दिल्ली के खास क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार ने कसी कमर, बनाया प्लान; तैनात करेंगे एंटी-स्मॉग गन
तय कार्यक्रम के अनुसार ये स्मॉग गन सुबह 3 बजे से सुबह 7 बजे तक और हर कार्य दिवस पर चार गैर-पीक घंटों के लिए चालू रहेंगी। अधिकारी ने बताया कि आठ स्मॉग गन में से दो को रिजर्व में रखा जाएगा।

दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में होने वाले धूल और धुएँ समेत हर तरह के प्रदूषण को रोकने के लिए राज्य सरकार ने खास तैयारी की है। सरकार इन जगहों पर मोबाइल एंटी-स्मॉग गन तैनात करेगी, जो कि वाहनों पर लगी होंगी और जिन्हें बेहद आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकेगा। इस बारे में गुरुवार को जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि इसके लिए 8 मोबाइल एंटी स्मॉग गन किराए पर लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि ये एंटी स्मॉग गन्स दो अलग-अलग समय पर काम करेंगी और इनके जरिए होने वाले छिड़काव के लिए केवल गैर पीने योग्य पानी का उपयोग ही किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस काम पर करीब 2 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
अधिकारी ने बताया कि सरकारी एजेंसी के साथ रजिस्टर्ड ठेकेदार को इस काम की जिम्मेदारी देने के बाद इन सभी स्मॉग गन्स को औद्योगिक क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में कुल 24 पंजीकृत औद्योगिक क्षेत्र हैं, जहां होने वाली औद्योगिक गतिविधियों और वाहनों की आवाजाही के कारण धूल और अन्य तरह का प्रदूषण होता है। अधिकारी ने बताया कि ऐसे में इन इलाकों में ट्रकों पर लगे स्मॉग गन तैनात किए जाएंगे, जो कि दो अलग-अलग शिफ्ट में काम करेंगी और इन इलाकों में स्थित सभी सड़कों पर पानी का छिड़काव करेंगी।
अधिकारी ने बताया कि ट्रक पर लगे एंटी-स्मॉग गन शिफ्ट के दौरान पानी भरने के लिए साइट से बाहर नहीं जाएंगे। उन्होंने बताया कि जिन ट्रकों पर एंटी-स्मॉग गन लगाए जाएंगे, वे GPS से लैस होंगे, ताकि उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी।
तय कार्यक्रम के अनुसार ये स्मॉग गन हर दिन सुबह 3 बजे से सुबह 7 बजे तक काम करेंगी साथ ही हर कार्य दिवस पर चार गैर-पीक घंटों के लिए चालू रहेंगी। अधिकारी ने बताया कि आठ स्मॉग गन में से दो को रिजर्व में रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि जिस ठेकेदार को इस काम की जिम्मेदारी दी जाएगी वह संबंधित औद्योगिक क्षेत्रों में पानी के टैंकरों के माध्यम से छिड़काव के दौरान पानी भरने की व्यवस्था करेगा।
उद्योग विभाग के इंजीनियर सॉफ्टवेयर के जरिए इन ट्रकों पर लगे जीपीएस की मदद से इनकी आवाजाही पर नजर रखेंगे। इसके लिए उन्हें साप्ताहिक आधार पर डेटा उपलब्ध कराया जाएगा। छिड़काव के लिए केवल गैर-पीने योग्य पानी जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और केंद्रीकृत अपशिष्ट उपचार संयंत्रों में उपलब्ध पानी का ही उपयोग किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि औपचारिक रूप से ठेकेदार की नियुक्ति होने के एक सप्ताह बाद से काम शुरू हो जाएगा। काम पूरा करने के लिए 10 महीने (मॉनसून के दो महीने को छोड़कर) की अनुमति दी जाएगी।