अस्पतालों में सुविधाएं न होने से गर्मी में मरीज परेशान
फरीदाबाद में भीषण गर्मी के कारण तापमान 44 डिग्री के पार पहुंच गया है, जिससे लू और डिहाइड्रेशन के मामले बढ़ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ रही है, लेकिन सुविधाओं की कमी से लोग परेशान...

फरीदाबाद, वरिष्ठ संवाददाता। भीषण गर्मी ने लोगों की सेहत पर सीधा असर डाला है। शहर में तापमान 44 डिग्री के पार पहुंच चुका है, जिससे लू और डिहाइड्रेशन जैसी बीमारियों के मामलों में भारी इजाफा हुआ है। हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की भारी कमी लोगों को और अधिक परेशान कर रही है। दवाई के लिए मरीज बहा रहे पसीना बल्लभगढ़ के सरकारी अस्पताल की नई बिल्डिंग तैयार करने के लिए कार्रवाई शुरू हो चुकी है।
इसी कारण एम्स प्रबंधन ने दवाई सहित अन्य इंजेक्शन सहित कई अन्य प्रकार की सुविधाओं के लिए पोटा केबिन बना दिए हैं, लेकिन उनके सामने धूप रोकने का पूरा इंतजाम नहीं है। शुक्रवार की सुबह 10 बजे काफी संख्या में महिला व पुरूष भीषण गर्मी में लाइन में खड़े थे। धूप से बचने व हवा के लिए मरीजों के लिए कोई इंतजाम नही था। मरीजों को दवाई लेने के लिए पसीना बहाना पड़ रहा था। इतना ही नहीं बच्चों की दवाई लेने वालों की भी काफी भीड़ लगी थी और उन्हें भी पसीना बहाना पड़ रहा था। इसी प्रकार कार्ड बनाने वाली जगह पर भी धूप से बचने का इंतजाम तो था, लेकिन वहां मरीजों को बैठने की जगह कम नजर आई। जिसे महिला मरीज काफी संख्या में खड़ी होकर गर्मी में पसीना बहा रही थी। बीके अस्पताल, सरकारी अस्पताल बल्लभगढ़ और एनआईटी क्षेत्र के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में शुक्रवार को रोजाना ओपीडी में दोगुने मरीज आ रहे हैं। हालांकि डॉक्टर और स्टाफ अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते स्थिति नियंत्रण में नहीं आ पा रही। बीके अस्पताल में तेज धूप में पार्क में बैठे मरीज गर्मी पेड़ की छाप ढूंढते नजर आए। इमरजेंसी में एसी ठीक से काम नहीं कर रहे है। एक बेड पर दो मरीजों का इलाज चल रहा है। कुछ मरीज डॉक्टर रूम के बाहर जमीन पर बैठकर अपनी बारी आने का इंतजार कर हैं।इनमें पांच से सात मरीज डायरिया, पेट दर्द और बुखार के शामिल थे। जवाहर कॉलोनी डिस्पेंसरी में सुविधाओं का टोटा जवाहर कॉलोनी स्थित ईएसआई डिस्पेंसरी में गर्मी से बेहाल मरीजों को अस्पताल में न तो बैठने की उचित व्यवस्था है और न ही पीने के साफ पानी की। ओपीडी में कतार में खड़े मरीजों ने बताया कि सुबह सात बजे ओपीडी शुरू हो जाती है। गर्मी और धूप से बचने के लिए सुबह छह बजे से आकर लाइन में लगे हैं। लेकिन घंटों इंतजार करने के बाद भी उन्हें बैठने की जगह नहीं मिलती। ठंडे पानी या शीतल पेय की कोई व्यवस्था नहीं है। कूलर या पंखे भी काम नहीं कर रहे। अस्पताल के वेटिंग एरिया में न छाया है और न ही हवा की व्यवस्था। राजीव कॉलोनी स्थित स्वास्थ्य केंद्र में रोजाना करीब 200 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। यह स्वास्थ्य केंद्र सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक चलता है। छोटे से स्थान पर चल रहे स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के बैठक के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। बाहर धूप में खड़े मरीज काफी देर से अपनी बारी आने का इंतजार करते रहे। यहां मरीजों के मरीजों को लू, बुखार, उल्टी-दस्त और शरीर में कमजोरी जैसी शिकायतों के लिए आए मरीजों को सुविधाओं के अभाव में सीधे बीके अस्पताल रेफर कर दिया गया। इसके अलावा यहां जरूरी दवाओं का भी काफी अभाव देखने को मिला, कई आवश्यक दवाएं स्टॉक से बाहर हैं। मरीजों को बाहर मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों के लोग, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उनके लिए यह स्थिति बेहद मुश्किल भरी हो गई है। एनआईटी पांच स्थित ईएसआई डिस्पेंसरी में रोजान करीब 200 मरीज इलाज के लिए पहुंचते है। रोजाना की तरह शुक्रवार सुबह भी मरीजों की भीड़ देखने को मिली। सुबह से लाइन में लगे मरीज अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। सात बजे खुलने वाली डिस्पेंसरी 7.30 बजे खुली। गर्मी के कारण कुछ लोग सिर पर गमछा रखे हुए थे। कुछ ने टोपी से अपना सिर ढक रखा था। डिस्पेंसरी परिसर में पंखे चल रहे थे, मगर कूलर आदि कोई व्यवस्था नहीं थी। रूमाल से पशीने पूछते मरीज यह दर्शा रहे थे, गर्मी से बुरा हाल है। यही हाल ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के गेट पर तैनात सुरक्षा कर्मी के साथ देखने को मिला। उन्होंने बताया कि उनके केबिन में पंखाें की व्यवस्था तो है लेकिन उन्हें अधिकार समय धूप में खड़े होकर व्यवस्था संभालनी पड़ती है, कई बार तबियत खराब हो जाती है तो जल्दी छुट्टी भी नहीं मिलती है। सुरक्षा कर्मियों ने कहा गर्मी से बचाव के लिए व्यवस्था करनी चाहिए।
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