समृद्ध स्टार्टअप योजना का दुरुपयोग, सरकार से 3 करोड़ रुपए की ठगी; सीए समेत दो आरोपी गिरफ्तार
पुलिस ने बताया कि आरोपियों की पहचान मेसर्स HPPL फाउंडेशन के निदेशक प्रशांत अग्रवाल (34) और मेसर्स त्रिपुरारी एंड एसोसिएट्स में चार्टर्ड अकाउंटेंट और पार्टनर सुधांशु कुमार राकेश के रूप में हुई है।

दिल्ली पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के साथ करीब 3 करोड़ रुपए की ठगी करने के आरोप में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इस बारे में मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि दोनों आरोपियों ने केंद्र सरकार की ‘समृद्ध स्टार्टअप’ योजना का गलत फायदा उठाते हुए इस ठगी को अंजाम दिया। जिसके बाद दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों की पहचान मेसर्स HPPL फाउंडेशन के निदेशक प्रशांत अग्रवाल (34) और मेसर्स त्रिपुरारी एंड एसोसिएट्स में चार्टर्ड अकाउंटेंट और पार्टनर सुधांशु कुमार राकेश के रूप में हुई है।
आरोपियों के ठगी करने का तरीका बताते हुए अधिकारी ने बताया कि दोनों आरोपियों ने झूठे दावे प्रस्तुत करके सरकार से धन प्राप्त करके, चयनित स्टार्टअप को पैसा ट्रांसफर ना करके और जाली वित्तीय रिपोर्टों के साथ धोखाधड़ी को छिपाकर समृद्ध योजना का गलत फायदा उठाया। इसके साथ ही उन्होंने झूठे बहाने बनाकर स्टार्टअप्स से भी पैसा भी जमा किया।
इस बारे में जानकारी देते हुए आर्थिक अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अमित वर्मा ने पीटीआई को बताया, 'राशि शर्मा से मिली शिकायत के आधार पर यह मामला दर्ज किया गया है, जो कि MeitY स्टार्टअप हब (MSH) की अधिकृत प्रतिनिधि हैं, जो कि मंत्रालय के डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के तहत एक स्वायत्त प्रभाग है।'
समृद्ध योजना को एक्सेलेरेटर कार्यक्रमों के माध्यम से स्टार्टअप की मदद करने के लिए विकसित किया गया था, जिसमें प्रत्येक स्टार्टअप के लिए 40 लाख रुपए तक की आर्थिक मदद का प्रावधान है। अग्रवाल एक गैर-लाभकारी संस्था मेसर्स एचपीपीएल फाउंडेशन के प्रमुख थे और इसे एक्सेलेरेटर में से एक के लिए चुना गया था। इसे आठ स्टार्टअप की आर्थिक मदद करने के लिए 3.04 करोड़ रुपए दिए गए, लेकिन अग्रवाल ने उन स्टार्टअप्स को कभी भी धनराशि दी ही नहीं। इसके बजाय अग्रवाल ने राशि का दुरुपयोग किया और MSH को नकली और जाली उपयोग प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए।
डीसीपी ने कहा, 'इन प्रमाणपत्रों को चार्टर्ड अकाउंटेंट सुधांशु राकेश की मुहर के तहत गलत तरीके से प्रमाणित किया गया था। जांच में आगे पता चला कि अग्रवाल ने सरकारी धन जारी करने के झूठे वादे के तहत कई स्टार्टअप से लगभग 11 लाख रुपए भी ले लिए थे, जो कभी नहीं आए।'
पुलिस ने 30 अप्रैल को बेंगलुरु में अग्रवाल को गिरफ्तार किया। फिर जब उसके परिसर की तलाशी ली, तो वहां से अपराध से संबंधित डिजिटल डिवाइस और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए। फिर ईओडब्ल्यू ने 7 मई को पटना से उसके सहयोगी राकेश का पता लगाया और उसे गिरफ्तार कर लिया। राकेश के निजी कंप्यूटर में फर्जी प्रमाणपत्रों के टेम्पलेट और दस्तावेज़ निर्माण में इस्तेमाल किए गए रबर स्टैम्प पाए गए।
गिरफ्तार आरोपियों में से एक अग्रवाल मूल रूप से चेन्नई का रहने वाला है और उसके पास कनाडा से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर की डिग्री और बेंगलुरु से एमबीए भी है। मेसर्स एचपीपीएल फाउंडेशन की स्थापना उन्होंने 2022 में की थी और उनकी पत्नी सलोनी वहां निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। जबकि दूसरे आऱोपी राकेश का जन्म नालंदा में हुआ था और उसने साल 2020 में अपनी चार्टर्ड अकाउंटेंसी पूरी की। ईओडब्ल्यू पुलिस स्टेशन में दर्ज आईपीसी की कई धाराओं के तहत दोनों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि अतिरिक्त लाभार्थियों की पहचान करने तथा दुरुपयोग की गई धनराशि का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है।