दिल्ली के इस इलाके में बनेगी हाई सिक्योरिटी जेल, परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा
लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों के अनुसार,यह जेल पैनॉप्टिकॉन-शैली के डिजाइन पर आधारित होगी। यह डिजाइन अंडमान द्वीप समूह की मशहूर ब्रिटिश-युग की सेलुलर जेल से प्रेरित है। इस डिजाइन में कोठरियां एक सेंट्रल वॉच टावर से बाहर की ओर फैली हुई पंक्तियों में गोलाकार पैटर्न में व्यवस्थित होंगी।

दिल्ली की पहली हाई-सिक्योरिटी जेल का काम इस साल के आखिर में नरेला में शुरू होने वाला है। यह एक आधुनिक सुधार सुविधा होगी जिसका मकसद राजधानी की भीड़भाड़ वाली जेलों पर दबाव कम करना है। अधिकारियों ने बताया कि यह जेल 11 एकड़ जमीन पर बनेगी और इसमें 250 ज्यादा खतरे वाले कैदियों को रखने की योजना है। इसे एडवांस निगरानी और आइसोलेशन सिस्टम के साथ एक अत्याधुनिक परिसर के रूप में देखा जा रहा है।
लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों के अनुसार,यह जेल पैनॉप्टिकॉन-शैली के डिजाइन पर आधारित होगी। यह डिजाइन अंडमान द्वीप समूह की मशहूर ब्रिटिश-युग की सेलुलर जेल से प्रेरित है। इस डिजाइन में कोठरियां एक सेंट्रल वॉच टावर से बाहर की ओर फैली हुई पंक्तियों में गोलाकार पैटर्न में व्यवस्थित होंगी। इस बनावट के बाद सभी गार्ड बिना देखे सभी कैदियों पर नजर रख सकते हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह एक मनोवैज्ञानिक डर पैदा करेगा जिससे जेल के अंदर हिंसा कम होगी और गिरोह बनने से रुकेंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,"यह वास्तुशिल्प डिजाइन का फायदा यह होगा कि इसके बाद कम से कम कर्मचारी के साथ ज्यादा से ज्यादा निगरानी की सुविधा रहेगी। इससे हिंसा को रोकने और परिसर के अंदर गिरोहों के गठन पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी।"
क्या होंगे खास इंतजाम
सुरक्षा के मामले में इस जेल में कई खास इंतजाम होंगे। इसमें ऑटोमैटिक लॉक होने वाले ताले,सामान की जांच के लिए एक्स-रे स्कैनर,पूरे शरीर की जांच के लिए फुल-बॉडी स्कैनर और कर्मचारियों के लिए शरीर पर लगाए जाने वाले कैमरे होंगे। जेल की कोठरियों को इस तरह बनाया जा रहा है ताकि कैदियों के बीच बातचीत सीमित हो, खासकर उन कैदियों के बीच जिन्हें ज्यादा खतरनाक माना जाता है। संगठित आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए शारीरिक अलगाव पर खास जोर दिया जाएगा। जेल के अंदर मोबाइल सिग्नल जैमर भी लगे होंगे,जो किसी भी अनाधिकृत संचार को रोक देंगे। जेल की चारों ओर ऊंची दीवारें होंगी जिन्हें इस तरह से बनाया जाएगा ताकि मोबाइल फोन और नशीले पदार्थ जैसी गैरकानूनी चीजों की तस्करी न हो सके। एक अधिकारी ने बताया,"जेल कर्मचारियों और कैदियों के परिवारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। हमारा मकसद एक नियंत्रित और सुरक्षित माहौल बनाना है जिसमें कोई सेंध न लगा सके।"
कितना बजट रखा गया है?
इस परियोजना के लिए बजट तैयार हो चुका है। शुरुआती अनुमान के तौर पर ₹148.58 करोड़ की लागत बताई गई है,जिसे महानिदेशक (जेल) को भेजा गया है। खर्च वित्त समिति की एक बैठक में इस अनुमान को दोबारा देखा गया और फिर प्रतिशत दर के आधार पर एक टेंडर (ठेका) जारी किया गया है। हालांकि,इस प्रक्रिया में देरी हुई है। पहला टेंडर जारी होने पर किसी भी ठेकेदार ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई,जिसके बाद अधिकारियों को इसकी शर्तों को बदलना पड़ा। उन्होंने दोबारा पैसों की संभावना का आकलन किया और फिर से जेल विभाग को प्रस्ताव भेजा। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा इस जेल का मुख्य फोकस है,लेकिन लंबी अवधि की योजना में इसमें सुधार लाने वाले तत्वों को भी शामिल किया जाएगा। विकास का दूसरा चरण भी तैयार है,जिसमें कर्मचारियों के रहने के लिए क्वार्टर और एक खास प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि इस सुविधा से यह सुनिश्चित होगा कि कर्मचारी जेल परिसर के पास ही रहें,जिससे आपातकालीन स्थितियों में प्रतिक्रिया का समय बेहतर होगा और पूरे काम में दक्षता भी आएगी।
यह नई जेल दिल्ली की मौजूदा तीन जेलों तिहाड़,मंडोली और रोहिणी पर से बोझ कम करने में मदद करेगी। इन तीनों जेलों में कुल मिलाकर करीब 10,000 कैदियों को रखने की जगह है,लेकिन अभी इनमें लगभग दोगुने कैदी (विचारधीन और दोषी दोनों) हैं। नरेला की यह नई सुविधा राजधानी के जेल ढांचे में लंबे समय से जरूरी विस्तार के तौर पर देखी जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक,यह आधुनिक कारावास और जेल सुधार के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित कर सकती है। इस साल के आखिर में निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है और अधिकारियों को उम्मीद है कि यह नई सुविधा आधुनिक कारावास और जेल सुधार में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगी।