सुप्रीम कोर्ट को मिले तीन और न्यायाधीश, कॉलेजियम की सिफारिशों पर राष्ट्रपति की मुहर
नियुक्तियों से संबंधित फाइलें बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास पहुंचीं थीं जिसके बाद उन्हें मंजूरी मिल गई है। उनकी नियुक्तियों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 हो गई।

कॉलेजियम की सिफारिशों पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन नए जजों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन वी अंजारिया, गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई और बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की थी।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर उनकी नियुक्ति की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘‘भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, राष्ट्रपति ने भारत के प्रधान न्यायाधीश के परामर्श के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन वी अंजारिया, गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई और बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया।’’
भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय के सेवानिवृत्त होने के बाद शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों के तीन मौजूदा रिक्त पदों के लिए उनके नामों की सिफारिश की गई थी। नियुक्तियों से संबंधित फाइलें बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास पहुंचीं थीं जिसके बाद उन्हें मंजूरी मिल गई है। उनकी नियुक्तियों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 हो गई।
कॉलेजियम में शीर्ष अदालत के पांच सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल हैं। सीजेआई बीआर गवई के अलावा, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, विक्रम नाथ, जेके माहेश्वरी और बीवी नागरत्ना न्यायाधीशों के चयन निकाय के सदस्य हैं। 26 मई को अपनी बैठक में कॉलेजियम ने तीन न्यायाधीशों की पदोन्नति की सिफारिश की थी। घटनाक्रम से अवगत लोगों के अनुसार, ये नाम "क्षेत्रीय विविधता और न्यायिक वरिष्ठता पर निरंतर जोर देते हैं।"
हाल के वर्षों में, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर कई बार मतभेद सामने आए हैं। हालांकि, इस बार कॉलेजियम की सिफारिशों को जल्दी स्वीकार करने से यह संकेत मिलता है कि दोनों पक्षों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी केंद्र सरकार द्वारा कॉलेजियम की सिफारिशों पर देरी की आलोचना की थी, लेकिन इस बार प्रक्रिया में तेजी देखी जा रही है।