किसानों के पास जाकर क्या करेंगे वैज्ञानिक? खेती-किसानी को लेकर सीएम योगी ने बताई महत्वपूर्ण बात
सीएम योगी ने इसको लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि लैब, आईसीआर, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र व अन्य संस्थानों में कार्यरत वैज्ञानिक पहली बार लैंड पर जाकर किसानों के साथ कृषि की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कार्य करेंगे।

यूपी में जल्द ही खेती-किसानी को लेकर आ रही समस्याओं का समाधान होगा। सीएम योगी ने इसको लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि लैब, आईसीआर, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र व अन्य संस्थानों में कार्यरत वैज्ञानिक पहली बार लैंड पर जाकर किसानों के साथ कृषि की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कार्य करेंगे। विकसित कृषि संकल्प अभियान का उद्देश्य लैब से लैंड तक जाना है। कृषि वैज्ञानिक लैब के साथ ही लैंड पर भी जाएंगे और किसानों से संवाद करेंगे। यह संवाद कृषि क्षेत्र में नई क्रांति की शुरुआत करेगा। लैब में जो भी काम हो रहे हैं, वह धरातल पर दिखना चाहिए।
योगी ने विकसित कृषि संकल्प अभियान का यूपी में शुभारंभ किया। यह अभियान 29 मई से 12 जून तक चलेगा। इस अभियान के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति आभार जताया। उन्होने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो विजन दिया है, कृषि उसकी आधारशिला बनेगी। कृषि के माध्यम से लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में क्या कदम उठाया जा सकता है। इस पर कृषि वैज्ञानिक, कृषि विभाग के अधिकारी-कार्मिक, औद्यानिक फसल, खेती, डेयरी, मत्स्य पालन से जुड़े किसानों को खेती के बारे में आधुनिक जानकारी उपलब्ध कराएंगे।
इस अभिनव पहल के तहत वैज्ञानिक क्लाइमेटिक जोन (भौगोलिक, सामाजिक स्थिति) को देखेंगे और किसानों को अर्ली बीज व लेट वेरायटी का प्रोडक्शन पर क्या असर पड़ता है, इसकी भी जानकारी देंगे। उन्होने कहा कि 8 वर्ष के अंदर यूपी में डबल इंजन सरकार ने किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने के अभियान को अपने हाथों में लिया। यूपी में कृषि के लिए बहुत स्कोप है। देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 10-11 फीसदी हमारे पास है। इसी कृषि योग्य भूमि में यूपी का किसान 22-23 फीसदी खाद्यान्न उत्पादन करता है। उन्होने पिछली सरकारों पर आरोप लगाया कि किसान उनके सरकार के एजेंडे का हिस्सा नहीं बन पाया था। किसान को बीज, एमएसपी का दाम, समय पर खाद्य, खेत के लिए पानी, तकनीक, स्वायल हेल्थ की व्यवस्था नहीं थी। लागत कम, उत्पादक अधिक पर जोर नहीं था।