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सर्कुलर में बताया गया है कि जिन बच्चों को बौद्धिक अक्षमता,विशिष्ट सीखने की अक्षमता (स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी),ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर या संबंधित श्रेणियों में पहचाना गया है,उन पर भी मूल्यांकन या नैदानिक (डायग्नोस्टिक) रिपोर्ट के आधार पर विचार किया जा सकता है।

दिल्ली के शिक्षा निदेशालय (DoE) ने निजी स्कूलों में शुरुआती कक्षाओं (एंट्री लेवल) में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) के दाखिले के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। शुक्रवार को जारी एक सर्कुलर के अनुसार,'बेंचमार्क विकलांगता'(Benchmark Disability) वाले बच्चे आवेदन करने के पात्र हैं। 'बेंचमार्क विकलांगता' का मतलब ऐसे व्यक्ति से है जिसे दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (RPWD Act, 2016) के अनुसार सरकारी अस्पताल की ओर से प्रमाणित कम से कम 40 प्रतिशत विशिष्ट विकलांगता हो।
सर्कुलर में बताया गया है कि जिन बच्चों को बौद्धिक अक्षमता,विशिष्ट सीखने की अक्षमता (स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी),ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर या संबंधित श्रेणियों में पहचाना गया है,उन पर भी मूल्यांकन या नैदानिक (डायग्नोस्टिक) रिपोर्ट के आधार पर विचार किया जा सकता है। सर्कुलर के अनुसार, 31 मार्च, 2025 तक विशेष आवश्यकता वाले आवेदकों के लिए आयु सीमा इस प्रकार है:
➤प्री-स्कूल/नर्सरी के लिए 3-7 साल
➤किंडरगार्टन के लिए 4-8 साल
➤कक्षा 1 के लिए 5-9 साल
सर्कुलर में बताया गया है कि ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया सोमवार (2 जून) से शुरू होगी और आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 22 जून है। सीटों के लिए कंप्यूटरीकृत ड्रॉ संभावित रूप से 7 जुलाई को निकाला जाएगा। सर्कुलर इस बात पर जोर देता है कि शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के प्रावधानों के तहत,कोई भी स्कूल प्रवेश के समय कैपिटेशन फीस (अतिरिक्त शुल्क) या दान की मांग नहीं कर सकता। यदि कोई स्कूल इन नियमों का उल्लंघन करता है,तो उस पर मांगी गई राशि का दस गुना तक जुर्माना लगाया जा सकता है। अभिभावकों को यह भी सलाह दी गई है कि वे प्रवेश पाने के लिए अपने निवास संबंधी विवरणों में हेरफेर न करें,क्योंकि कंप्यूटरीकृत ड्रॉ स्थान डेटा के आधार पर ही होता है।