प्रयागराज में बुलडोजर से घरों को गिराने पर यूपी सरकार को 'सुप्रीम फटकार', मुआवजा देने का निर्देश
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है। आश्रय का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है। देश में कानून का शासन है और नागरिकों के आवासीय ढांचों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता।'

सुप्रीम कोर्ट ने घरों को अवैध रूप से गिराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास निकाय को फटकार लगाई। प्रयागराज में बुलडोजर से घरों को गिराने पर अदालत ने कहा, ‘यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है। आश्रय का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है। देश में कानून का शासन है और नागरिकों के आवासीय ढांचों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता।' साथ ही, एससी ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को 6 हफ्ते के भीतर मकान मालिकों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई दमनकारी तरीके से की गई। साथ ही, जोर देकर कहा कि देश में कानून का शासन है। वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था, जिनके घर ध्वस्त कर दिए गए। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि राज्य सरकार ने यह सोचकर कि जमीन गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की है, गलत तरीके से घरों को ध्वस्त किया। अतीक अहमद 2023 में मारा गया था। इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने घरों को गिराए जाने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।
पीड़ितों को समय नहीं देने पर जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 24 मार्च को भी उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि इस कार्रवाई से उनकी अंतरात्मा को धक्का लगा है। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस भुइयां की पीठ ने नोटिस देने के 24 घंटे के भीतर ही मकानों को बुलडोजर से गिराने और पीड़ितों को अपील करने का समय नहीं देने पर भी नाराजगी जताई। पीठ ने कहा, 'यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है कि किस तरह से आवासीय परिसरों को मनमाने तरीके से ध्वस्त किया गया। जिस तरह से पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया, वह चौंकाने वाला है। अदालतें ऐसी प्रक्रिया को बर्दाश्त नहीं कर सकतीं। अगर हम एक मामले में इसे बर्दाश्त करते हैं तो यह जारी रहेगा।'
(एजेंसी इनपुट के साथ)