What is reciprocal tariffs meaning in Hindi Explained Trump tariffs on India क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ, जिसके खेल ने दुनिया भर में मचा दी हलचल; ट्रंप का है हथियार, India Hindi News - Hindustan
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क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ, जिसके खेल ने दुनिया भर में मचा दी हलचल; ट्रंप का है हथियार

  • आखिरकार ट्रंप ने भारत सहित दुनियाभर के कई देशों पर एक साथ कार्रवाई करते हुए रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया है। आइए रेसिप्रोकल टैरिफ के मतलब को विस्तार से समझते हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 3 April 2025 09:46 AM
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क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ, जिसके खेल ने दुनिया भर में मचा दी हलचल; ट्रंप का है हथियार

What is Reciprocal Tariffs Explained: रेसिप्रोकल टैरिफ एक ऐसी नीति है जो वैश्विक व्यापार में समानता और निष्पक्षता लाने के उद्देश्य से लागू की जाती है। यह शब्द हाल के दिनों में खास तौर पर चर्चा में आया है। पिछले साल नवंबर में अमेरिकी चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खासतौर से इस शब्द का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया। अब आखिरकार ट्रंप ने भारत सहित दुनियाभर के कई देशों पर एक साथ कार्रवाई करते हुए रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया है। तो आइए रेसिप्रोकल टैरिफ को विस्तार से समझते हैं।

रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है?

टैरिफ एक प्रकार का टैक्स या शुल्क है, जो किसी देश द्वारा आयात की गईं या निर्यात की गईं वस्तुओं पर लगाया जाता है। इसे सरकार व्यापार नीति और रेवेन्यू कलेक्शन के एक साधन के रूप में इस्तेमाल करती है। वहीं रेसिप्रोकल का अर्थ होता है पारस्परिक या जवाबी। इस तरह रेसिप्रोकल टैरिफ का सीधा मतलब है "पारस्परिक या जवाबी शुल्क"। यह एक ऐसी नीति है जिसमें एक देश दूसरे देश से आयातित सामानों पर वही टैरिफ (आयात कर) लगाता है, जो दूसरा देश उसके सामानों पर लगाता है। आसान शब्दों में कहें तो यह "जैसा तुम हमारे साथ करोगे, वैसा हम तुम्हारे साथ करेंगे" की नीति है। उदाहरण के लिए, अगर भारत अमेरिकी सामानों पर 20% टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी भारतीय सामानों पर 20% टैरिफ लगा सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार में असंतुलन को कम करना और घरेलू उद्योगों को संरक्षण देना है। यह नीति विशेष रूप से उन देशों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने व्यापार घाटे को कम करना चाहते हैं। अमेरिका जैसे देश, जो लंबे समय से बड़े व्यापार घाटे का सामना कर रहे हैं, इसे एक प्रभावी हथियार के रूप में देखते हैं।

जवाबी टैरिफ को ट्रंप ने बनाया हथियार

डोनाल्ड ट्रंप ने जवाबी टैरिफ को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है ताकि अमेरिका के व्यापार घाटे को कम किया जा सके और अन्य देशों को अमेरिकी सामानों पर ऊंचे टैरिफ लगाने से रोका जा सके। उन्होंने इसे "फेयर ट्रेड" का हवाला देकर लागू किया, जिसमें कहा गया कि अगर कोई देश अमेरिकी आयात पर भारी शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी उस देश के आयात पर समान टैरिफ लगाएगा। इस नीति को उन्होंने अपने "लिबरेशन डे" अभियान के तहत आर्थिक दबाव के हथियार के रूप में पेश किया, खासकर भारत जैसे देशों पर, जहां उन्होंने 26% टैरिफ की घोषणा की। इससे वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ा है।

जवाबी टैरिफ का मूल अर्थ व्यापार में निष्पक्षता लाना है। कई देश अपने स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आयातित सामानों पर ऊंचे टैरिफ लगाते हैं, लेकिन बदले में वे अपने सामानों को कम टैरिफ पर निर्यात करना चाहते हैं।

जवाबी टैरिफ के प्रमुख लाभ:

घरेलू उद्योगों की सुरक्षा: यह नीति स्थानीय निर्माताओं को सस्ते आयातित सामानों से प्रतिस्पर्धा करने में मदद करती है।

व्यापार घाटे में कमी: समान टैरिफ से आयात और निर्यात का संतुलन बेहतर हो सकता है।

निष्पक्ष व्यापार: यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी देश दूसरे पर अनुचित लाभ न ले सके।

हालांकि, इसके कुछ नुकसान भी हैं, जैसे उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में वृद्धि और व्यापार युद्ध की संभावना।

जवाबी टैरिफ का इतिहास

जवाबी टैरिफ का कॉन्सेप्ट नया नहीं है। इसका इतिहास 19वीं सदी तक जाता है, जब 1860 में ब्रिटेन और फ्रांस के बीच कोबडेन-शेवेलियर संधि हुई थी। इस संधि ने दोनों देशों के बीच टैरिफ को कम किया और व्यापार को बढ़ावा दिया। इसके बाद, 1934 में अमेरिका ने "रेसिप्रोकल टैरिफ एक्ट" पारित किया, जिसने राष्ट्रपति को अन्य देशों के साथ टैरिफ समझौते करने की शक्ति दी। इस नीति के तहत 1934 से 1945 तक अमेरिका ने 27 देशों के साथ 32 व्यापार समझौते किए। हाल के वर्षों में, डोनाल्ड ट्रंप ने इस नीति को फिर से चर्चा में लाया है। उनकी "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत, उन्होंने जवाबी टैरिफ को एक प्रमुख हथियार बनाया है।

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फिर चर्चा में है जवाबी टैरिफ

आज जवाबी टैरिफ वैश्विक व्यापार में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 से कई देशों पर इसे लागू करने की घोषणा की है। इस नीति के तहत, अमेरिका ने उन देशों को निशाना बनाया है जो अमेरिकी सामानों पर ऊंचे टैरिफ लगाते हैं। भारत, चीन, ब्राजील, और यूरोपीय संघ जैसे क्षेत्र इस नीति के दायरे में हैं।

जवाबी टैरिफ का भारत पर प्रभाव

हाल के दिनों में ट्रंप ने अपने संबोधन में भारत का विशेष उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत अमेरिकी सामानों पर 100% से अधिक टैरिफ लगाता है, जैसे ऑटोमोबाइल पर। इसके जवाब में, अमेरिका ने भारतीय निर्यातों पर थोड़ा रियायत देते हुए 26% जवाबी टैरिफ लगाने का फैसला किया है। इससे भारत के प्रमुख क्षेत्रों जैसे ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, और रत्न-आभूषण प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत के निर्यात में 2 से 7 बिलियन डॉलर की कमी आ सकती है।

ट्रंप के जवाबी टैरिफ का वैश्विक प्रभाव

अमेरिका की इस नीति से ग्लोबल सप्लाई चैन पर असर पड़ सकता है। कई देशों ने इसे व्यापार युद्ध की शुरुआत के रूप में देखा है। यूरोपीय संघ और चीन जैसे बड़े व्यापारिक साझेदार भी जवाबी टैरिफ की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि जवाबी टैरिफ के कुछ फायदे भी हैं। जैसे, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा, व्यापार में समानता और पारदर्शिता, आयात पर निर्भरता कम करना आदि। वहीं नुकसानों में उपभोक्ताओं के लिए बढ़ती कीमतें, व्यापारिक संबंधों में तनाव, वैश्विक व्यापार में अस्थिरता आदि शामिल हैं।