विदेश नीति की विफलता; तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बीच पीएम मोदी का 14 साल पुराना ट्वीट वायरल
- Tahawwur Rana update: तहव्वुर राणा को मुंबई में हुए 26/11 हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है। भारत को प्रत्यर्पित किए जाने से पहले उसने ट्रंप प्रशासन के फैसले के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट में कई अर्जियां लगाई लेकिन उन्हें खारिज कर दिया गया।

भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई पर हुए हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा अमेरिका से प्रत्यर्पित होकर भारत पहुंच चुका है। कोर्ट में सुनवाई के बाद उसे तुरंत ही उसे 18 दिन की कस्टडी पर एनआईए को सौंप दिया गया है। अब इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री मोदी का एक 14 साल पुराना ट्वीट वायरल हो रहा है, जिसमें पीएम मोदी यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए तहव्वुर राणा को शिकागो की कोर्ट द्वारा बरी किए जाने पर सवाल उठा रहे हैं।
पहले ट्विटर और अब एक्स के नाम से मशहूर सोशल मीडिया साइट पर पीएम मोदी का यह ट्वीट वायरल हो रहा है। इंटरनेट पर कई यूजर्स ने पीएम मोदी के इस ट्वीट की सराहना की है। तत्कालीन समय में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2008 के हमलों के गुनहगार को अमेरिका की शिकागो कोर्ट से आरोप मु्क्त किए जाने पर यूपीए सरकार पर सवाल उठाए थे। पीएम मोदी ने लिखा, "मुंबई हमलों में तहव्वुर राणा को निर्दोष घोषित करने वाले अमेरिका ने भारत की संप्रभुता को अपमानित किया है। यह भारतीय विदेश नीति के लिए एक बड़ा झटका है।"
इसके अलावा उसी समय का पीएम मोदी का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर सवाल उठाते हुए कह रहे हैं कि पीएम अमेरिका के दोस्त हैं फिर यह कैसे हो गया। शिकागो कोर्ट आखिर कैसे राणा को बरी कर सकती है... इस मामले की जांच किसने की।
इंटरनेट पर वायरल इस पोस्ट को शेयर करते हुए कई यूजर्स ने मोदी सरकार को सफल प्रत्यर्पण के लिए बधाई दी।
वहीं इस मुद्दे को भारतीय जनता पार्टी ने जहां मोदी सरकार की कामयाबी बताया वहीं कांग्रेस ने इसे यूपीए सरकार के दौरान शुरू की गई कार्रवाई का नतीजा बताया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति का परिणाम है। इसके साथ ही उन्होंने यूपीए सरकार पर भी राणा को भारत न ला पाने और न्याय का सामना न करवा पाने को लेकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि 2008 के हमले के समय सत्ता में बैठे लोग राणा को मुकदमे के लिए भारत लाने में असमर्थ रहे थे.. यह एक कूटनीतिक विफलता थी।