MP के पूर्व विधायक को दिल्ली की अदालत ने सुनाई 6 महीने की सजा, इस मामले में सुनाया फैसला
जांच के दौरान यह भी पता चला कि आरोपी ने 19 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट को भी ऐसा ही पार्सल भेजा था और उस संबंध में एक अलग FIR भी दर्ज की गई थी। अदालत में आरोपी पूर्व विधायक का पक्ष वकील मनीष कुमार चौधरी ने रखा।

संसद भवन को बम से उड़ाने की धमकी देने के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक किशोर समरीते को शुक्रवार को छह महीने की जेल की सजा सुनाई। पूर्व विधायक ने सितंबर 2022 में अपनी अधूरी मांगों को पूरा करने को लेकर यह धमकी दी थी। मामले में फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश विकास धुल ने कहा, 'इस अपराध के लिए दोषी को आईपीसी की धारा 506 (II) के तहत 6 महीने की सजा सुनाई जाती है, साथ ही जुर्माना भी लगाया गया है।'
16 सितंबर 2022 को यह मामला तब सामने आया था, जब संसद भवन में स्पीड पोस्ट के जरिए एक पार्सल पहुंचा, जिसमें विस्फोटकों से संबंधित कुछ संदिग्ध पदार्थ, एक भारतीय झंडा और संविधान की एक किताब रखी हुई थी। इस पार्सल में समरीते ने अपने द्वारा साइन करके 10 पन्नों की शिकायत भी भेजी थी, जिसमें उन्होंने खुद को तत्कालीन सत्तारूढ़ सरकार की नीतियों से असंतुष्ट बताया था और 70 अलग-अलग मांगें रखी थीं। इसके साथ ही इसी पत्र में उन्होंने अपनी मांगें पूरी न होने पर 30 सितंबर, 2022 को संसद भवन को उड़ाने की धमकी दी थी।
इससे पहले दिसंबर 2022 में अदालत ने आरोपी को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि संसद भवन को उड़ाने की धमकी देने से किसी तरह का विस्फोट या जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है।

फैसला सुनाते हुए जज ने कहा, 'मध्य प्रदेश के बालाघाट की लांजी सीट से पूर्व विधायक समरीते द्वारा संसद भवन को उड़ाने की धमकी देने वाला यह पत्र आग लगाकर सम्पत्ति को नष्ट करने की धमकी है,जिससे उन्हें आईपीसी की धारा 506 के भाग दो के तहत दोषी ठहराया जाता है। हालांकि जज ने समरीते को इस आधार पर विस्फोटक अधिनियम के तहत आरोप से बरी कर दिया कि पार्सल में भेजा गया पदार्थ कानून के तहत विस्फोटक नहीं था।'
समरीते ने राज्यसभा के महासचिव को पत्र और एक संदिग्ध पदार्थ भेजकर संसद भवन को डायनामाइट से उड़ाने की धमकी दी थी। जांच के दौरान यह भी पता चला कि आरोपी ने 19 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट को भी ऐसा ही पार्सल भेजा था और उस संबंध में एक अलग FIR भी दर्ज की गई थी। अदालत में समरीते की ओर से उनका पक्ष मनीष कुमार चौधरी ने रखा।
किशोर समरीते नवंबर 2007 में उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने जेल में रहते हुए लांजी विधानसभा सीट पर हुआ उपचुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत लिया था।