दिल्ली में फिर गरजा बुलडोजर, जमींदोज कर दिए 2 दर्जन घर; क्या थी वजह
दिल्ली में एक बार फिर से डीडीए का बुलडोजर गरजा। इस बार नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के गोकलपुर इलाके में लोनी रोड के किनारे स्थित करीब दो दर्जन घरों को जमींदोज कर दिया गया है। डीडीए ने इसकी वजह भी बताई है।

दिल्ली में एक बार फिर से डीडीए का बुलडोजर गरजा। इस बार नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के गोकलपुर इलाके में लोनी रोड के किनारे स्थित करीब दो दर्जन घरों को बुलडोजर से ढहाया गया है। इस इलाके में बुलडोजर कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल भी तैनात रहा। इस कार्रवाई के बाद मकान मालिकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि बुलडोजर कार्रवाई से पहले अधिकारियों ने उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया। यहां रहने वालों ने बताया कि उन्होंने ये घर आज से करीब 45 साल पहले बनाया था, जिसे डीडीए ने बुलडोजर से ढहा दिया।
अचानक तोड़ दिया
इस मामले पर जानकारी देते हुए स्थानीय लोगों ने बताया कि वो यहां साढ़े चार दशक से रह रहे थे। प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई से पहले उन्हें समय और वैकल्पिक आवास देने का वादा किया था, लेकिन घर तोड़ते समय ना तो वैकल्पिक आवास दिया गया और ना ही सामान निकालने के लिए समय दिया गया। पीड़ितों का कहना है कि इस बुलडोजर कार्रवाई से पहले प्रशासन ने उन्हें नोटिस भी नहीं दिया।
डीडीए की बुलडोजर कार्रवाई पर अपना दर्द बयां करते हुए 40 साल की नट्टो देवी ने कहा कि उनका जन्म और पालन-पोषण इसी घर में हुआ था, उन्होंने कहा कि यहां बुलडोजर कार्रवाई से पहले उन्हें दूसरा घर देने की बात कही गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीड़ितों ने बताया कि उन्हें पहले एक नोटिस मिला था, लेकिन वो एक महीने के लिए ही था, बाद में क्षेत्र के सांसद से संपर्क किया गया तो 6 महीने का समय दे दिया गया। निवासियों का कहना है कि वो निश्चिंत हो गए थे कि जब उन्हें दूसरा घर मिल जाएगा तो वो ये घर खाली करके चले जाएंगे। पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से भी इस मामले पर बात की थी। सीएम रेखा गुप्ता ने मदद का आश्वासन भी दिया था, लेकिन हमारे घरों को अचानक तोड़ दिया गया।
पीड़ितों का कहना है कि इस बुलडोजर कार्रवाई में प्रक्रिया को ठीक तरह से लागू नहीं किया गया। उनका कहना है कि बुलडोजर कार्रवाई के दौरान जब वो अपना सामान बाहर निकालने का प्रयास कर रहे थे, तभी उन्हें धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया। नट्टो देवी ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई के दौरान उन्होंने कुछ नहीं छोड़ा। उनके बेड और बाकी जरूरत के सामान भी तोड़ दिए गए।