दिल्ली फिर दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी, NCR के ये सारे शहर टॉप-20 गंदे शहरों की लिस्ट में शामिल
दिल्ली लगातार छठे साल दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है। वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, दिल्ली प्रदूषण के मामले में इस साल भी पहले स्थान पर है। शहरों की श्रेणी में एनसीआर के लोनी, नोएडा और ग्रेटर नोएडा भी सबसे प्रदूषित हैं।

दिल्ली लगातार छठे साल दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है। स्विट्जरलैंड की वायु गुणवत्ता प्रौद्योगिकी कंपनी आईक्यू एयर की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, दिल्ली प्रदूषण के मामले में इस साल भी पहले स्थान पर है। शहरों की श्रेणी में एनसीआर के लोनी, नोएडा और ग्रेटर नोएडा भी सबसे प्रदूषित हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत साल 2024 में दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित देश बना। 2023 में यह तीसरे स्थान पर था। 2024 में पीएम 2.5 के स्तर में सात प्रतिशत गिरावट देखी गई है। दुनिया के टॉप-20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं। असम का बर्नीहाट इस सूची में सबसे ऊपर है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के चार और चीन का एक शहर शीर्ष-20 प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।
शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों में लोनी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा
दुनिया के शीर्ष-20 सबसे प्रदूषित शहरों में असम का शहर बर्नीहाट, दिल्ली, पंजाब का मुल्लांपुर, हरियाणा का फरीदाबाद, गुरुग्राम, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में लोनी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मुजफ्फरनगर, राजस्थान में गंगानगर, भिवाड़ी और हनुमानगढ़ शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, असम और मेघालय की सीमा पर स्थित शहर बर्नीहाट में प्रदूषण का उच्च स्तर स्थानीय कारखानों से निकलने वाले उत्सर्जन के कारण है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 35 प्रतिशत भारतीय शहरों में वार्षिक पीएम 2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की सीमा पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 10 गुना अधिक है।
दिल्ली साल भर हाई वायु प्रदूषण से जूझती है और सर्दियों में यह समस्या और भी बदतर हो जाती है, जब प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियां, वाहनों से निकलने वाला धुआं, धान की पराली जलाने, पटाखे फोड़ने से निकला धुआं और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोत मिलकर हवा की गुणवत्ता को खतरनाक बना देते हैं। वायु प्रदूषण के स्रोतों में वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों और कारखानों से निकलने वाला धुआं और लकड़ी या पराली को जलाना शामिल है।
भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बना हुआ है, जिसकी वजह से लोगों की उम्र अनुमानित 5.2 वर्ष कम हो रही है।
पिछले साल प्रकाशित ‘लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ’ स्टडी के अनुसार, 2009 से 2019 तक भारत में हर साल लगभग 15 लाख लोगों की मौत संभावित रूप से लंबे वक्त तक पीएम 2.5 प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण हुई।
ये उपाय जरूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, हमारे पास डेटा है, अब हमें कार्रवाई की आवश्यकता है। कुछ समाधान आसान हैं जैसे जीवाश्म ईंधन को एलपीजी से बदलना। हमें अतिरिक्त गैस सिलेंडरों पर और सब्सिडी देनी चाहिए। सार्वजनिक परिवहन का विस्तार भी जरूरी है।