'बिना मुझसे पूछे ताबदले कैसे कर दिए', सिद्धारमैया के फैसले पर भड़के डीके शिवकुमार
यह पहला मौका नहीं है जब दोनों नेताओं में टकराव हुआ हो। इससे पहले भी बजट आवंटन, कैबिनेट पोर्टफोलियो और निगमों एवं बोर्डों में नियुक्तियों को लेकर दोनों के बीच मतभेद उभर चुके हैं।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच चला आ रहा सियासी टकराव एक बार फिर खुलकर सामने आ गया है। इस बार विवाद की वजह बना है पांच वरिष्ठ इंजीनियरों का तबादला। यह घटनाक्रम अब उस लंबे खींचतान का ताजा अध्याय बन गया है जिसमें दोनों नेता बार-बार अधिकार क्षेत्र और फैसलों पर वर्चस्व जताने की कोशिश करते दिखे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला 9 मई को तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री के अधीन आने वाले कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग (DPAR) ने सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के पांच वरिष्ठ इंजीनियरों का तबादला जल संसाधन विभाग के विभिन्न प्रमुख पदों पर कर दिया। इनमें ऐसे विभाग शामिल हैं जो न केवल तकनीकी रूप से अहम हैं बल्कि राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील माने जाते हैं- जैसे कि अंतर्राज्यीय जल विवाद प्रभाग, नीरावरी सिंचाई परियोजनाएं, येत्तिनाहोले परियोजना, कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (CADA) और कर्नाटक राज्य पुलिस हाउसिंग एवं इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन।
लेकिन इस तबादले का असली विवाद तब शुरू हुआ जब उपमुख्यमंत्री व जल संसाधन मंत्री शिवकुमार ने इस पर तीखी आपत्ति जताई। उन्होंने 13 मई को मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को एक औपचारिक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने इन तबादलों को “मंत्रियों के बीच तय बुनियादी समझौते का उल्लंघन” बताया। शिवकुमार ने पत्र में लिखा, “सरकार के गठन के समय स्पष्ट सहमति बनी थी कि मेरे विभाग से संबंधित किसी भी नियुक्ति या तबादले से पहले मेरी स्पष्ट मंजूरी ली जाएगी। इन तबादलों में संबंधित मंत्री को कोई सूचना नहीं दी गई, जो न केवल प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि मंत्री की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है।”
उल्लेखनीय है कि जिन इंजीनियरों को बदला गया है, उनमें बी.एच. मंजीनाथ भी शामिल हैं जो फिलहाल पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन में तैनात हैं और 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। डीपीएआर के आदेश में पहले ही एक नए इंजीनियर को उनकी जगह कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मुद्दे पर अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे दोनों शीर्ष नेताओं के बीच जारी ‘कोल्ड वॉर’ का अगला दौर माना जा रहा है।
यह पहला मौका नहीं है जब दोनों नेताओं में टकराव हुआ हो। इससे पहले भी बजट आवंटन, कैबिनेट पोर्टफोलियो और निगमों एवं बोर्डों में नियुक्तियों को लेकर दोनों के बीच मतभेद उभर चुके हैं। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व और दोनों नेता सार्वजनिक मंचों पर अक्सर एकता का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन आंतरिक खींचतान अब छुपाए नहीं छुप रही।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र मानते हैं कि कर्नाटक में दो ताकतवर नेताओं- सिद्धारमैया और शिवकुमार के समानांतर नेतृत्व से टकराव की स्थिति बार-बार बनती है। खासकर बेंगलुरु विकास, जल संसाधन और सार्वजनिक निर्माण जैसे प्रभावशाली विभागों को लेकर यह खींचतान लगातार बनी हुई है। अब सबकी निगाहें मुख्य सचिव शालिनी रजनीश पर टिकी हैं कि वे शिवकुमार के निर्देशों पर क्या फैसला लेती हैं — क्या ये तबादले रद्द किए जाएंगे या फिर यह टकराव मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच कार्यक्षेत्रों के नए सीमांकन की भूमिका तैयार करेगा।