब को चेताया
उन्होंने सऊदी प्रतिनिधियों को यह भी बताया कि भारत में करीब 14.5 करोड़ मुसलमान रहते हैं और पाकिस्तान जो कुछ भी उनके बारे में प्रचार करता है, वह पूरी तरह से गलत है। ओवैसी ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान को सऊदी अरब ने हाल ही में 2 अरब डॉलर की मदद और 3 अरब डॉलर का कर्ज दिया है, लेकिन उस पैसे का कोई फायदा आम पाकिस्तानी जनता को नहीं मिला।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान का रक्षा बजट उसकी जीडीपी का 2.6% है, जबकि भारत का 1.9% है, और पाकिस्तान के उलमा (धार्मिक विद्वान) भारत के उलमा के सामने कहीं नहीं टिकते। ओवैसी ने कहा, “हमने बताया कि भारत में उलमा कैसे काम कर रहे हैं और कैसे पाकिस्तान सिर्फ झूठ फैला रहा है।”
ओवैसी यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने 26/11 के बाद, पठानकोट हमले के बाद भी पाकिस्तान से बातचीत की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, उलटा नुकसान ही हुआ। ओवैसी की यह टिप्पणी भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर चल रही सख्त कूटनीतिक रणनीति का एक अहम हिस्सा मानी जा रही है।