AAP फिर मात खा गई, MCD स्थायी समिति में भी BJP का दबदबा, दोनों उम्मीदवार जीते
आम आदमी पार्टी एक बार फिर भाजपा से मात खा गई। दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति में भी भाजपा ने परचम लहरा दिया है। भाजपा के दोनों उम्मीदवारों ने आप के प्रत्याशियों को पटखनी देते हुए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया है।

आम आदमी पार्टी एक बार फिर भाजपा से मात खा गई। दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति में भी भाजपा ने परचम लहरा दिया है। भाजपा के दोनों उम्मीदवारों ने आप के प्रत्याशियों को पटखनी देते हुए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया है।
दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के चुनाव गुरुवार को निगम मुख्यालय में संपन्न हुए। इसमें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर भाजपा और आम आदमी पार्टी ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसमें भाजपा की सत्या शर्मा अध्यक्ष और सुंदर सिंह उपाध्यक्ष चुने गए। दोनों को 11 वोट मिले। इसमें स्थायी समिति के कुल 18 सदस्यों ने वोट डाले। इसमें भाजपा के कुल 11 सदस्यों ने वोट डाले, जिसमें तीन सदस्य सदन से हैं और आठ सदस्य वार्ड समिति से हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी के स्थायी समिति के कुल सात सदस्यों ने वोट डाले। इनमें तीन सदस्य सदन से और चार सदस्य वार्ड समिति से हैं।
इन्होंने नामांकन दाखिल किया था
भाजपा की पूर्वी दिल्ली के गौतमपुरी से पार्षद सत्या शर्मा ने निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के तौर पर शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया था। इसके साथ भाजपा के भाटी वार्ड से पार्षद सुंदर सिंह ने उपाध्यक्ष पर के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया था। आम आदमी पार्टी से स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए जनकपुरी वार्ड से पार्षद प्रवीण सिंह राजपूत ने और उपाध्यक्ष पद की उम्मीदवार के तौर पर सुंदर नगरी वार्ड से पार्षद मोहिनी जीनवाल ने नामांकन दाखिल किया था।
ढाई साल बाद हुआ स्थायी समिति का गठन
निगम की स्थायी समिति का चुनाव ढाई वर्ष बाद गठन हुआ। इससे पहले वर्ष 2023 फरवरी में संयुक्त दिल्ली नगर निगम के दिसंबर 2022 पर चुनाव संपन्न हुए थे। इसके बाद फरवरी व मार्च 2023 तक स्थायी समिति का गठन होना था, लेकिन राजनीतिक कारणों से निगम की इस महत्वपूर्ण समिति का गठन नहीं हो सका था।
अब अधिकारियों ने उम्मीद जताई है निगम के दो सौ से अधिक परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में सहयोग मिलेगा। कई प्रोजेक्ट के नवीनीकरण कार्य में भी किए जा सकेंगे। इसमें पांच करोड़ रुपए की अधिक राशि से जुड़े फंड से जुड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने में भी सहयोग मिल सकेगा। पांच करोड़ रुपए से अधिक के फंड से जुड़ी परियोजनाओं को स्वीकृत करने के लिए स्थायी समिति में मंजूरी मिलना जरूरी होता है।