Faridabad Municipality to Use Small Jetting Machines to Combat Sewer and Waterlogging Issues सीवर की सफाई के लिए छोटी जेटिंग मशीनों का इस्तेमाल होगा, Faridabad Hindi News - Hindustan
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सीवर की सफाई के लिए छोटी जेटिंग मशीनों का इस्तेमाल होगा

फरीदाबाद नगर निगम सीवर और जलभराव की समस्या से निपटने के लिए छोटी जेटिंग मशीनों का प्रयोग करेगा। नगर निगम ने सभी डिविजन के कार्यकारी अभियंताओं से मशीनों की संख्या बताने के लिए कहा है। एनआईटी विधानसभा...

Newswrap हिन्दुस्तान, फरीदाबादSat, 14 June 2025 11:33 PM
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सीवर की सफाई के लिए छोटी जेटिंग मशीनों का इस्तेमाल होगा

फरीदाबाद। नगर निगम प्रशासन सीवर और जलभराव की समस्या से निपटने के लिए छोटी जेटिंग मशीनों का प्रयोग करेगा, ताकि शहर की कॉलोनियों में सीवर की सफाई में दिक्कत न आए। नगर निगम प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। निगम प्रशासन ने दो दिन पहले छोटी जेटिंग मशीनों का प्रयोग करने का निर्णय लिया है। सभी डिविजन के कार्यकारी अभियंताओं से जरूरत के मुताबिक मशीनों की संख्या बताने के लिए कहा गया है। इसके बाद टेंडर कर मशीनों को किराए पर लिया जाएगा। छोटी मशीनों के उपलब्ध होने से निगम कॉलोनियों की संकरी गलियों में भी जलभराव और सीवर की समस्या से निपट सकेगा।

इन मशीनों का सबसे ज्यादा फायदा एनआईटी विधानसभा क्षेत्र को मिलेगा, क्योंकि यहां पर कॉलोनियों की संख्या सबसे ज्यादा है। इन कॉलोनियों की गलियों की चौड़ाई भी काफी कम है। इस वजह से बड़ी मशीनों से सफाई नहीं हो पाती है। निगम अधिकारियों के मुताबिक, निगम प्रशासन को औसतन हर रोज सीवर जाम की औसतन 40 से ज्यादा शिकायतें मिलती हैं। सबसे ज्यादा समस्या एनआईटी विधानसभा क्षेत्र से होती हैं। शिकायतों की संख्या ज्यादा होने के कारण कई बार नगर निगम प्रशासन तय समय पर सीवर साफ नहीं करवा पाता है। इस वजह से लोगों का आक्रोश भी झेलना पड़ता है। सीवेज के मुकाबले एसटीपी की संख्या कम अधिकारियों के मुताबिक, शहर में 350 से 400एमएलडी सीवेज निकलता है। इसे शोधित करने के लिए एसटीपी की संख्या कम है। मौजूदा समय में 180 एमएलडी क्षमता के दो एसटीपी प्रतापगढ़ और मिर्जापुर में चल रहे हैं। मिर्जापुर एसटीपी की क्षमता 80 एमएलडी है। वहीं बादशाहपुर और सेक्टर-77 में भी दोनों एसटीपी बने हुए हैं। लेकिन, इनकी क्षमता सीमित है। इस वजह से शहर के सीवेज का काफी बड़ा हिस्सा बिना शोधित हुए नहरों में बहाया रहा है। सीवर लाइन को नहीं मिल रही मंजूरी: बड़खल विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत एनआईटी इलाके में करीब 75 वर्ष पहले 50 हजार की आबादी को ध्यान में रखकर सीवर लाइन डाली गई थी। आबादी बढ़ने के बाद एनआईटी में फ्लैट भी बन चुके हैं। इससे सीवर लाइन पर बोझ बढ़ गया है। लेकिन, सीवर लाइन में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इससे पूरे एनआईटी क्षेत्र में सीवर जाम की समस्या रहती है। ओवरफ्लो होकर पानी सड़कों पर बहता रहता है। बारिश के दिनों में ओवरफ्लो होकर पानी लोगों के घरों तक पहुंच जाता है। इस इलाके में सीवर लाइन की चौड़ाई आठ इंच है। यहां आबादी के बोझ को देखते हुए कम से कम 24 इंच चौड़ी पाइप लाइन डालने की जरूरत है। नगर निगम प्रशासन ने वर्ष 2019 में एनआईटी-एक, दो, तीन, चार और पांच में नई सीवर डालने का प्रस्ताव तैयार हुआ था। सन् 2022 में इस कार्ययोजना को प्रशासनिक मंजूरी मिल गई थी। करीब 32 किलोमीटर लंबी इस लाइन के लिए 160 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया गया था। सन् 2023 में गत वर्ष इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई थी। लेकिन, टेंडर प्रक्रिया में नियमों की पालना न करने का आरोप लगाकर शहरी स्थानीय निकाय मुख्यालय ने गत वर्ष अगस्त माह में इस टेंडर को रदद कर दिया था। अब तक यह योजना सिरे नहीं चढ़ सकी है। कॉलोनियों में सीवर और जलभराव की समस्या से निपटने के लिए छोटी जेटिंग मशीनों का प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए सोमवार को वर्क ऑर्डर लगाए जाएंगे। - विवेक गिल, मुख्य अभियंता, नगर निगम

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